Bihar News : बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के ताजा आंकड़े बताते हैं कि राज्य में डेयरी सेक्टर लगातार मजबूत हो रहा है. गांवों में पशुपालन तेजी से बढ़ा है और इसका सीधा असर दूध उत्पादन पर दिखाई दे रहा है. आसान भाषा में कहें तो-बिहार के किसान अब डेयरी के जरिए पहले से ज्यादा कमाई कर रहे हैं और राज्य दूध उत्पादन में देशभर में तेजी से आगे बढ़ रहा है.
एक साल में 545 हजार टन ज्यादा दूध उत्पादन
पशुपालन एवं डेयरी विभाग, भारत सरकार के रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023-24 में बिहार का कुल अनुमानित दूध उत्पादन 12,852.99 हजार टन था. साल 2024-25 में यह बढ़कर 13,397.69 हजार टन पहुंच गया यानि सिर्फ एक साल में बिहार ने करीब 545 हजार टन अतिरिक्त दूध का उत्पादन कर डाला. यह बढ़ोतरी बताती है कि राज्य में डेयरी गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं और किसान इससे लगातार लाभ कमा रहे हैं.
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— Animal & Fisheries Resources Dept., Bihar (@BiharAFRD) December 7, 2025
बिहार की वृद्धि दर देश से ज्यादा
देशभर में दूध उत्पादन की वार्षिक वृद्धि दर 2024-25 में 3.58 फीसदी रही. वहीं बिहार ने इससे भी बेहतर प्रदर्शन करते हुए 4.24 फीसदी वृद्धि दर दर्ज की है. यह आंकड़े बताते हैं कि बिहार डेयरी सेक्टर में राष्ट्रीय औसत से कहीं तेजी से आगे बढ़ रहा है. सरकारी योजनाएं, प्रोटीन युक्त पशु आहार, बेहतर नस्लें, पशु टीकाकरण और किसानों को दी जा रही प्रशिक्षण सुविधाएं इस बढ़त के बड़े कारण माने जा रहे हैं.
पशुपालन ने बदल दी ग्रामीण अर्थव्यवस्था
बिहार अब दूध उत्पादन वृद्धि दर में देश में छठे स्थान पर पहुंच गया है, जो साबित करता है कि पशुपालन राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत सहारा बन चुका है. डेयरी से न सिर्फ बड़े किसान, बल्कि छोटे और सीमांत किसान भी अच्छी कमाई कर रहे हैं. 2-3 दुधारू पशुओं के सहारे हजारों परिवार अपनी आय बढ़ा रहे हैं. सरकारी योजनाएं, टीकाकरण, पोषक आहार और दूध खरीद केंद्रों की बढ़ती संख्या किसानों की आमदनी में लगातार सुधार ला रही है. सरकार की ओर से पशुओं के लिए मुफ्त टीकाकरण, सब्सिडी पर चारा बीज वितरण, पशु इलाज, कृत्रिम गर्भाधान और दूध विपणन की बेहतर व्यवस्था ने किसानों को डेयरी अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है. राज्य में कई पंचायतों में दूध संग्रह केंद्र खुल रहे हैं, जिससे किसानों को अपने गांव से ही उचित दाम मिल रहे हैं. सहकारी समितियों ने भी दूध की खरीद बढ़ाई है, जिससे छोटे किसानों की आमदनी लगातार बढ़ रही है.