सैकड़ों एकड़ धान में फैला ‘स्टंटिंग वायरस’, पैदावार में आ सकती है गिरावट.. बचाव के लिए करें ये उपाय

हरियाणा के कैथल जिले में धान की फसल पर SRBSDV वायरस का प्रकोप देखा गया है, जिससे 400 से 500 एकड़ भूमि प्रभावित हुई. यह संक्रमण व्हाइट-बैक्ड प्लांटहॉपर कीट से फैलता है. कृषि विशेषज्ञों ने कीटनाशक छिड़काव, खेत निरीक्षण और संक्रमित पौधों को नष्ट करने की सलाह दी है.

नोएडा | Updated On: 26 Jul, 2025 | 11:24 AM

हरियाणा के कैथल जिले में धान की फसल में नई बीमारी फैल गई है. इस बीमारी की पहचान संक्रामक ‘स्टंटिंग’ वायरस के रूप में हुई है. इसे साउदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रिक्ड ड्वार्फ वायरस (SRBSDV) भी कहा जाता है. इस वायरस से शुरुआती रोपाई वाले सैकड़ों एकड़ धान के खेत प्रभावित हुए हैं. इससे पहले यह वायरस करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला और यमुनानगर जिलों में फसल को नुकसान पहुंचा चुका है. इस समस्या को देखते हुए कृषि विभाग के अधिकारी, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU), कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और कौल स्थित राइस रिसर्च स्टेशन के वैज्ञानिक खेतों का निरीक्षण कर रहे हैं और किसानों को रोकथाम से जुड़ी सलाह दे रहे हैं.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, कैथल के उप निदेशक कृषि, डॉ. बाबू लाल ने कहा कि हमारे अधिकारी और विशेषज्ञ खेतों में जाकर नुकसान का आकलन कर रहे हैं. हम यह पता लगा रहे हैं कि कितने किसान और कितनी जमीन प्रभावित हुई है. हालांकि आधिकारिक आंकड़े अभी तैयार किए जा रहे हैं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक कैथल जिले में लगभग 400-500 एकड़ और करनाल में करीब 400 एकड़ धान की फसल इस वायरस की चपेट में आ चुकी है. यह संक्रमण खासतौर पर जल्दी रोपे गए, अधिक उत्पादन देने वाले धान की किस्मों जैसे PR-114, PR-128, PR-131 और कुछ हाइब्रिड किस्मों में ज्यादा देखा गया है.

इस तरह करें फसल का इलाज

यह वायरस मुख्य रूप से सफेद पीठ वाले कीट (व्हाइट-बैक्ड प्लांटहॉपर) के जरिए फैलता है. डॉ. बाबू लाल ने किसानों से कहा कि उन्हें सुबह और शाम दिन में दो बार अपने खेतों का निरीक्षण करना चाहिए, ताकि शुरुआती लक्षण समय पर पहचान कर इलाज किया जा सके. कृषि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस समय का तापमान (28 से 35 डिग्री सेल्सियस) और अधिक नमी वायरस के फैलने के लिए अनुकूल हैं, इसलिए समय पर कदम उठाना बेहद जरूरी है. प्लांटहॉपर कीट को नियंत्रित करने और वायरस के फैलाव को रोकने के लिए किसानों को सलाह दी गई है कि वे प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में 120 ग्राम ‘चेस’ या 80 ग्राम ‘ओशीन’ या ‘टोकेन’ दवा मिलाकर छिड़काव करें.

संक्रमित फसल को खेत से बाहर फेंके

इसके साथ ही, किसानों को संक्रमित पौधों को उखाड़कर मिट्टी में दबाने, खेतों की साफ-सफाई बनाए रखने और जलभराव से बचने की सलाह दी गई है, ताकि आगे नुकसान को रोका जा सके. कर्नाल के उप निदेशक कृषि, डॉ. वजीर सिंह ने कहा कि खेतों में सही जल निकासी और मेड़ों व नालियों की नियमित सफाई बहुत जरूरी है. किसानों को स्थानीय कृषि अधिकारियों से लगातार संपर्क में रहना चाहिए. फील्ड स्टाफ को सहयोग देने के लिए प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किए जा रहे हैं.

वायरस से हुए नुकसान की हो भरपाई

KVK करनाल व कैथल के वरिष्ठ समन्वयक, डॉ. महा सिंह ने कहा कि हमने कैथल में एक प्रशिक्षण सत्र किया है और कर्नाल में जल्द ही अगला सत्र होगा. उन्होंने यह भी कहा कि कौल स्थित राइस रिसर्च स्टेशन ने किसानों के लिए विस्तृत सलाह जारी की है. वायरस के तेजी से फैलने से परेशान कई धान किसानों ने प्रभावित फसल को जोतकर दोबारा रोपाई शुरू कर दी है. यह प्रक्रिया काफी महंगी है और इससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. भारतीय किसान यूनियन (सर छोटू राम गुट) के प्रवक्ता भदूर सिंह मेहला ने कहा कि सरकार को इस वायरस से हुए नुकसान की भरपाई किसानों को करनी चाहिए.

Published: 26 Jul, 2025 | 11:20 AM