उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में सोलर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाया है. राज्य सरकार लगभग 5,000 कृषि फीडरों को सोलराइज करने की योजना पर काम कर रही है, ताकि ट्यूबवेल और पंपसेट्स को दिन में 8 घंटे लगातार बिजली मिल सके. उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने अब तक करीब 80 फीसदी कृषि फीडरों को घरेलू फीडरों से अलग कर दिया है, जिससे किसानों को तय समय पर बेहतर और बिना बाधा बिजली मिल रही है.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, क्लीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने 100 से ज्यादा डेवलपर्स को 1,527 मेगावाट से अधिक क्षमता वाले सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए एग्रीमेंट लेटर (LoA) जारी किए हैं. ये प्लांट प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM) के C-2 योजना के तहत लगाए जाएंगे.
यूपी सरकार ने KUSUM C-2 योजना के तहत 2027 तक 2,000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य तय किया है. इस दिशा में अब तक 100 से ज्यादा डेवलपर्स को 1,527.2 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए एग्रीमेंट लेटर जारी किए जा चुके हैं. ये डेवलपर्स सौर प्लांट्स उन सब-स्टेशनों के पास लगाएंगे, जो अलग से कृषि फीडरों को बिजली सप्लाई करते हैं.
25 साल तक बिजली खरीदेगा UPPCL
इस योजना के तहत UPPCL इन सौर प्लांट्स से 2.99 रुपये प्रति यूनिट की दर से अगले 25 साल तक बिजली खरीदेगा. इससे डेवलपर्स को स्थिर कमाई और किसानों को लंबे समय तक आय का भरोसा मिलेगा. UPNEDA के परियोजना अधिकारी राकेश अग्रवाल ने कहा कि किसान या भूमि मालिक अपनी बंजर या खाली पड़ी जमीन को तय शर्तों पर सौर कंपनियों को लीज पर दे सकते हैं. इसके लिए UPNEDA ने एक ऑनलाइन पोर्टल भी बनाया है, जहां किसान मुफ्त में अपनी जमीन रजिस्टर कर सकते हैं. सोलर प्लांट्स उन सब-स्टेशनों के 5-10 किमी के दायरे में लगाए जा सकते हैं और एक मेगावाट क्षमता के लिए लगभग 4 एकड़ जमीन की जरूरत होती है.
केंद्र और राज्य सरकार से आर्थिक सहायता
इस योजना के तहत सोलर प्लांट लगाने वाले डेवलपर्स को वित्तीय सहायता भी दी जा रही है. इसमें प्रति मेगावाट 1.05 लाख रुपये की केंद्र सरकार से सहायता और 50 लाख रुपये की राज्य सरकार की ग्रांट मिलेगी. कुल मिलाकर डेवलपर्स को 1.55 रुपये करोड़ प्रति मेगावाट तक की मदद मिलेगी. इस योजना में किसान, किसान समूह, पंचायत, को-ऑपरेटिव, एफपीओ (FPO) और प्रोजेक्ट डेवलपर्स टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से भाग ले सकते हैं. चयनित सोलर डेवलपर किसानों की जमीन को 27 साल के लिए लीज पर लेगा, जो दोनों पक्षों की सहमति से तय किराए पर आधारित होगी. इससे किसानों को लंबे समय तक स्थिर आय मिलेगी.