दिल्ली से मुंबई तक: आवारा कुत्तों और रेबीज के खतरनाक आंकड़े, दुनिया के नियम क्या कहते हैं?

रेबीज एक 100 फीसदी घातक बीमारी है. सरकारी रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल लगभग 300 लोगों की मौत रेबीज के कारण होती है. WHO की रिपोर्ट बताती है कि वास्तविक संख्या बहुत अधिक है, लगभग 18,000- 20,000 लोग.

नोएडा | Updated On: 16 Aug, 2025 | 12:41 PM

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि आठ सप्ताह के अंदर सभी आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर डॉग शेल्टर होम में रखा जाए. इस फैसले ने दिल्ली-एनसीआर में हलचल मचा दी है. एक ओर लोग और माता-पिता बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, तो दूसरी ओर पशु अधिकार संगठन और कुत्ता प्रेमी इसे बेजुबानों पर अत्याचार मानकर विरोध कर रहे हैं. बच्चों के खुले में खेलने की आजादी और शहर में आवारा कुत्तों की लगातार बढ़ती संख्या इस विवाद को और भी बढ़ा रही है. आइए समझते हैं कि भारत में आवारा कुत्तों की समस्या कितनी बड़ी है और दुनिया के अन्य देशों में इसे कैसे संभाला जाता है.

भारत में आवारा कुत्तों की संख्या

भारत में आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है. 2019 की 20वीं पशु जनगणना के अनुसार, देश में कुल 1.53 करोड़ आवारा कुत्ते हैं. दिल्ली में 60,472 आवारा कुत्तों का अनुमान था, जो अब और बढ़ गया होगा.

सबसे ज्यादा आवारा कुत्ते उत्तर प्रदेश, ओडिशा और महाराष्ट्र में पाए जाते हैं. उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में 20 लाख से अधिक और महाराष्ट्र में 12.7 लाख आवारा कुत्ते हैं.

डॉग बाइट और खतरा

आंकड़े बताते हैं कि साल 2024 में देशभर में 37,15,713 कुत्तों के काटने के मामले सामने आए. केवल जनवरी 2025 में ही दिल्ली में 3,196 मामले दर्ज किए गए, यानी प्रतिदिन लगभग 103 लोग कुत्तों से प्रभावित हुए.

पिछले सालों के आंकड़े भी चिंता बढ़ाने वाले हैं-

2024: 25,210 (प्रतिदिन लगभग 69)

2023: 17,874 (प्रतिदिन लगभग 49)

2022: 6,691 (प्रतिदिन लगभग 18)

इन घटनाओं में बच्चों का सबसे ज्यादा नुकसान होता है. हर पांचवें पीड़ित में से एक बच्चा है. इसके अलावा, कुत्तों के काटने से रेबीज जैसी घातक बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है.

सबसे ज्यादा मामले किन राज्यों में?

2024 के आंकड़े बताते हैं कि कुत्तों के काटने के मामले केवल दिल्ली या किसी एक राज्य तक सीमित नहीं हैं. सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य हैं:

ये आंकड़े दिखाते हैं कि यह समस्या पूरे देश में बच्चों और आम लोगों की सुरक्षा के लिए चुनौती बन चुकी है.

रेबीज और मौतें

रेबीज एक 100 फीसदी घातक बीमारी है. सरकारी रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल लगभग 300 लोगों की मौत रेबीज के कारण होती है. WHO की रिपोर्ट बताती है कि वास्तविक संख्या बहुत अधिक है, लगभग 18,00020,000 लोग. इसका कारण यह है कि अधिकांश मामलों की रिपोर्ट स्थानीय स्तर पर नहीं होती.

भारत में नियम और नीति

केंद्र सरकार ने 2023 में संशोधित पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम लागू किए. इसके तहत आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के बाद उन्हें शहर में सुरक्षित जगह पर छोड़ा जा सकता है. इसका उद्देश्य है आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रित करना और रेबीज जैसी बीमारियों से सुरक्षा सुनिश्चित करना.

