यूपी सरकार ने कृषि श्रमिकों को दिया बड़ा गिफ्ट, बढ़ाई मजदूरी.. अब रोज मिलेंगे इतने रुपये

उत्तर प्रदेश सरकार ने कृषि मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी 252 रुपये प्रतिदिन तय की है. यह फैसला पारंपरिक खेती व सहायक क्षेत्रों के लाखों मजदूरों को लाभ पहुंचाएगा. मजदूरी नकद, वस्तु या डिजिटल रूप में दी जा सकेगी.

नोएडा | Updated On: 26 Jul, 2025 | 12:04 PM

उत्तर प्रदेश सरकार ने कृषि क्षेत्र के मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी दरों में बड़ा बदलाव किया है. अब राज्य भर के वयस्क कृषि मजदूरों को 252 रुपये प्रतिदिन (महीने में 6,552 रुपये) की न्यूनतम मजदूरी मिलेगी. इस फैसले से परंपरागत खेती के साथ-साथ पशुपालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन और मशरूम उत्पादन जैसे सहायक क्षेत्रों में काम करने वाले लाखों मजदूरों को फायदा होगा. सरकार का कहना है कि इससे ग्रामीण मजदूरों को बेहतर आर्थिक सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन मिलेगा.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,  श्रम एवं रोजगार विभाग के प्रमुख सचिव एमके शन्मुग सुंदरम ने कहा कि यह नई मजदूरी दर यूपी की सभी कृषि गतिविधियों पर लागू होगी. जैसे फसल उत्पादन, मंडियों तक फसल पहुंचाना, डेयरी, पशुपालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन और उनसे जुड़ा सहायक काम. राज्य सरकार ने साफ किया है कि मजदूरी अब नकद, आंशिक रूप से नकद, उपज (जैसे अनाज) या डिजिटल तरीकों से भी दी जा सकती है. लेकिन हर स्थिति में मजदूरी तय की गई न्यूनतम दर से कम नहीं होनी चाहिए. इससे गांवों में डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा मिलेगा और भुगतान में पारदर्शिता आएगी.

दैनिक मजदूरी का छठा हिस्सा होनी चाहिए

सरकार ने अस्थायी (शॉर्ट-टर्म) मजदूरों के लिए भी नियम तय किया है. उनके लिए प्रति घंटे की मजदूरी कम से कम दैनिक मजदूरी का छठा हिस्सा होनी चाहिए. अगर किसी मजदूर को पहले से नई न्यूनतम मजदूरी से ज्यादा भुगतान मिल रहा है, तो वही भुगतान आगे भी जारी रहेगा और उसी को उनकी न्यूनतम मजदूरी माना जाएगा. यह फैसला सिर्फ मजदूरी तय करने का नहीं है, बल्कि यह यूपी की श्रम नीति में एक बड़ा बदलाव है. इससे लाखों ग्रामीण मजदूरों को सीधा फायदा होगा, खेती में काम की गुणवत्ता और स्थायित्व बढ़ेगा और ‘सबका साथ, सबका विकास’ के विजन के तहत समावेशी विकास को मजबूती मिलेगी.

मजदूरों के अधिकारों की रक्षा सरकार की प्राथमिकता

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार यह कह चुके हैं कि मजदूरों के अधिकारों की रक्षा उनकी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है. इससे पहले राज्य सरकार ने करोड़ों असंगठित मजदूरों को ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर कर उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ा था. नई मजदूरी दर की घोषणा भी उसी दिशा में एक अहम कदम है. सरकार का मकसद है कि मजदूरों को न्यायसंगत मजदूरी मिले और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिले. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस फैसले से यूपी सिर्फ एक अग्रणी कृषि उत्पादक राज्य ही नहीं, बल्कि मजदूरों की भलाई के लिए काम करने वाला एक कल्याणकारी राज्य भी बनेगा.

Published: 26 Jul, 2025 | 12:00 PM