किसी भी फसल के बेहतर उत्पादन के लिए बेहद जरूरी है कि उसकी बुवाई के समय पूरी प्रक्रिया सही ढंग से की गई हो. बीज बुवाई भी इस पूरी प्रक्रिया का एक हिस्सा है. सही ढंग से बीज बुवाई करना फसल से बेहतर उत्पादन पाने के लिए बहुत ही जरूरी है. इसके लिए बुवाई से पहले किसानों को ये जांचना जरूरी है कि बीज असली है या नकली. आज बाजार में कई कंपनियां फसलों के नकली बीजों की बिक्री कर रही हैं. ऐसे में नकली बीज के कारण न केवल किसानों की फसल बर्बाद होती है बल्कि उन्हें भारी नुकसान भी उठाना पड़ता है. किसानों को नकली बीज से सावधान करने के लिए उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है.
इन बातों का रखें ध्यान
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के द्वारा जारी की गई एडवाइजरी के अनुसार किसानों को ये सलाह दी गई है कि बीज खरीदते समय किसान बीज के पैकेट पर बीज प्रमाणन का टैग जरूर देख लें और साथ ही पैकेट पर एकस्पाइरी डेट भी देखें. किसान बीज की पैकेजिंग पर जरूर ध्यान दें यानी पैकेट सीलबंद हो तो ही खरीदें. इसके अलावा किसानों को यह भी सलाह दी जाती है कि वे सरकार द्वारा अधिकृत विक्रेताओं से ही बीज खरीदें. किसान चाहें को बीज परीक्षण प्रयोगशालाओं में भी बीजों की जांच करा सकते हैं.
असली-नकली की करें पहचान
बीजों के असली या नकली होने की पहचान किसान आसानी से खुद भी कर सकते हैं. सबसे पहले बीजों को गीले कपड़े में लपेटकर उन्हें दो से तीन दिन के लिए गर्म जगह पर रखें. ऐसा करने के बाद अगर 80 फीसदी या उससे ज्यादा बीज अंकुरित होते हैं तो वो बीज सही माने जाते हैं. असली बीजों की पहचान होती है कि वे एक ही रंग और एक ही आकार के होते हैं. जबकि नकली बीजों का रंग हल्का या ज्यादा गहरा हो सकता है और आकार में भी नकली बीज एक जैसे नहीं होते हैं.
नकली बीज से होने वाले नुकसान
नकली बीज से उगाई गई फसलों की अंकुरण दर बहुत ही कम होती है. कई बार तो ऐसा भी होता है कि पौधे निकलते ही नहीं, या निकलते भी हैं तो कमजोर और रोगग्रस्त होते हैं. ऐसे में वो किसान जो एक सीजन के लिए बीज, खाद, कीटनाशक, सिंचाई, मजदूरी पर भारी निवेश करता है, नकली बीज उसकी पूरे निवेश को डुबा देते हैं. इसके अलावा बीज खराब निकलने के बाद किसान के पास दोबारा बुवाई का समय नहीं बचता और पूरा साइकिल ही गड़बड़ा जाता है. नकली बीजों से हुए नुकसान की भरपाई आसान नहीं होती. कई किसानों को कर्ज में डूबने की नौबत आ जाती है. कभी-कभी किसान आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते हैं.