राज्यों के उदाहरण:

उत्तर प्रदेश: सार्वजनिक स्थान पर कुत्तों को खाना खिलाने पर कार्रवाई हो सकती है.

दिल्ली: नई नीति आवारा कुत्तों की संख्या गिनकर बनाई जाएगी.

मुंबई: आवारा कुत्तों को केवल चुनिंदा जगहों पर खाना खिलाना कानूनी है.

गोवा: 2017 के बाद रेबीज का कोई मामला नहीं आया.

अन्य देश कैसे निपट रहे हैं आवारा कुत्तों से

अमेरिका: अमेरिका में विशेषकर बड़े शहरों जैसे न्यूयॉर्क और लॉस एंजेलिस में आवारा कुत्तों की समस्या को नियंत्रण में रखने के लिए कई गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) सक्रिय हैं. ये संगठन आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में रखते हैं, जहां उन्हें पर्याप्त भोजन, स्वास्थ्य देखभाल और सुरक्षा दी जाती है. इन शेल्टर होम में कुत्तों के लिए नए मालिक की तलाश की जाती है. जब तक नया घर नहीं मिलता, तब तक ये कुत्ते शेल्टर में रहते हैं और कभी भी सड़कों पर नहीं छोड़े जाते. इसके अलावा, कुछ शहरों मेंएडॉप्शन फेयरआयोजित किए जाते हैं, जिससे लोग कुत्तों को गोद ले सकें.

ब्रिटेन: ब्रिटेन में स्थानीय जिला प्रशासन कानूनी रूप से आवारा कुत्तों की देखभाल करता है. कुत्तों को पकड़कर शेल्टर में रखा जाता है और उनके लिए नए मालिक की तलाश की जाती है. यदि कोई कुत्ता लंबे समय तक मालिकमिलने के कारण शेल्टर में सुरक्षित नहीं रखा जा सके, तो प्रशासन के पास उसे मारने का कानूनी अधिकार होता है. ब्रिटेन में कानून इस बात को सुनिश्चित करता है कि कुत्तों की संख्या नियंत्रित रहे और लोग सुरक्षित महसूस करें.

तुर्की: तुर्की में भी आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाने और शेल्टर होम में रखने का नियम है. यहां के स्थानीय निकाय आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर में भेजते हैं और उन्हें टीका लगाकर नसबंदी की जाती है. शेल्टर में रहने वाले कुत्तों के लिए खाना, पानी और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. इसके साथ ही प्रशासन कुत्तों की संख्या को संतुलित रखने के लिए नियमित सर्वे करता है.

सिंगापुर: सिंगापुर मेंएनीमल एंड वेटरनरी सर्विसेजनामक कानूनी निकाय आवारा कुत्तों की देखभाल करता है. यहां कुत्तों को पकड़कर टीकाकरण और नसबंदी की जाती है. इसके अलावा, हर कुत्ते को माइक्रोचिप लगाया जाता है ताकि यदि कुत्ता कहीं खो जाए या किसी जगह चला जाए तो उसका पता आसानी से लगाया जा सके. यह सिस्टमकेवल कुत्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है बल्कि शहर की सफाई और लोगों की सुरक्षा भी बनाए रखता है.

जापान: जापान में आवारा कुत्तों के लिए संतुलित नियम हैं. कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में रखा जाता है और उनके लिए नए मालिक की तलाश की जाती है. यदि कोई कुत्ता खतरनाक हो या किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हो, तो स्थानीय प्रशासन के पास उसे मारने का कानूनी अधिकार भी होता है. शेल्टर में रह रहे कुत्तों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है और उन्हें सुरक्षित वातावरण में रखा जाता है. रिपोर्ट- प्रतिभा सारस्वत

Published: 16 Aug, 2025 | 11:23 AM