84 फीसदी बढ़ा कपास का भंडार, लेकिन निर्यात में गिरावट ने बढ़ाई किसानों की चिंता

एक तरफ निर्यात घट रहा है, तो दूसरी ओर आयात में दोगुने से भी ज्यादा की तेजी देखने को मिल रही है. 2024-25 में कपास आयात का अनुमान 39 लाख गांठ तक पहुंच गया है, जो पिछले साल 15.2 लाख गांठ था.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 12 Jul, 2025 | 10:08 AM

देश में कपास की खेती इस समय एक दिलचस्प मोड़ पर है. एक ओर जहां उत्पादन और बुवाई के आंकड़े बेहतर हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर निर्यात में भारी गिरावट और आयात में तेजी चिंता बढ़ा रही है. कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) की ताजा रिपोर्ट ने कपास के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. आइए जानते हैं कि इस सीजन में कपास की तस्वीर क्या कहती है और इसका असर किसानों, मिलों और बाजार पर क्या पड़ सकता है.

84 फीसदी की उछाल

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, सितंबर 2025 में खत्म हो रहे कपास सीजन के अंत तक देश में कपास का क्लोजिंग स्टॉक करीब 55.59 लाख गांठ (हर गांठ 170 किलो) तक पहुंच सकता है. पिछले साल के 30.19 लाख गांठ के मुकाबले यह लगभग 84 फीसदी की बड़ी बढ़त मानी जा रही है. ये आंकड़े साफ दिखाते हैं कि देश में कपास की उपलब्धता इस बार काफी ज्यादा है, लेकिन इसका हर पक्ष सुखद नहीं है.

बढ़ा उत्पादन, कई राज्यों में पेराई तेज

CAI के अध्यक्ष अतुल गणात्रा के अनुसार इस बार कपास का उत्पादन अनुमान भी बढ़ाकर 311.40 लाख गांठ कर दिया गया है, जो पहले 301.14 लाख गांठ था. गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों में मिलों ने बड़ी मात्रा में कपास की पेराई की है. उदाहरण के तौर पर, महाराष्ट्र में 5 लाख गांठ, तेलंगाना और गुजरात में 1.5-1.5 लाख गांठ अतिरिक्त पेराई दर्ज की गई है.

निर्यात में बड़ी गिरावट

जहां घरेलू खपत अब 308 लाख गांठ तक पहुंच सकती है, वहीं निर्यात को लेकर तस्वीर काफी निराशाजनक है. इस साल भारत से कपास निर्यात सिर्फ 17 लाख गांठ रहने का अनुमान है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 28.36 लाख गांठ था. यानी करीब 40 फीसदी की गिरावट. इस गिरावट का एक बड़ा कारण वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा और कीमतों की अस्थिरता मानी जा रही है.

बंदरगाहों पर पहले से जमी हैं गांठें

एक तरफ निर्यात घट रहा है, तो दूसरी ओर आयात में दोगुने से भी ज्यादा की तेजी देखने को मिल रही है. 2024-25 में कपास आयात का अनुमान 39 लाख गांठ तक पहुंच गया है, जो पिछले साल 15.2 लाख गांठ था. इतना ही नहीं, जून के अंत तक ही लगभग 30 लाख गांठ कपास पहले से ही देश के बंदरगाहों पर पहुंच चुकी हैं.

बुवाई भी तेज, किसानों के लिए उम्मीद

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 7 जुलाई तक देश में 79.54 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की बुवाई हो चुकी है, जो पिछले साल के मुकाबले थोड़ी ज्यादा है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसान अब भी कपास में भरोसा बनाए हुए हैं.

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