ये हैं मछलियों की उन्नत प्रजाति, तेजी से बढ़ता है वजन.. कुछ ही महीनों में शुरू हो जाएगी कमाई

मछली पालन करने वाले किसानों के लिए सही वैरायटी चुनना सबसे जरूरी है. कुछ मछलियां कम मेहनत, कम खर्च और कम जगह में भी तेजी से बढ़ती हैं. बाजार में उनकी हमेशा मांग रहती है और कई किस्में सिर्फ छह से आठ महीने में बेचने लायक हो जाती हैं. ऐसे में किसान आसानी से बड़ी कमाई कर सकते हैं.

Saurabh Sharma
नोएडा | Updated On: 29 Nov, 2025 | 01:03 PM

Fish Farming : गांव के तालाब के किनारे खड़े होकर अगर कभी आपने यह सोचा हो कि थोड़ी-सी जगह और थोड़ी-सी मेहनत से अच्छी आमदनी हो सकती है, तो मछली पालन आपके लिए सबसे बेहतर विकल्प है. मछलियां न सिर्फ तेजी से बढ़ती हैं, बल्कि बाजार में उनकी हमेशा मांग रहती है. सही वैरायटी चुन ली जाए, तो किसान कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इसी वजह से आज देशभर के किसान इन खास मछलियों को पालकर आय बढ़ा रहे हैं. आइए जानते हैं सबसे बढ़िया मछली वैरायटी, जो कम मेहनत और कम खर्च में ज्यादा फायदा देती हैं.

कॉमन कार्प

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कॉमन कार्प ऐसी मछली है, जो ठंड और गर्मी  दोनों मौसम में तेजी से बढ़ती है. यह दलदली और कम गहराई वाले तालाबों में भी अच्छी तरह से बढ़ जाती है, इसलिए छोटे किसानों के लिए यह बहुत फायदेमंद है. कॉमन कार्प 8-10 महीने में 1-2 किलो तक पहुंच जाती है. बाजार में इसकी लगातार मांग रहती है, इसलिए बिक्री की चिंता नहीं रहती. तालाब के पानी की हफ्ते में एक बार जांच करना जरूरी है, ताकि मछली की ग्रोथ अच्छी बनी रहे.

रोहू-कतला-मृगल

भारत में रोहू सबसे ज्यादा बिकने वाली मछली है और बाजार में हमेशा अच्छी कीमत दिलाती है. रोहू ठंडे और गर्म दोनों मौसम में तेजी से बढ़ती है और 6-8 महीने में 1 किलो की हो जाती है. इसके लिए पानी का pH 7-8 के बीच होना चाहिए. दूसरी तरफ, कतला मछली रोहू से भी तेजी से बढ़ती है और सिर्फ 6 महीने में मार्केट के लिए तैयार हो जाती है. कतला की बाजार में काफी मांग है और इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है. मृगल मछली कम बीमार  पड़ती है और 6-8 महीने में तैयार हो जाती है. पालन लागत कम होने के कारण यह किसानों के लिए बहुत फायदे की होती है. एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि रोहू, कतला और मृगल तीनों को एक साथ पालना चाहिए, क्योंकि ये अलग-अलग स्तर पर खाना खाती हैं और तालाब में एक-दूसरे की ग्रोथ पर असर नहीं डालतीं. तालाब में पानी भरने से पहले 200-250 किलो चुना डालना जरूरी है, जिससे मछली स्वस्थ रहती है.

पंगास

पंगास मछली आज देशभर में तेजी से लोकप्रिय हो रही है, खासकर छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा पाली जाती है. यह कम ऑक्सीजन में भी आसानी से जीवित रहती है और इसमें बीमारी बहुत कम लगती है. सिर्फ 6-7 महीने में यह 1 किलो तक पहुंच जाती है, जिससे जल्दी आय मिलती है. कम खर्च में ज्यादा उत्पादन होने के कारण छोटे किसानों के लिए यह बेहद लाभदायक विकल्प है. हर हफ्ते पानी की जांच जरूरी है, ताकि ग्रोथ लगातार बनी रहे.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 29 Nov, 2025 | 12:51 PM

आम धारणा के अनुसार अमरूद की उत्पत्ति कहां हुई?

Side Banner

आम धारणा के अनुसार अमरूद की उत्पत्ति कहां हुई?