मुर्रा और जाफराबादी भैंस: जानें कौन-सी नस्ल किसानों को देती है ज्यादा दूध और मुनाफा

भैंस पालन आज किसानों के लिए मुनाफे का बड़ा जरिया बन चुका है. मुर्रा और जाफराबादी दोनों उन्नत नस्लें हैं. मुर्रा आसानी से पाली जाती है, जबकि जाफराबादी आकार में बड़ी और मजबूत होती है. दूध उत्पादन और देखभाल में दोनों श्रेष्ठ हैं. किसान अपनी जरूरत और बजट के अनुसार सही नस्ल चुन सकते हैं.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 9 Dec, 2025 | 09:22 PM

Buffalo Farmers :  खेती के साथ अगर पशुपालन भी किया जाए तो किसान अच्छी आय कमा सकते हैं. खासकर भैंस पालन आज के समय में बड़ा मुनाफा देने वाला काम बन चुका है, क्योंकि भैंस का दूध ज्यादा गाढ़ा होता है और बाजार में इसकी खूब मांग रहती है. ऐसे में कई किसान इस बात को लेकर उलझन में रहते हैं कि मुर्रा भैंस लें या जाफराबादी भैंस. दोनों ही नस्लें देश की बेहतरीन भैंसों में गिनी जाती हैं. आइए जानते हैं कौन-सी नस्ल किसानों के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकती है.

दोनों नस्लें देश में सबसे ज्यादा पाली जाती हैं

मुर्रा और जाफराबादी  दोनों को भारत की श्रेष्ठ दुधारू भैंसों में गिना जाता है. मुर्रा भैंस की शुरुआत हरियाणा और पंजाब से मानी जाती है और अब इसे देशभर में पाला जाता है. वहीं जाफराबादी भैंस गुजरात के सौराष्ट्र और गिर क्षेत्र में पाई जाती है. इन दोनों नस्लों को किसान बड़े पैमाने पर पालते हैं, क्योंकि इनका दूध उत्पादन  अच्छा होता है और देखभाल भी ज्यादा मुश्किल नहीं होती.

मुर्रा भैंस की खासियतें

मुर्रा दुनियाभर में सबसे अच्छी दुधारू भैंस  मानी जाती है. इसका रंग काला होता है और सींग जलेबी की तरह मुड़े होते हैं. सिर छोटा, पूंछ लंबी और शरीर संतुलित दिखता है. मुर्रा भैंस की एक खास पहचान है इसके सिर, पूंछ और पैरों पर दिखाई देने वाले हल्के सुनहरे बाल. इसकी गर्भावधि लगभग 310 दिन रहती है. सबसे बड़ी बात-यह रोजाना 20 से 30 लीटर तक दूध दे देती है. यही वजह है कि डेयरी किसान मुर्रा को सबसे भरोसेमंद नस्ल मानते हैं.

जाफराबादी भैंस की पहचान और ताकत

जाफराबादी भैंस  का शरीर आकार में बड़ा और काफी मजबूत होता है. इसका रंग काला होता है लेकिन कभी-कभी ग्रे रंग की भी मिल जाती है. इस नस्ल के सींग लंबे और घुमावदार होते हैं. माथे पर सफेद निशान इसके असलीपन की पहचान माने जाते हैं. इसके कान लंबे होते हैं और त्वचा मुलायम व ढीली होती है. दूध देने की क्षमता भी शानदार-रोजाना 20 से 30 लीटर तक. एक ब्यांत में यह 1800 से 2000 लीटर तक दूध दे सकती है. इसका वजन भी ज्यादा होता है-लगभग 750 से 1000 किलो तक.

कीमत और मुनाफे के हिसाब से कौन बेहतर?

दूध देने के मामले में दोनों नस्लें लगभग बराबर हैं, इसलिए किसान अपनी जरूरत और बजट के हिसाब से इन्हें चुन सकते हैं. जाफराबादी भैंस की कीमत सामान्यत- 90 हजार से 1.5 लाख रुपये तक रहती है. वहीं मुर्रा भैंस की कीमत 50 हजार से 2 लाख रुपये तक जाती है. कीमत में फर्क कई कारणों से पड़ता है-दूध, उम्र, सेहत, और किस जगह से खरीद रहे हैं.

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Published: 9 Dec, 2025 | 09:22 PM

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