Dairy Farming : अगर आप खेती के साथ डेयरी से भी कमाई करना चाहते हैं, तो गाय की एक देसी नस्ल ऐसी है जो किसानों की किस्मत बदल रही है. इसकी खासियत यह है कि कम देखभाल में भी यह लगातार भरपूर दूध देती है. गांवों में अक्सर ऐसी गाय की तलाश रहती है जो बीमार कम पड़े, दूध ज्यादा दे और खर्च भी कम हो. यही वजह है कि यह खास नस्ल आज छोटे किसानों की पहली पसंद बन चुकी है. इसका दूध न सिर्फ अधिक मात्रा में मिलता है, बल्कि मोटा, गाढ़ा और पौष्टिक भी होता है, जिसकी बाजार में हमेशा मांग रहती है. सही पोषण और आसान देखभाल के कारण यह नस्ल किसानों को हर महीने अच्छी कमाई दे रही है.
देसी नस्ल जो देती है रोजाना भरपूर दूध
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह देसी गाय रोजाना करीब 10 से 15 लीटर तक दूध देती है, जो छोटे और मध्यम किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं. इसकी खास बात यह है कि इसका दूध हाई-फैट और हाई-प्रोटीन होता है, इसी कारण बाजार में इसे आसानी से अच्छी कीमत मिल जाती है. आमतौर पर देसी दूध 50 से 60 रुपये प्रति लीटर बिक जाता है, और ऐसे में सिर्फ एक गाय रोज की अच्छी आय दे सकती है. कई किसान बताते हैं कि इस नस्ल के आने के बाद उनकी डेयरी आमदनी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है.
मजबूत शरीर, गर्मी में भी आसानी से रहती है फिट
इस गाय का शरीर मजबूत होता है और इसका रंग हल्का लाल-भूरा या महोगनी जैसा दिखाई देता है. यह नस्ल गर्म इलाकों में भी आसानी से ढल जाती है, इसलिए देश के ज्यादातर क्षेत्रों में इसे बिना किसी समस्या के पाला जा सकता है. गर्मी के मौसम में भी यह अन्य नस्लों की तुलना में कम परेशान होती है. इसकी खास बात यह है कि इसे वातावरण बदलने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता और यह सामान्य परिस्थितियों में भी लगातार दूध देती रहती है.
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बीमारी कम, दवाइयों और देखभाल में बचेगा खर्च
अन्य नस्लों की तुलना में इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है. यही कारण है कि यह गाय बीमार कम पड़ती है और पशु उपचार पर होने वाला खर्च कम हो जाता है. इसका दूध और घी दोनों आयुर्वेदिक रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं. चूंकि यह देसी नस्ल है, इसलिए इसका दूध A2 प्रोटीन वाली श्रेणी में आता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक माना जाता है. यही वजह है कि बाजार में लोग इसे साधारण दूध से ज्यादा महत्व देते हैं.
कम चारा-पानी में भी अच्छा रिजल्ट, कमाई में चार चांद
छोटे पशुपालक अक्सर ऐसी गाय चाहते हैं जो ज्यादा चारा न मांगे और फिर भी अच्छा उत्पादन दे. यह नस्ल सामान्य चारे में भी आसानी से टिक जाती है. इसकी प्रजनन क्षमता भी बेहतर होती है, जिससे किसान आसानी से नस्ल को बढ़ा सकते हैं. अगर किसी किसान के पास 2-3 गायें हों, तो सिर्फ दूध बेचकर ही महीने भर में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. इसके बछड़े भी बाजार में अच्छी कीमत पर बिक जाते हैं, जिससे किसानों की अतिरिक्त आमदनी हो जाती है.