खेत बनेगा सोने की खदान: एकड़ में उगाएं यह सब्जी और पाएं लाखों रुपए तक की कमाई

जिमीकंद एक लाभकारी और पौष्टिक फसल है, जिसकी खेती से न केवल सेहत बल्कि आर्थिक रूप से भी फायदा होता है. इसे सफलतापूर्वक उगाने के लिए कुछ विशेष ध्यान रखना जरूरी है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 18 Aug, 2025 | 03:25 PM

जिमीकंद न केवल स्वाद और पौष्टिकता में भरपूर है, बल्कि यह किसानों के लिए आमदनी का भी एक अच्छा जरिया बन सकता है. इसे गरीबों का मटन भी कहा जाता है क्योंकि यह पौष्टिकता में मटन के बराबर लाभकारी है. बाजार में इसकी लगातार मांग रहती है, जिससे इसकी खेती से अच्छे पैसे कमाए जा सकते हैं. आइए जानते हैं कि जिमीकंद की खेती कैसे की जाए और इसके फायदे क्या हैं.

जिमीकंद खाने के फायदे

जिमीकंद सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है. यह पाचन को मजबूत करता है और बवासीर जैसी समस्याओं में राहत देता है. जिमीकंद न्यूट्रिशन से भरपूर होता है और वजन घटाने में मदद करता है. इसके अलावा यह मेनोपॉज के लक्षणों में सुधार लाता है और महिलाओं में एस्ट्रोजन के स्तर को बढ़ाने में सहायक होता है. नियमित सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है.

जिमीकंद की खेती कैसे करें

जिमीकंद एक लाभकारी और पौष्टिक फसल है, जिसकी खेती से न केवल सेहत बल्कि आर्थिक रूप से भी फायदा होता है. इसे सफलतापूर्वक उगाने के लिए कुछ विशेष ध्यान रखना जरूरी है.

1. मिट्टी और भूमि की तैयारी

जिमीकंद की खेती के लिए हल्की, भुरभुरी और समतल मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. भूमि में नमी बनी रहे और जल निकासी सही हो, यह भी जरूरी है. खेत की अच्छी जुताई करें ताकि मिट्टी ढीली और हवादार हो जाए. मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद या कम्पोस्ट मिलाना फसल की उर्वरता बढ़ाने में मदद करता है.

2. कंदों का चयन और रोपण

जिमीकंद के लिए स्वस्थ और रोगमुक्त कंद चुनना बेहद जरूरी है. रोगग्रस्त या छिले हुए कंद से फसल में रोग फैल सकता है और उत्पादन प्रभावित होता है. खेत में कंद लगाने से पहले उन्हें 24 घंटे के लिए हल्के गर्म पानी में भिगोकर रखें, इससे अंकुरण जल्दी होगा. कंद को लगभग 15-20 सेंटीमीटर की दूरी पर और 5-7 सेंटीमीटर की गहराई में लगाएं.

3. सिंचाई और खाद

जिमीकंद की फसल को नियमित और संतुलित पानी की आवश्यकता होती है. अधिक पानी देने से कंद सड़ सकते हैं और कम पानी देने से वृद्धि प्रभावित होती है. खेत में ड्रिप इरिगेशन या साधारण पाइप सिस्टम से सिंचाई करना सबसे बेहतर होता है. साथ ही समय-समय पर फसल को नीत्रजन, फास्फोरस और पोटैशियम युक्त उर्वरक देने से उत्पादन बढ़ता है.

4. रखरखाव और कीट नियंत्रण

जिमीकंद की फसल को खरपतवार मुक्त रखना बहुत जरूरी है. इसके लिए खेत में नियमित रूप से निराई-गुड़ाई करें. फसल पर हल्की छाया बनाए रखने और कीटों से बचाने के लिए जैविक या प्रमाणित कीटनाशक का उपयोग किया जा सकता है.

5. फसल की कटाई

जिमीकंद की फसल लगभग 6 से 8 महीने में तैयार हो जाती है. जब पत्तियां पीली होने लगें और कंद मिट्टी से बाहर निकालने पर साफ दिखाई दें, तब फसल कटाई के लिए तैयार होती है. कटाई के बाद कंद को हल्की धूप में सुखाकर संग्रहित किया जा सकता है.

जिमीकंद से कमाई

जिमीकंद की खेती किसानों के लिए अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है. बाजार में इसकी कीमत लगभग 500 रुपये प्रति किलो तक होती है. यदि एक किसान सिर्फ एक एकड़ जमीन में ही इसकी खेती करता है, तो भी उसे अच्छी खासी आमदनी हो सकती है. इसकी लगातार मांग और उच्च पौष्टिकता इसे खेती के लिए बेहद लाभकारी विकल्प बनाती है.

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