झारखंड में कोयला खदान के गड्डों में मछली पालन, किसान ऐसे कर रहे बंपर कमाई

झारखंड में पुराने कोयला खदान के गड्ढों को मछली पालन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. रामगढ़ की कुजू फिशरमेन सोसाइटी ने सरकारी सब्सिडी और DMFT फंड से 126 केज लगाए, जिससे 50 टन मछली उत्पादन हुआ.

नोएडा | Updated On: 28 Jun, 2025 | 05:46 PM

झारखंड के कोयला क्षेत्र में अब खाली और पानी से भरे पुराने खदान गड्ढे आमदनी का जरिया बन रहे हैं. इन छोड़े गए गड्ढों को मछली पालन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे विस्थापित लोगों को रोजगार मिल रहा है और ग्रामीण इलाकों में प्रोटीन की कमी भी दूर हो रही है. राज्य में ऐसे करीब 1,741 पुराने कोयला खदान गड्ढे हैं, जिनमें से कई 1980 के दशक से खाली पड़े हैं. नियमों के मुताबिक, कोयला कंपनियों को इन गड्ढों का वैज्ञानिक ढंग से बंद करना होता है, लेकिन लागत ज्यादा होने के कारण यह काम अधूरा रह गया.

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, रामगढ़ जिले के 22 एकड़ में फैले ‘आरा कोल पिट’ को अब एक सफल मछली पालन केंद्र बना दिया गया है. यहां से चलने वाली ‘कुजू फिशरमेन कोऑपरेटिव सोसाइटी’ अब एक मिसाल बन चुकी है. इस पहल की शुरुआत शशिकांत महतो ने 2010 में की थी, जब उनके पास न तो सुविधाएं थीं और न ही अनुभव. उन्होंने बस ऐसे ही पानी भरे गड्ढे में मछलियों का बीज डाला और अच्छी पैदावार मिली. उनकी पहली बड़ी पकड़ एक 15 किलो की कतला मछली थी, जिसने उन्हें सरकारी मेले में पहला इनाम दिलाया. 5,000 रुपये की इनामी राशि के साथ चार मछली पालन केज (जाल) भी मिले.

केज लगाकर 6-7 टन मछली उत्पादन

2012 तक उन्होंने 6x4x5 मीटर के चार केज लगाकर 6-7 टन मछली उत्पादन शुरू कर दिया. इसके बाद शशिकांत और गांव के अन्य लोगों ने मिलकर कुजू फिशरमेन कोऑपरेटिव सोसाइटी बनाई. इस सामूहिक प्रयास की बदौलत उन्हें केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं जैसे ‘नेशनल मिशन फॉर प्रोटीन सप्लीमेंट्स’ और जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) से मदद मिली. आज यह सोसाइटी 22 एकड़ के आरा कोल पिट में 126 मछली केज चला रही है, जिसमें 68 सदस्य सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. यह इलाका सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) के अंतर्गत आता है.

100 फीसदी सब्सिडी से तैयार की गई केज

झारखंड में पुराने, पानी से भरे कोयला खदान गड्ढों को मछली पालन के लिए इस्तेमाल करने की यह पहल अब एक बड़ी कामयाबी बन चुकी है. कुजू फिशरमेन कोऑपरेटिव सोसाइटी की पूरी 4 करोड़ रुपये की केज फिशिंग संरचना सरकार की 100 फीसदी सब्सिडी से तैयार की गई है. पिछले साल सोसाइटी ने आरा कोल पिट से 40 टन मछली (मुख्यतः पंगासियस और मोनोसेक्स तिलापिया) का उत्पादन किया, जिसे स्थानीय बाजारों और बिहार में बेचा गया. साथ ही, एक और 16 एकड़ के पुराने गड्ढे (1988 से खाली) में भी मछली पालन शुरू किया गया, जहां 10 टन मछली तैयार की गई.

इस वजह से संभव हुआ मछली पालन

संगठन के सचिव शशिकांत महतो ने कहा कि हमने खदान के लिए अपनी जमीन दी थी, लेकिन पुराने गड्ढों में मछली पालन शुरू करने के लिए हमें कोल कंपनी से NOC (No Objection Certificate) लेना पड़ता है. राज्य सरकार की मदद से जिला कलेक्टर ने जरूरी मंजूरी दी, जिससे मछली पालन संभव हो सका.

Published: 28 Jun, 2025 | 05:46 PM