कपास की बढ़ती मांग के बीच CCI ने बेचीं 67 लाख गांठें, अब तेजी से बढ़ रही हैं कीमतें

इस बार प्राइवेट व्यापारियों के पास कपास का भंडार बहुत सीमित रह गया है. दूसरी ओर, कपड़ा मिलें और व्यापारी दोनों ही अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए तेजी से कपास खरीद रहे हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 15 Jul, 2025 | 10:21 AM

देश में एक बार फिर से कपास की मांग ने जोर पकड़ लिया है. सरकारी संस्था भारतीय कपास निगम (CCI) ने इस खरीफ सीजन 2024-25 में अब तक 67 लाख से ज्यादा गांठ कपास (हर गांठ 170 किलो की) बेच दी है. यह बिक्री ऐसे वक्त हो रही है जब मिलों और व्यापारियों के पास स्टॉक लगभग खत्म हो चुका है और नई फसल के आने में अभी महीनों का वक्त है.

क्यों बढ़ी CCI के कपास की डिमांड?

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, इस बार प्राइवेट व्यापारियों के पास कपास का भंडार बहुत सीमित रह गया है. दूसरी ओर, कपड़ा मिलें और व्यापारी दोनों ही अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए तेजी से कपास खरीद रहे हैं. चूंकि CCI इस वक्त सबसे बड़ा स्टॉक होल्डर है, इसलिए बाजार में उसका माल हाथों-हाथ लिया जा रहा है.

ऑल इंडिया कॉटन ब्रोकर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष और रायचूर के सोर्सिंग एजेंट रामानुज दास बूब के मुताबिक, “कपास की मांग अच्छी बनी हुई है और लगातार बढ़ रही है. पहले CCI ने कीमतें कम रखीं जिससे खरीदार आकर्षित हुए, लेकिन अब वह धीरे-धीरे दाम बढ़ा रहा है.”

मिलों और व्यापारियों की जबरदस्त खरीदारी

बाजार के जानकारों का कहना है कि ज्यादातर स्पिनिंग मिलें अपनी जरूरत का कपास पहले ही खरीद चुकी हैं और कुछ व्यापारी भी दोबारा बिक्री के लिए अच्छी मात्रा में माल उठा चुके हैं. अक्टूबर तक नई फसल आने की संभावना नहीं है, इसलिए मौजूदा स्टॉक की मांग बनी रहेगी.

धागे की कीमतों में भी सुधार

कपास के साथ-साथ धागे (यार्न) की कीमतों में भी थोड़ा सुधार देखा गया है. जहां कुछ समय पहले एक कैंडी (356 किलो) की कीमत 50,000–55,500 रुपये के बीच थी, वहीं अब यह बढ़कर 57,000 रुपये तक पहुंच गई है.

स्टॉक और उत्पादन के नए आंकड़े

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार, इस बार सीजन के अंत तक करीब 55.59 लाख गांठों का स्टॉक बचे रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के मुकाबले 84 फीसदी ज्यादा है. इसका कारण यह है कि अब कुल कपास उत्पादन का अनुमान 311.40 लाख गांठ तक पहुंच चुका है, जो पहले 301.14 लाख गांठ आंका गया था.

मिलों में सतर्कता बरकरार

हालांकि बाजार में खरीदारी का माहौल है, लेकिन धागे की कमजोर मांग के चलते कई मिलें अभी भी सतर्क हैं. भारत में ज्यादातर जिनिंग यूनिट बंद पड़ी हैं और कच्ची कपास (कपास का फूल) की आवक सीमित है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 15 Jul, 2025 | 10:20 AM

फलों की रानी किसे कहा जाता है?

फलों की रानी किसे कहा जाता है?