विदेशी नस्ल की बकरियों से शुरू करें बकरी फार्म, रोजाना 5 लीटर तक दूध के साथ मिलेगा अच्छा रिटर्न

विदेशी नस्लों की बकरियां जैसे एंग्लो नूबियन, सानेन और टोगेनबर्ग भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं. ये बकरियां ज्यादा दूध और मांस देती हैं, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा होता है. इनके पालन से कम समय में अधिक लाभ मिलता है.

नोएडा | Updated On: 15 Sep, 2025 | 11:56 AM

आज के समय में खेती के साथ-साथ पशुपालन भी किसानों की आमदनी का एक मजबूत ज़रिया बन चुका है. खासकर बकरी पालन बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि इसमें लागत कम और मुनाफा ज्यादा होता है. लेकिन कई बार किसान सही नस्ल न चुन पाने की वजह से नुकसान भी झेलते हैं. इसीलिए, आज हम आपको तीन विदेशी नस्लों की बकरियों के बारे में बताएंगे, जिनका दूध उत्पादन इतना ज्यादा है कि आप हर रोज़ 4 से 5 लीटर तक दूध प्राप्त कर सकते हैं. इन नस्लों के दूध और मांस की बाजार में अच्छी खासी मांग होती है.

एंग्लो नूबियन बकरीदूध और मांस दोनों में लाभ

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एंग्लो नूबियन (Anglo Nubian) नस्ल की बकरी एक विदेशी नस्ल है, जो अब भारत में भी लोकप्रिय हो रही है. यह नस्ल प्रति दिन लगभग 5 लीटर तक दूध देने में सक्षम होती है, जिससे किसान अच्छी आमदनी कमा सकते हैं. इसके बकरे लंबे और भारी होते हैं, जिससे मांस उत्पादन में भी लाभ मिलता है. यह नस्ल विभिन्न जलवायु में आसानी से ढल जाती है और इसकी देखभाल भी आसान होती है. दूध और मांस दोनों की बाजार में अच्छी मांग होती है. ऐसे में एंग्लो नूबियन बकरी का पालन व्यवसायिक दृष्टि से काफी लाभदायक साबित हो सकता है.

सानेन बकरीस्विस क्वालिटी, भरपूर दूध

सानेन बकरी स्विट्जरलैंड की उच्च दुग्ध उत्पादन वाली नस्ल है, जिसे दूध की मशीन भी कहा जाता है. अब भारत में भी इसका पालन तेजी से बढ़ रहा है. यह बकरी प्रतिदिन लगभग 4 लीटर तक दूध देती है, जिसका गुणवत्ता उच्च होती है. इससे बने उत्पाद जैसे घी, पनीर की बाजार में अच्छी कीमत मिलती है. सानेन बकरी मात्र 9 महीने की उम्र में गर्भधारण के लिए तैयार हो जाती है, जिससे उत्पादन चक्र जल्दी शुरू हो जाता है. इसके बकरे का मांस भी प्रीमियम क्वालिटी का होता है और इसकी बाजार में अच्छी मांग रहती है.

टोगेनबर्ग बकरीसुंदरता के साथ उत्पादकता

टोगेनबर्ग बकरी (Toggenberg Goat) स्विट्जरलैंड की एक बेहतरीन और आकर्षक नस्ल है, जो अपने सींग रहित स्वरूप और सुंदर रंग (भूरा-सफेद) के कारण पहचानी जाती है. यह बकरी प्रतिदिन 4 से 4.5 लीटर तक दूध देती है, जिसका स्वाद और गुणवत्ता काफी अच्छी होती है. इसके दूध और मांस की बाजार में अच्छी मांग है, जिससे पशुपालकों को अच्छा लाभ मिल सकता है. यह नस्ल भारतीय जलवायु में आसानी से ढल जाती है और इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है. इसके कारण कई लोग इसे पालतू पशु के रूप में भी पालते हैं, जिससे अतिरिक्त लाभ भी मिलता है.

क्यों करें विदेशी नस्लों का चयन?

विदेशी नस्ल की बकरियां जैसे एंग्लो नूबियन, सानेन और टोगेनबर्ग अब भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं. इन बकरियों का दूध उत्पादन अधिक होता है, जिससे किसानों को ज्यादा आमदनी होती है. दूध और मांस दोनों की बाजार में अच्छी कीमत मिलती है. ये नस्लें कम समय में ज्यादा लाभ देती हैं और अब आसानी से भारतीय जलवायु में भी अनुकूल हो रही हैं. इनकी देखभाल देसी बकरियों जैसी ही होती है, जिससे पालन आसान बनता है. इन बकरियों के जरिए किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं और पशुपालन को एक सफल व्यवसाय बना सकते हैं.

बकरी पालन से कमाएं लाखोंबस सही नस्ल चुनें

अगर आप बकरी पालन को व्यवसायिक रूप देना चाहते हैं, तो इन विदेशी नस्लों का चुनाव आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. चाहे दूध बेचना हो या मांस, दोनों से आप अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं. साथ ही, इन बकरियों की संतान जल्दी तैयार हो जाती है, जिससे उत्पादन और आमदनी दोनों में तेजी आती है. सरकार भी अब पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है. ऐसे में अगर आप बकरी पालन शुरू करना चाहते हैं, तो अब सही समय है.

Published: 15 Sep, 2025 | 11:43 AM