मछली के अंडों से बनता “ब्लैक गोल्ड”, जानिए इसके पीछे की दिलचस्प कहानी

कैवियार को दुनिया का “ब्लैक गोल्ड” कहा जाता है. इसकी कीमत सुनकर कोई भी चौंक सकता है, यह लाखों रुपये प्रति किलो बिकता है! लेकिन इसके पीछे की कहानी सिर्फ पैसे की नहीं, बल्कि परंपरा, विलासिता और एक विवादास्पद प्रक्रिया की भी है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 11 Nov, 2025 | 10:21 AM

Caviar Farming: अगर आप लग्जरी फूड की दुनिया में थोड़ी भी दिलचस्पी रखते हैं, तो “कैवियार (Caviar)” का नाम जरूर सुना होगा, वही शाही डिश जिसे दुनिया का “ब्लैक गोल्ड” कहा जाता है. यह कोई आम खाना नहीं, बल्कि अमीरी और विलासिता का प्रतीक माना जाता है.

कैवियार की कीमत सुनकर कोई भी चौंक सकता है, यह लाखों रुपये प्रति किलो बिकता है! लेकिन इसके पीछे की कहानी सिर्फ पैसे की नहीं, बल्कि परंपरा, विलासिता और एक विवादास्पद प्रक्रिया की भी है.

क्या होता है कैवियार?

कैवियार दरअसल मछली के अंडे (Fish Roe) होते हैं, जो खास तरह की स्टर्जन (Sturgeon) मछली से निकाले जाते हैं. इन अंडों को हल्का नमक मिलाकर तैयार किया जाता है ताकि उनका स्वाद और बनावट बनी रहे. इन अंडों को बिना पकाए परोसा जाता है और यह स्वाद में हल्के नमकीन और मक्खन जैसे मुलायम होते हैं. आमतौर पर इसे टोस्ट, पैनकेक, पास्ता या सीफूड के साथ परोसा जाता है.

किन मछलियों से बनता है असली कैवियार?

हर मछली के अंडों को कैवियार नहीं कहा जाता. असली कैवियार सिर्फ स्टर्जन परिवार की मछलियों से तैयार किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:

  • बेलुगा स्टर्जन
  • सिबेरियन स्टर्जन
  • रशियन स्टर्जन
  • व्हाइट स्टर्जन
  • कालुगा स्टर्जन

ये मछलियां सैकड़ों साल तक जी सकती हैं, लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती जा रही है. कई प्रजातियां अब लुप्तप्राय (Endangered) हो चुकी हैं, जिसके चलते कैवियार बेहद दुर्लभ और महंगा हो गया है.

कैसे बनता है कैवियार – परंपरा और विवाद दोनों

पारंपरिक तरीका

सदियों से कैवियार तैयार करने का एक ही तरीका अपनाया जाता है, इसमें मछली को मारकर उसके पेट से अंडे निकालना. मछली को पहले ठंडे पानी में रखा जाता है ताकि वह शांत हो जाए, फिर उसके पेट को चीरकर अंडों की थैली निकाली जाती है.

इन अंडों को साफ कर हल्का नमक मिलाकर तैयार किया जाता है. यही तरीका अब तक सबसे स्वादिष्ट और उच्च गुणवत्ता वाला माना जाता है, लेकिन यह मछली की जान लेकर ही संभव होता है.

आधुनिक “नो-किल” तकनीक

अब कुछ देशों में मछली को मारे बिना अंडे निकालने की तकनीक अपनाई जा रही है. इसमें दो तरीके हैं:

C-Section: मछली के पेट में हल्का चीरा लगाकर अंडे निकाले जाते हैं और फिर उसे सिलकर वापस पानी में छोड़ दिया जाता है.

Vivace (मिल्किंग): मछली को विशेष हार्मोन दिए जाते हैं, जिससे वह अंडे स्वाभाविक रूप से बाहर निकाल देती है.

हालांकि यह तरीका मानवीय है, लेकिन पारंपरिक कैवियार की तुलना में स्वाद और टेक्सचर में थोड़ा अंतर होता है.

टिकाऊ खेती से बदल रही है तस्वीर

पिछले कुछ सालों में कई देश सस्टेनेबल फिश फार्मिंग (Sustainable Fish Farming) की ओर बढ़े हैं. अब कैवियार तैयार करने के लिए फार्म में पाली गई मछलियों का उपयोग किया जा रहा है ताकि समुद्री प्रजातियों पर दबाव कम हो. इससे न केवल मछलियों की जनसंख्या बढ़ रही है, बल्कि किसान भी लंबे समय तक इनसे अंडे लेकर लाभ कमा सकते हैं.

सबसे कीमती “अल्मास कैवियार”

दुनिया का सबसे दुर्लभ और महंगा कैवियार है अल्मास कैवियार (Almas Caviar), जो ईरान में पाई जाने वाली अल्बिनो बेलुगा स्टर्जन मछली से प्राप्त होता है.

इस कैवियार का रंग हल्का सुनहरा-सफेद होता है और इसे 24 कैरेट गोल्ड के डिब्बों में पैक किया जाता है. इसकी कीमत करीब 25 लाख रुपये प्रति किलो तक जाती है! स्वाद, दुर्लभता और शानदार पैकिंग इसे फूड की दुनिया का असली “हीरा” बनाते हैं.

क्यों माना जाता है अमीरों का खाना

कैवियार सदियों से राजघरानों और शाही भोजों की पहचान रहा है. रूस, फ्रांस और यूरोप के कई देशों में इसे “रॉयल डिश” माना जाता है. यह सिर्फ एक खाना नहीं, बल्कि स्टेटस सिंबल है,  हर चम्मच के साथ विलासिता, परंपरा और स्वाद की अनोखी कहानी जुड़ी होती है.

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