बंजर जमीन पर कैक्टस की खेती से हो रही जबरदस्त कमाई, जानिए इसके गजब के फायदे

उत्तर प्रदेश के विंध्याचल मंडल में अब कैक्टस की व्यावसायिक खेती की शुरुआत हो गई है. मिर्जापुर और सोनभद्र जैसे सूखे और पहाड़ी क्षेत्रों की जलवायु व मिट्टी को इस फसल के लिए अनुकूल माना गया है. यहां के किसान अब परंपरागत फसलों से आगे बढ़ते हुए कैक्टस जैसे नई और लाभकारी फसल की ओर रुख कर रहे हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 6 Aug, 2025 | 10:48 AM

किसानों के सामने कई बार ऐसी स्थितियां आती हैं जब उनके खेत उपजाऊ नहीं होते, जमीन पथरीली या बंजर होती है और सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी भी नहीं होता. ऐसे में खेती करना मुश्किल हो जाता है. लेकिन अब इसका भी समाधान निकल आया है-कैक्टस की खेती. यह न केवल कठिन परिस्थितियों में भी उगती है, बल्कि इससे अच्छी आमदनी भी हो सकती है. खास बात यह है कि उद्यान विभाग भी किसानों को कैक्टस की खेती में सहयोग कर रहा है.

कैक्टस की खेती क्यों फायदेमंद है?

बंजर भूमि पर भी उगता है कैक्टस
कैक्टस उन गिने-चुने पौधों में शामिल है जो बिना ज्यादा पानी, उर्वरक या अच्छे खेत के भी उग सकते हैं. यह सूखा प्रतिरोधी पौधा है और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी अच्छी तरह पनपता है. राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के शुष्क क्षेत्रों में यह खेती तेजी से बढ़ रही है.

पशु चारे का सस्ता और पोषक स्रोत
कैक्टस की कुछ खास प्रजातियां, जैसे कि ऑपंटिया (Opuntia), पशुओं के लिए चारे के रूप में बेहद उपयोगी हैं. इसके गूदेदार हिस्से में 90 फीसदी तक नमी होती है और यह ऊर्जा, फाइबर और मिनरल्स से भरपूर होता है. सूखे समय में हरे चारे का विकल्प बनने के कारण इसकी मांग लगातार बढ़ रही है.

जैविक खाद और बायोफ्यूल में उपयोग
कैक्टस से कम्पोस्ट खाद और बायोफ्यूल जैसे ईंधन भी बनाए जा रहे हैं. यह टिकाऊ कृषि की दिशा में बड़ा कदम है. कुछ देशों में कैक्टस का उपयोग बायोगैस प्लांट में हो रहा है क्योंकि इसमें हाई बायोमास होता है.

कॉस्मेटिक और औद्योगिक उपयोग
कैक्टस का रस और अर्क अब कास्मेटिक प्रोडक्ट्स, जैसे कि फेस क्रीम, मॉइस्चराइजर और हेयर सीरम में भी इस्तेमाल हो रहा है. इसके अलावा, इससे बनने वाले फाइबर से कपड़ा, बैग, शू लेदर जैसे उत्पाद भी बनाए जा रहे हैं.

कैक्टस पाउडर से बढ़ती आय
कैक्टस के पत्तों को सुखाकर उसका पाउडर बनाया जाता है, जिसे कई क्षेत्रों में औषधीय, पशु आहार और फूड सप्लीमेंट के रूप में बेचा जाता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कैक्टस पाउडर की अच्छी मांग है, जिससे किसानों को निर्यात का अवसर भी मिल सकता है.

मिट्टी का कटाव रोकने और कार्बन पृथक्करण में सहायक
कैक्टस की जड़ें मिट्टी को पकड़ कर रखती हैं, जिससे मिट्टी का कटाव नहीं होता. साथ ही, यह पौधा वातावरण से कार्बन सोखने में भी कारगर है, जिससे क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर को बढ़ावा मिलता है.

लागत कम, मुनाफा ज्यादा
कैक्टस की खेती की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें सिंचाई की जरूरत बहुत कम होती है. इसे एक बार लगाने के बाद सालों तक देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती. इसमें कीट और रोग भी कम लगते हैं, जिससे कीटनाशक या रासायनिक छिड़काव की लागत बचती है.

कौन सी कैक्टस प्रजातियां हैं खेती के लिए उपयोगी?

  • Opuntia ficus-indica (सबसे लोकप्रिय खाद्य और चारा प्रजाति)
  • Nopalea (उच्च पोषण गुणवत्ता वाली)
  • Cylindropuntia (सूखा सहनशील और सजावटी उपयोग के लिए)

कैसी जमीन चाहिए कैक्टस के लिए?

कम लागत, ज्यादा मुनाफा: सिंचाई, खाद, कीटनाशक जैसे खर्च बहुत कम होते हैं.

हर मौसम में टिकाऊ: यह पौधा मौसम की मार झेल सकता है, सूखा, गर्मी, यहां तक कि हल्की सर्दी भी.

बहुत से उपयोग: कैक्टस न सिर्फ सजावटी पौधा है, बल्कि इससे औषधीय उत्पाद, पशुओं के लिए चारा, जैविक खाद (कम्पोस्ट),और यहां तक कि बायोफ्यूल भी बनाया जा सकता है.

मिट्टी संरक्षण में मददगार: यह पौधा जमीन को कटाव से बचाता है और रेगिस्तान जैसी जगहों में हरियाली लाने में भी सहायक है.

विंध्याचल मंडल में कैक्टस की खेती की शुरुआत

उत्तर प्रदेश के विंध्याचल मंडल में अब कैक्टस की व्यावसायिक खेती की शुरुआत हो गई है. मिर्जापुर और सोनभद्र जैसे सूखे और पहाड़ी क्षेत्रों की जलवायु व मिट्टी को इस फसल के लिए अनुकूल माना गया है. यहां के किसान अब परंपरागत फसलों से आगे बढ़ते हुए कैक्टस जैसे नई और लाभकारी फसल की ओर रुख कर रहे हैं.

इस परियोजना के तहत अप्रैल 2025 से किसानों को कैक्टस के पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं. उद्यान विभाग की ओर से किसानों को न सिर्फ गुणवत्तापूर्ण पौधे दिए जा रहे हैं, बल्कि खेती की आधुनिक तकनीकों की जानकारी और प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, ताकि वे इस नई फसल से बेहतर उत्पादन और मुनाफा प्राप्त कर सकें.

इस पहल में अहम भूमिका निभा रही है ईर्काडा (IRCADA) संस्था, जिसने खासतौर पर इस क्षेत्र के लिए उपयुक्त किस्म के कैक्टस पौधे तैयार किए हैं. इन पौधों की विशेषता यह है कि ये कम पानी में भी अच्छे से पनप सकते हैं और इनसे विभिन्न औद्योगिक उपयोग के लिए उत्पाद जैसे कैक्टस जूस, जैल, पाउडर और दवाएं बनाई जा सकती हैं.

सोनभद्र में एक प्रोसेसिंग यूनिट भी स्थापित की जा रही है, जिससे किसान अपने उत्पाद स्थानीय स्तर पर बेच सकें और प्रसंस्करण से जुड़कर अधिक मुनाफा कमा सकें. इस यूनिट से किसानों को बाजार की तलाश में भटकना नहीं पड़ेगा, और उन्हें फसल का उचित मूल्य मिल सकेगा.

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