अब सिंचाई की नहीं होगी दिक्कत, राजस्थान-MP सहित इन राज्यों को मिलेगा सिंधु का पानी!

पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि निलंबन को देशभर में समर्थन मिल रहा है. पूसा में आयोजित संवाद कार्यक्रम में किसान संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 20 May, 2025 | 01:43 PM

अब किसानों को सिंचाई के लिए पानी की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ेगा. उन्हें उनके हक का पानी मिलेगा. खास कर हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश को सिंधु सहित अन्य नदियों का पानी उनके खेतों तक पहुंचेगा. क्योंकि सिंधु जल संधि निलंबन के बाद केंद्र सरकार सिंधु सहित 6 नदियों का पानी पूरी तरह से भारत में इस्तेमाल करने पर विचार कर रही है. कहा जा रहा है कि सरकार इसके लिए भविष्य में बड़ी परियोजना पर काम कर सकती है. वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री भी इस बात को लेकर संकेत दे चुके हैं. वहीं, किसान संगठनों ने भी केंद्र सरकार से अपील की है कि वह सिंधु नदी के पानी का राज्यों में उपयोग सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए. खासकर हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों को हक का मिले, जिससे वे इतने सालों तक वंचित रहे हैं.

दरअसल, किसान संगठनों द्वारा रविवार को दिल्ली के पूसा परिसर स्थित शिंदे सभागृह में संवाद कार्यक्रम आोजित किया गया था, जिसमें कई राज्यों के किसान संगठनों ने हिस्सा लिया था. क्रार्यक्रम के दौरान सभी किसानों नेताओं ने एक सुर से मोदी सरकार के सिंधु जल संधि संबंधी निर्णय का स्वागत किया. इस कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी उपस्थित थे. उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा है कि सिंधु जल संधि हमारे देश की जनता के लिए एक तरह का अन्याय था.

पाकिस्तान को दिए 83 करोड़ रुपये

शिवराज ने कहा कि संधि के समय पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे. उन्होंने संधि में 80 फीसदी पानी पाकिस्तान को दे दिया. पंडित जवाहरलाल नेहरू पाकिस्तान को केवल पानी ही नहीं दिए, बल्कि पानी के साथ 83 करोड़ रुपये भी दिए, जिसकी वर्तमान में कीमत 5 हजार 500 करोड़ रुपये है. शिवराज सिंह ने कहा कि जल विशेषज्ञों के विरोध के बावजूद पं. नेहरू ने संधि के लिए विवश किया था. अपने किसानों का पेट काटकर हम उनको पानी दे रहे थे, जो आतंकियों को पैदा करने के लिए जवाबदार है.

पैसे देकर शांति खरीदने की कोशिश

शिवराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक अन्याय को समाप्त किया. इस पानी का उपयोग अब देश एवं किसानों के हित में किया जाएगा. शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अटल जी ने 1960 में संसद में भाषण देते हुए इस जल संधि का विरोध किया था और कहा कि ये नहीं होना चाहिए था. कृषि मंत्री के मुताबिक, उस समय पं. नेहरू चाहते तो पाकिस्तान को कम पानी देकर भी तैयार कर लेते. पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने कहा कि ये संधि तो होती नहीं, अगर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू इसमें दखल नहीं देते. एक बहस के दौरान पं. नेहरू ने ये कहा कि हमने 83 करोड़ रुपये देकर शांति खरीदी है, ये कैसी शांति थी, पानी भी गया, पैसा भी गया.

किसान नेता रहे उपस्थित

किसान संगठनों ने भरोसा दिलाया है कि देश पर जब भी कोई मुश्किल आती है, किसान मजबूती से साथ खड़े रहते हैं. उन्होंने कहा कि किसानों के खून में हौसला और जुनून होता है. किसान किसी भी अन्याय को सहन नहीं करते और जहां भी अन्याय होता है, उसके खिलाफ डटकर खड़े होते हैं. इस कार्यक्रम में किसान संगठनों की ओर से अशोक बालियान, धर्मेंद्र मलिक, सत्यनारायण नेहरा, कृपा सिंह नाथूवाला, सतविन्द्र सिंह कलसी, मानकराम परिहार, सतीश छिकारा, बाबा श्याम सिंह, बाबा मूलचंद सेहरावत, प्रो. वीपी सिंह, राजेश सिंह चौहान, सुशीला बिश्नोई और रामपाल सिंह जाट ने अपने विचार रखे.

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Published: 20 May, 2025 | 12:08 PM

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