लहसुन (Garlic) भारतीय रसोई का एक अभिन्न हिस्सा है. लहसुन के बिना रसोई में किसी भी व्यंजन को बनान लगभग मुश्किल है. इसके स्वाद से खाने के जायके में चार चांद लग जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि लहसुन की खेती कैसे होती है. दरअसल, लहसुन की मांग बाजार में सालभर बनी रहती है. वैसे तो मुख्यता लहसुन रबी सीजन की फसल है लेकिन देश के कई हिस्सों में लहसुन की खेती खरीफ सीजन में भी की जाती है. ऐसे में किसानों के लिए लहसुन की खेती करना फायदे का सौदा साबित हो सकती है.
ऐसे करें खेत की तैयारी
लहसुन की खेती के लिए बलुई मिट्टी सबसे सही मानी जाती है. सबसे पहले किसान खेत की अच्छे से 2 से 3 बार गहरी जुताई कर लें. ताकि खेत की मिट्टी भुरभुरी हो सके. इसके साथ ही किसान इस बात का भी खास ध्यान रखें कि खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था हो.ध्यान रहे कि लहसुन की खेती के लिए मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.5 तक होना चाहिए.
बीजों का चयन और बुवाई का सही समय
लहसुन की खेती करने से पहले बेहद जरूरी है कि किसान उच्च गुणवत्ता वाले , स्वस्थ, बड़े और आकर्षक बीजों का चुनाव करें. लहसुन की कलियों को खेतों में 10 से 12 सेमी की दूरी पर लगाए, साथ ही पंक्तियों के बीच की दूरी 15 से 20 सेमी रखें. बीजों को मिट्टी में करीब 5 सेमी गहराई पर बोएं. बता दें कि लहसुन की प्रति हेक्टेयर खेती के लिए 500 किलों बीज (कलियों) की जरूरत होती है. बीज बुवाई के बाद लहसुन की फसल को पर्याप्ता मात्रा में खाद और उर्वरक दें. जैसे 5 से 8 टन वर्मीकम्पोस्ट या 20 से 25 टन पकी हुई गोबर की खाद.
खरीफ सीजन में लहसुन की खेती
वैसै तो लहसुन मुख्यता रबी सीजन की फसल है. लेकिन देश के कई हिस्सों में खरीफ सीजन में भी इसकी खेती की जाती है. इन राज्यों में मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और राजस्थान शामिल हैं. बता दें कि इन राज्यों में लहसुन की बुवाई जून से जुलाई के बीच होती है और इसकी फसल अक्टूबर से नवंबर के बीच पककर तैयार हो जाती है. बता दें कि लहसुन की उन्नत किस्मों की प्रति हेक्टेयर फसल से किसानों को 80 से 100 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है. जिससे किसाम करीब 1 से 3 लाख तक का शुद्ध मुनाफा भी कमा सकते हैं.