Goat Artificial Insemination : उत्तर प्रदेश में बकरियों के कृत्रिम गर्भाधान की शुरुआत ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा बदलाव साबित हो सकती है. अब तक नस्ल सुधार सिर्फ गाय-भैंस तक सीमित था, लेकिन अब बकरियों में भी आधुनिक तकनीक से उन्नत नस्ल तैयार की जाएगी. सरकारी अस्पतालों में खास यूनिट बनाकर प्रशिक्षित स्टाफ की मदद से यह प्रक्रिया की जाएगी. इससे बकरियों का दूध, वजन और उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, जिससे पशुपालकों को सीधे तौर पर ज्यादा मुनाफा मिलने का रास्ता खुलेगा.
बकरियों में नस्ल सुधार के लिए नई तकनीक की शुरुआत
बकरी पालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूत रीढ़ माना जाता है, लेकिन अब तक नस्ल सुधार के प्रयास सीमित थे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार ने बकरियों के कृत्रिम गर्भाधान की व्यवस्था शुरू कर दी है, जिससे उन्नत नस्ल की बकरियां आसानी से तैयार हो सकेंगी. इसके लिए सरकारी पशु चिकित्सालयों में विशेष यूनिट बनाई गई हैं, जहां प्रशिक्षित स्टाफ सीमन की मदद से गर्भाधान करेगा. इस पहल से बकरियों की नस्ल पहले से बेहतर होगी, दूध उत्पादन बढ़ेगा और किसानों को सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा.
कई अस्पतालों में बनाए गए खास AI सेंटर
मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि राज्य के कई सरकारी पशु चिकित्सालयों को कृत्रिम गर्भाधान केंद्र के रूप में विकसित किया गया है. यहां उन्नत नस्ल वाले बकरों के सीमन उपलब्ध कराए गए हैं, ताकि बकरियों का कृत्रिम गर्भाधान आसानी से किया जा सके. हर केंद्र पर सीमन की शुरुआती खेप उपलब्ध कराई गई है और पशु चिकित्सकों, पशुधन प्रसार अधिकारियों और पशु मित्रों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है. अच्छी बात यह है कि यह सेवा पशुपालकों को पूरी तरह निशुल्क मिलेगी.
पहले भी चल रहे थे प्रयास, अब मिली नई रफ्तार
बकरियों की नस्ल सुधार के लिए पहले पशुपालन विभाग किसानों को बरबरी, जमुनापारी, बीट और ब्लैक बंगाल जैसी उन्नत नस्लों के नर उपलब्ध कराता था. लेकिन सामान्य बकरियों के साथ क्रॉसिंग के कारण मनचाहा परिणाम नहीं मिल पाता था. अब कृत्रिम गर्भाधान की शुरुआत से नस्ल सुधार तेज और बेहतर तरीके से हो सकेगा. एक ही केंद्र से कई बकरियों को उन्नत नस्ल के सीमन से गर्भाधान किया जा सकता है, जिससे भविष्य में पूरे इलाके की बकरियों की गुणवत्ता बढ़ जाएगी.
क्यों खास होती हैं उन्नत नस्ल की बकरियां?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तरप्रदेश में करीब 70 हजार से ज्यादा पशुपालक लगभग चार लाख बकरियां पालते हैं. इनमें ज्यादातर सामान्य नस्ल की होती हैं, जो दूध और वजन दोनों में कमजोर पड़ती हैं. उन्नत नस्ल की बकरियों की खासियतें-
- रोजाना दो से तीन लीटर तक दूध
- लगभग एक साल में बाजार के लिए तैयार
- वजन 30 से 50 किलो तक
- रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर
इन खूबियों की वजह से उन्नत नस्ल की बकरियां बाजार में अच्छी कीमत दिलाती हैं, जिससे किसानों की आमदनी तेजी से बढ़ती है.
बकरी पालन बनेगा मजबूत व्यवसाय
कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) की इस नई सुविधा से बकरी पालन और भी आसान और लाभकारी बन जाएगा. बेहतर नस्ल, ज्यादा दूध, ज्यादा वजन और ज्यादा मुनाफा-यह बदलाव आने वाले समय में पशुपालकों के लिए आर्थिक उन्नति का बड़ा साधन साबित हो सकता है. सरकार की यह पहल न सिर्फ पशुपालकों के लिए राहत की खबर है, बल्कि ग्रामीण रोजगार और कृषि से जुड़ी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम भी है.