गेहूं खरीद में 11 फीसदी का उछाल, 296 लाख टन के पार पहुंचा आंकड़ा.. महंगाई पर लगेगा ब्रेक

रबी सीजन 2024 में अब तक 296 लाख टन गेहूं की रिकॉर्ड खरीद हुई है, जो पिछले साल से 11 फीसदी ज्यादा है. मध्य प्रदेश और राजस्थान में खरीद बढ़ी है.

नोएडा | Published: 20 May, 2025 | 12:55 PM

इस साल देश में रिकॉर्ड तोड़ गेहूं की खरीद हो रही है. मौजूदा रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान बीते रविवार तक केंद्र सरकार ने 296 लाख टन से ज्यादा गेहूं खरीदा है, जो पिछले साल की पूरी खरीद से 11 फीसदी ज्यादा है. इससे सरकार के पास खाद्य सुरक्षा कानून के तहत अनाज उपलब्ध कराने और बाजार में दाम बढ़ने से रोकने के लिए अच्छा स्टॉक हो गया है. यानी गेहूं खरीद ज्यादा होने से केंद्र सरकार को महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी. ऐसे में आटे और इससे बने खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी होनी की संभावना कम रहेगी.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ राज्यों में गेहूं की खरीद अभी भी जारी है. ऐसे में सरकार को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में कुल खरीद 300 लाख टन से ज्यादा पहुंच सकती है. दिलचस्प बात यह है कि इस बार पंजाब और हरियाणा जैसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्यों में पिछले साल के मुकाबले कम खरीद हुई है, जबकि मध्य प्रदेश और राजस्थान में सरकारी खरीद में काफी बढ़ोतरी देखी गई है.

मध्य प्रदेश में अब तक 77.7 लाख टन गेहूं की खरीद

इस साल मध्य प्रदेश में अब तक 77.7 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है, जो पिछले साल की तुलना में 66 फीसदी ज्यादा है. वहीं राजस्थान में यह लगभग दोगुनी होकर 17.2 लाख टन पहुंच गई है.सूत्रों के मुताबिक पंजाब और हरियाणा में खरीद कम होने की वजह है निजी कंपनियों की बढ़ी हुई खरीद है. इस बार फसल अच्छी हुई है, इसलिए सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ निजी खरीदारों को भी भरपूर गेहूं मिल रहा है. एक अधिकारी ने कहा कि निजी कंपनियां न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ज्यादा दाम दे रही हैं, जो किसानों के लिए फायदेमंद है.

1,154 लाख टन गेहूं उत्पादन का अनुमान

कृषि मंत्रालय ने 2024-25 के लिए रिकॉर्ड 1,154 लाख टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया है. फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) करीब 184 लाख टन गेहूं प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और अन्य सामाजिक योजनाओं के तहत 80 करोड़ लाभार्थियों को देता है. 2021-22 सीजन में सरकार ने रिकॉर्ड 433 लाख टन गेहूं की खरीद की थी. लेकिन 2022-23 में फसल कम होने की वजह से यह घटकर सिर्फ 188 लाख टन रह गई. हालांकि 2023-24 में खरीद में फिर सुधार हुआ और यह करीब 40 फीसदी बढ़कर 262 लाख टन तक पहुंच गई.