धान के खेत में फैली गंभीर बीमारी, रुक जाता है फसल का विकास.. नहीं बनते हैं अन्न के दाने

हरियाणा में खरीफ फसलों पर वायरस, फंगल और कीटों का गंभीर असर पड़ा है. धान में Southern Rice Black Streaked Dwarf Virus और कपास में पिंक बॉलवर्म फैल रहे हैं.

नोएडा | Updated On: 19 Jul, 2025 | 11:36 AM

हरियाणा के किसानों को इस बार खरीफ सीजन में बड़ी कृषि संकट का सामना करना पड़ रहा है. प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में धान, कपास और गन्ने की फसलों पर एक साथ कई तरह की बीमारियां हमला कर रही हैं. वायरल, फंगल और कीटों के प्रकोप का असर कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहा है. इससे फसलों पैदावार में गिरावट की आशंका बढ़ गई है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, करनाल और आस-पास के जिलों में खासतौर पर परवाल और हाई-यील्डिंग (अधिक उत्पादन देने वाली) धान की किस्मों में सदर्न राइस ब्लैक स्ट्रिक्ड ड्वार्फ वायरस (Southern Rice Black Streaked Dwarf Virus) के लक्षण देखे जा रहे हैं. यह वायरस पौधों की बढ़त को रोक देता है, पत्तियां मुड़कर गहरी हरी हो जाती हैं. जबकि, जड़ें काली पड़ जाती हैं और अंत में दानों का भराव नहीं हो पाता. हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, उचानी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) के वरिष्ठ समन्वयक डॉ. महा सिंह ने कहा कि यह वायरस पौधों में पोषक तत्वों के अवशोषण को कम कर देता है, जिससे दानों का विकास रुक जाता है और पैदावार घट जाती है.

घट जाती है फसल की पैदावार

उन्होंने किसानों से अपील की कि वे अपनी फसलों पर नजर रखें और कोई भी असामान्य लक्षण दिखने पर तुरंत कृषि अधिकारियों को जानकारी दें. कर्नाल के उपनिदेशक कृषि डॉ. वजीर सिंह ने पुष्टि की है कि धान की फसल में यह बीमारी कुछ जगहों पर देखी गई है और कृषि विभाग लगातार प्रभावित खेतों की निगरानी कर रहा है. कैथल के कौल स्थित राइस रिसर्च स्टेशन ने चेतावनी दी है कि यह वायरस व्हाइट बैक्ड प्लांट हॉपर नामक कीट के जरिए फैलता है और इसके रोकथाम के लिए एडवाइजरी जारी की गई है. एक किसान ने कहा कि मैंने अपने खेत में बीमारी के लक्षण देखे तो तुरंत कृषि विभाग से संपर्क किया. अधिकारियों ने मुझे सही दवाओं का छिड़काव करने की सलाह दी.

कपास की फसल में भी फैली बीमारी

उधर, सिरसा जिले के डबवाली तहसील में कपास की फसल पर पिंक बॉलवर्म (गुलाबी सुंडी) के प्रकोप की शुरुआत हो चुकी है. यह कीट अगर समय रहते काबू में न आए तो पूरी फसल को बर्बाद कर सकता है. चुटाला, भरूखेड़ा और असाखेड़ा जैसे गांवों में कृषि अधिकारियों ने निरीक्षण और जागरूकता अभियान शुरू कर दिए हैं. सिरसा के उपनिदेशक कृषि डॉ. सुखदेव सिंह ने कहा कि शुरुआत में नीम आधारित जैविक दवाओं से उपचार करें. रासायनिक कीटनाशक केवल विशेषज्ञ की सलाह से ही इस्तेमाल करें.

गन्ना किसानों के सामने ये समस्या

किसानों को फेरोमोन ट्रैप, बर्ड पर्च लगाने और नियमित रूप से बॉल (कपास के फल) की जांच करने की भी सलाह दी गई है. यमुनानगर में गन्ना किसानों को एक साथ तीन बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें शामिल हैं पोका बोइंग (Pokkah Boeng) बीमारी, टॉप बोरर (ऊपरी सुरंग बनाने वाला कीट) और रस चूसने वाले कीट. हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) के रीजनल रिसर्च सेंटर और कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) दमला की संयुक्त टीम ने निरीक्षण.

Published: 19 Jul, 2025 | 11:34 AM