Maharashtra farmer debt crisis: कभी खेतों में हरियाली देखने वाले हाथ जब अपनी ही देह से उम्मीद छीन लें, तो समझ लीजिए हालात कितने भयावह हो चुके हैं. महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के एक छोटे किसान की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति का दर्द नहीं, बल्कि उस व्यवस्था पर सवाल है, जहां कर्ज की मार इंसान को अपनी जान से सौदा करने पर मजबूर कर देती है. एक लाख रुपये का कर्ज, जो इलाज और खेती बचाने की उम्मीद से लिया गया था, धीरे-धीरे ऐसा दलदल बना कि किसान को अपनी किडनी तक बेचनी पड़ी. यह कहानी दिल दहला देने वाली है और सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर किसान कहां और क्यों टूट रहा है. तो चलिए जानते हैं पूरा मामला.
कर्ज की शुरुआत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चंद्रपुर जिले के नागभीड़ तहसील के मिन्थूर गांव निवासी रोशन सदाशिव कुले एक सीमांत किसान हैं. उनके पास चार एकड़ जमीन थी और साथ में कुछ मवेशियों के सहारे छोटी-सी डेयरी भी चलाते थे. मौसम की मार और बार-बार फसल खराब होने से उनकी आमदनी लगातार घटती गई. इसी बीच मवेशियों की बीमारी ने हालात और बिगाड़ दिए. इलाज के लिए पैसों की जरूरत पड़ी, लेकिन बैंक और सरकारी संस्थानों से समय पर मदद नहीं मिल सकी. मजबूरी में उन्होंने 2021 में एक निजी साहूकार से एक लाख रुपये उधार लिए.
रोशन को क्या पता था कि यह कर्ज उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा अभिशाप बन जाएगा. साहूकार ने बेहद ऊंची ब्याज दर पर पैसा दिया. रोशन ने किसी तरह रकम लौटाने की कोशिश की, लेकिन साहूकार ने यह कहकर रकम स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि मूलधन अब भी बाकी है. यहीं से उनका असली संघर्ष शुरू हुआ.
साहूकारों का जाल और बढ़ता आतंक
एक साहूकार से छुटकारा पाने के लिए रोशन को दूसरे साहूकार के पास भेज दिया गया. फिर तीसरा, फिर चौथा. देखते ही देखते वह 6 निजी साहूकारों के जाल में फंस गए. आरोप है कि ये सभी मिलकर अवैध रूप से पैसा उधार देने का धंधा चला रहे थे. ब्याज की दर इतनी ज्यादा थी कि हर महीने कर्ज कई गुना बढ़ता चला गया. रोशन के मुताबिक, कुछ मामलों में 40 प्रतिशत तक मासिक ब्याज वसूला गया.
कर्ज का बोझ बढ़ने के साथ-साथ मानसिक और शारीरिक यातनाएं भी शुरू हो गईं. साहूकार बार-बार उनके घर आने लगे, गालियां दी जाने लगीं, धमकियां मिलने लगीं. कई बार उन्हें जबरन रोका गया और मारपीट भी की गई. खेत, परिवार और इज्जत सब कुछ दांव पर लग चुका था.
सब कुछ बेचने के बाद भी नहीं मिली राहत
कर्ज चुकाने के लिए रोशन ने अपनी जमीन के दो एकड़ हिस्से बेच दिए. ट्रैक्टर, घरेलू सामान और जो कुछ भी था, सब बिक गया. लेकिन कर्ज का आंकड़ा कम होने के बजाय और बढ़ता गया. एक लाख रुपये का कर्ज ब्याज और दबाव के चलते 74 लाख रुपये तक पहुंच गया. यह रकम एक छोटे किसान के लिए सपने में भी सोच पाना मुश्किल है.
हर रास्ता बंद होता दिख रहा था. न खेत बचे, न साधन और न ही सम्मान. ऐसे में रोशन ने वह फैसला लिया, जिसकी कल्पना कोई भी इंसान करना नहीं चाहता.
बेचनी पड़ी किडनी
कर्ज से पीछा छुड़ाने के लिए रोशन ने इंटरनेट पर मदद तलाशनी शुरू की. इसी दौरान उनका संपर्क एक डॉक्टर और एजेंट से हुआ, जिन्होंने उन्हें विदेश में किडनी बेचने का रास्ता दिखाया. मेडिकल जांच के बाद उन्हें पहले कोलकाता और फिर कंबोडिया भेजा गया. अक्टूबर 2024 में वहां उनका ऑपरेशन हुआ और किडनी निकाल ली गई.
इस सौदे के बदले उन्हें करीब आठ लाख रुपये मिले. यह रकम उनके कर्ज के पहाड़ के सामने कुछ भी नहीं थी, लेकिन इससे उनकी सेहत और जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई. आज वह न सिर्फ आर्थिक रूप से टूटा हुआ है, बल्कि शारीरिक और मानसिक रूप से भी गहरे घाव झेल रहा है.
पुलिस कार्रवाई और बड़ा सवाल
आखिरकार हिम्मत जुटाकर रोशन ने ब्रह्मपुरी थाने में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. उन पर साजिश, जबरन वसूली, मारपीट, अवैध कैद और धमकी जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं. पुलिस जांच अभी जारी है.
यह मामला सिर्फ अपराध का नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी का भी आईना है. सवाल यह है कि जब किसान संकट में होता है, तो उसे समय पर सस्ती और सुरक्षित मदद क्यों नहीं मिलती? क्यों उसे साहूकारों के चंगुल में फंसना पड़ता है?
रोशन की कहानी हमें झकझोरती है. यह चेतावनी है कि अगर किसानों की आर्थिक सुरक्षा, कर्ज व्यवस्था और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया, तो ऐसे दर्दनाक फैसले दोहराए जाते रहेंगे. किसान अन्नदाता है, लेकिन अगर वही अपनी देह बेचने को मजबूर हो जाए, तो यह पूरे समाज के लिए शर्म और चिंता का विषय है.