Wheat Farming: जब भी गेहूं की बात होती है, तो लोगों की जुबान पर सबसे पहले मध्य प्रदेश में उगाए जाने वाले सरबती गेहूं का नाम सामने आता है. पूरे देश में ऐसी धारणा बन गई है कि गेहूं की सबसे बेहतरीन किस्म सरबती ही है. लेकिन ऐसी बात नहीं है, सरबती की तरह देश में कई ऐसी गेहूं की किस्में हैं, जिसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं. साथ ही उसके आटे से बनी रोटी का स्वाद भी लजीज होता है. एक ऐसे ही गेहूं की बेहतरीन किस्म है कठिया गेहूं, जो अपनी स्वाद के लिए पूरे देश में मशहूर है. इसकी खेती बुंदेलखंड में होती है. खास बात यह है कि इसे जीआई टैग भी मिला हुआ है.
एक्सपर्ट के मुताबिक, कठिया गेहूं कई बीमारियों में फायदेमंद माना जाता है. इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन A, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. खास कर जीआई टैग मिलने के बाद इसकी देश और विदेश के बाजारों में नई पहचान मिली है. ऐसे में मार्केट में इसकी मांग भी बढ़ गई है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है.
प्रति हेक्टेयर कितनी है उपज
कठिया गेहूं एक कठोर किस्म है, जिसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सूखा झेलने की क्षमता रखती है. इस वजह से इसे सिर्फ 3 बार सिंचाई की जरूरत होती है और फिर भी इसकी उपज लगभग 45 से 50 किलो प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है. अगर खेत में सिंचाई की सुविधा न हो या आंशिक हो, तो भी इसकी पैदावार 30 से 35 किलो प्रति हेक्टेयर तक होती है. कठिया गेहूं में भूसी , छिलका और अंदर का हिस्सा तीनों शामिल होते हैं, जिससे यह सेहत के लिए और भी फायदेमंद होता है.
इतने दिनों में फसल हो जाती है तैयार
कठिया गेहूं के लिए खेत को अच्छी तरह भुरभुरा और सख्त बनाना जरूरी होता है, ताकि बीज अच्छी तरह अंकुरित हो सके. इसके लिए गर्मी के मौसम में 3 से 4 बार हल चलाना, बरसात के मौसम में बार-बार जुताई और बुआई से ठीक पहले 3 से 4 बार कल्टीवेशन और पाटा चलाना जरूरी होता है. इससे खेत एकदम समतल और मजबूत बन जाता है, जो बीज अंकुरण के लिए उपयुक्त होता है. ऐसे कठिया गेहूं की बुवाई स्वाति नक्षत्र में की जाती है, जो आमतौर पर अक्टूबर के आखिरी सप्ताह या नवंबर के पहले सप्ताह में आता है. फसल मार्च से अप्रैल के बीच तैयार हो जाती है. कठिया गेहूं की उत्पादन अवधि 120 से 125 दिन होती है.
यूपी के इन जिलों में होती है इसकी खेती
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कठिया गेहूं का रकबा सिकुड़ता जा रहा है. जालौन, महोबा, हमीरपुर, बांदा,ललितपुर और झांसी जैसे जिलों में इसकी खेती सिर्फ करीब 5 फीसदी इलाके में की जाती है. हालांकि, बाजार में कठिया गेहूं की अच्छी मांग है, लेकिन पैदावार कम होने की वजह से किसान दूसरी किस्मों के गेहूं की खेती करना ज्यादा पसंद करते हैं. कठिया गेहूं से बना दलिया सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. यह पाचन में मदद करता है और कब्ज की समस्या को दूर करता है.
शुगर और बीपी मरीजों को फायदा
आयुर्वेद चिकित्सकों का कहना है कि कठिया गेहूं को अगर रोज सुबह नाश्ते में लिया जाए तो शुगर और बीपी को कंट्रोल में रखने में मदद मिलती है. इस गेहूं की रोटी खाने से पेट से जुड़ी बीमारियों से बचाव होता है. उत्तर प्रदेश में गेहूं की कई किस्में मौजूद हैं, लेकिन कठिया गेहूं की अलग ही पहचान है. इसकी खेती ऊबड़-खाबड़ जमीन पर भी हो जाती है और ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती. इसकी खेती करने वाले किसानों की माने तो खेत में बीज डालने के बाद प्राकृतिक रूप से इसकी फसल अच्छी हो जाती है. बता दें कि भंडारण से पहले कठिया गेहूं को अच्छी तरह धूप में सुखाना जरूरी होता है. भंडारण के लिए दानों में 10 फीसदी से कम नमी होनी चाहिए, तभी यह लंबे समय तक सुरक्षित रह सकता है.
कठिया गेहूं को कब मिला जीआई टैग
कठिया गेहूं को साल 2024 में GI टैग मिला. ऐसे GI मतलब जियोग्राफिकल इंडिकेशन होता है, जो एक एक खास पहचान वाला लेबल होता है. यह किसी चीज को उसके इलाके से जोड़ता है. आसान भाषा में कहें तो ये GI टैग बताता है कि कोई प्रोडक्ट खास तौर पर किसी एक तय जगह से आता है और वही उसकी असली पहचान है. भारत में साल 1999 में ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स (रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन) एक्ट’ लागू हुआ था. इसके तहत किसी राज्य या इलाके के खास प्रोडक्ट को कानूनी मान्यता दी जाती है. जब किसी प्रोडक्ट की पहचान और उसकी मांग देश-विदेश में बढ़ने लगती है, तो GI टैग के जरिए उसे आधिकारिक दर्जा मिल जाता है. इससे उसकी असली पहचान बनी रहती है और वह नकली प्रोडक्ट्स से सुरक्षित रहता है.
कठिया गेहूं से जुड़े आंकड़े
- कठिया गेहूं को साल 2024 में मिला GI टैग
- 2 से 3 सिंचाई में फसल हो जाती है तैयार
- बुवाई के 120 से 125 दिन बाद होती है फसल की कटाई
- 45 से 50 किलो है प्रति हेक्टेयर इसकी उपज
- भंडारण के लिए दानों में 10 फीसदी से कम नमी होनी चाहिए
- इसका रोटी शुगर और बीपी को कंट्रोल में रखने में मदद मिलती है
- कठिया गेहूं हेल्थ के लिए काफी अच्छा होता है