Punjab News: केंद्र सरकार द्वारा फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) से जुड़े नए दिशा-निर्देश जारी करने के बाद पंजाब के राइस शेलर्स और FCI के बीच नया विवाद खड़ा हो गया है. केंद्र ने तय किया है कि पंजाब में खरीदे गए 156 लाख टन धान से बनने वाले 104 लाख टन चावल में से 25 लाख टन उच्च गुणवत्ता वाला चावल होगा, जिसमें केवल 10 फीसदी टूटा हुआ दाना होगा. बाकी 80 लाख टन चावल केवल FRK-मिश्रित रूप में ही केंद्रीय पूल के लिए स्वीकार किया जाएगा. FRK की आपूर्ति में देरी के कारण मिलों में धान भरा होने के बावजूद मिलिंग शुरू नहीं हो पाई है. पंजाब सरकार ने केंद्र से 25 लाख टन गैर-FRK चावल स्वीकार करने का आग्रह किया है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
28 नवंबर को पंजाब के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा FCI चेयरमैन को भेजे गए पत्र में लिखा गया है कि इस बार DFPD ने FRK की गुणवत्ता जांच के लिए और सख्त परीक्षण प्रक्रिया लागू की है, जिससे FRK की सप्लाई पहले की तुलना में धीमी रहेगी. इस धीमी आपूर्ति का असर 2025-26 की मिलिंग और चावल डिलीवरी पर पड़ेगा. 2024-25 में भी FRK की कमी के कारण राज्य को चावल डिलीवरी की समय-सीमा 31 मार्च 2025 से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 तक करवानी पड़ी थी.
25 लाख मीट्रिक टन गैर-फोर्टिफाइड चावल का कोटा
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पत्र में आगे कहा गया कि मिलिंग में देरी से बचने के लिए पंजाब को कम से कम 25 लाख मीट्रिक टन गैर-फोर्टिफाइड चावल का कोटा दिया जाना चाहिए, जैसा कि FCI ने उत्तर प्रदेश को दिया है. राज्य सरकार ने आश्वासन दिया कि वह जल्द से जल्द चावल की आपूर्ति के लिए पूरी तरह तैयार है और KMS 2025-26 में संग्रहित धान का अधिकांश फिजिकल वेरिफिकेशन पूरा हो चुका है.
मानव उपभोग के योग्य नहीं माना जाता
FSSAI के नियमों के अनुसार, यदि चावल में 5 फीसदी से ज्यादा चॉकीनैस (सफेदपन) हो तो वह मानव उपभोग के योग्य नहीं माना जाता. इसी वजह से FCI ने कुछ चावल के नमूनों को खारिज कर दिया और हाल ही में अपने दो तकनीकी अधिकारियों, एक फील्ड असिस्टेंट और एक क्वालिटी मैनेजर को निलंबित कर दिया, क्योंकि 10 फीसदी ‘अपग्रेडेड’ चावल के नमूनों में खामी पाई गई.. FCI की लैब ने भी नमूने इसीलिए अस्वीकार किए क्योंकि चॉकीनैस तय सीमा से अधिक थी. इससे चावल मिलर्स में चिंता फैल गई है. मिलर्स का कहना है कि मिलिंग में और देरी होने पर चावल की गुणवत्ता रोज खराब होगी और उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा.
मार्केट सेल स्कीम में बेचने में आ रही हैं मुश्किलें
पंजाब राइस इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष भारत भूषण बिंटा ने कहा कि पिछले महीने हुई एक ऑनलाइन बैठक में FCI के क्वालिटी अधिकारी और DFPD के अंडर सेक्रेटरी ने साफ किया कि पिछले साल पायलट प्रोजेक्ट के तहत पंजाब से भेजा गया अपग्रेडेड चावल तय मानकों पर खरा नहीं उतरा. इसी वजह से FCI को इसे ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) में बेचने में मुश्किलें आ रही हैं.