पंजाब सरकार ने लंबे समय में पकने वाली धान की किस्म पूसा-44 और कुछ हाइब्रिड वैरायटीज की बिक्री, भंडारण और खेती पर रोक लगा दी है. यह फैसला पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (PAU), लुधियाना की सिफारिश पर लिया गया है. यह जानकारी हाल ही में मुख्य कृषि अधिकारी बलजिंदर सिंह भुल्लर ने दी. उन्होंने कहा कि लगातार धान की खेती से पंजाब में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है और पूसा-44 जैसी किस्में देर से पकती हैं, जिससे यह समस्या और बढ़ जाती है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि इसके अलावा, हाइब्रिड किस्मों को बेचने में भी दिक्कतें आती हैं और ये बीमारियों जैसे ब्लैक रॉट और कंग्यारी की शिकार जल्दी हो जाती हैं. भुल्लर ने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने बीज बेचने वालों और किसानों को इस रोक के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान शुरू किया है. ब्लॉक कृषि अधिकारियों को गांवों में जाकर लाउडस्पीकर से घोषणा करने को कहा गया है ताकि किसान इन प्रतिबंधित किस्मों की बुवाई न करें.
किसान करें इस किस्म की खेती
किसानों को सलाह दी गई है कि वे PAU द्वारा अनुशंसित PR 126 किस्म का चुनाव करें, जो कम पानी खर्च करती है और बाजार में आसानी से बिक जाती है. भुल्लर ने कहा कि जिन किसानों ने गलती से प्रतिबंधित किस्मों की नर्सरी तैयार कर ली है, उन्हें सलाह दी गई है कि वे इन पौधों की रोपाई (ट्रांसप्लांट) न करें. मुख्य कृषि अधिकारी ने किसानों से अपील की कि वे इस रोक का पूरी तरह पालन करें, ताकि धान बेचने में दिक्कत न हो और पराली जलाने से जुड़ी पर्यावरणीय समस्याएं भी कम की जा सकें.
मक्के की खेती को प्रोत्साहन
बता दें कि गिरते भूजल स्तर को रोकने के लिए पंजाब सरकार राज्य में पूसा-44 और कुछ हाइब्रिड वैरायटीज की खेती, भंडारण और बीजों की बिक्री पर रोक लगाने के साथ-साथ फसल विविधीकरण को भी बढ़ावा दे रही है. इसके लिए किसानों को धान की जगह मक्का की खेती करने की सलाह दी जा रही है. साथ ही मक्का की खेत करने वाले किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. उन्हें मक्का की खेती करने पर प्रति हेक्टेयर 17,000 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दिए जा रहे हैं.