
सरसों के तेल में प्राकृतिक गर्माहट और पाचन सुधारने वाले तत्व मौजूद होते हैं. इसे सही मात्रा में देने से कुछ ही दिनों में दूध की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार दिखता है.

गेहूं के आटे के साथ सरसों का तेल शाम को चारे के बाद देने से पेट संतुलित रहता है और पशु अधिक सक्रिय एवं चुस्त दिखाई देते हैं.

सरसों का तेल थकान और मांसपेशियों की जकड़न को दूर करता है. पशु अधिक आराम महसूस करते हैं और उनके दैनिक कामकाज में सक्रियता बढ़ती है.

मानसून या बदलते मौसम में यह छोटे-मोटे संक्रमणों और बीमारियों से पशुओं को बचाता है. यह प्राकृतिक ढाल की तरह काम करता है और पशुओं को स्वस्थ रखता है.

यदि मौसम या संक्रमण के कारण पशुओं की भूख कम हो जाती है, तो सरसों का तेल पेट को आराम देकर भूख बढ़ाने में मदद करता है, जिससे उनका वजन और स्वास्थ्य स्थिर रहता है.

गर्मी में शरीर को गर्म हवाओं से बचाता है, सर्दियों में ठंड से सुरक्षा देता है और मानसून में खांसी, जुकाम और संक्रमण से बचाव करता है. इसका असर हर मौसम में पशुओं को स्वस्थ रखने में रहता है.