Kisan India Annapurna Summit 2025: किसान इंडिया के अन्नपूर्णा समिट 2025 में ड्रोन संगम के फाउंडर सागर इसरानी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ड्रोन टेक्नोलॉजी के सलाहकार संजीव कश्यप और वीगो ग्रीन के एमडी शंकर गोयनका शामिल हुए. इस मौके पर डॉ. शंकर गोयनका ने कहा कि मैन्युअली कीटनाशक का छिड़काव करने पर एक एकड़ में 200 लीटर पानी का इस्तेमाल होता है, जबकि, तीन से चार घंटे कीटनाशक का स्प्रे करने में लगता है. उन्होंने कहा कि हर साल 58 हजार किसान सांप के काटने से मरते हैं. वहीं, चार लाख किसान खेती से संबंधित दवाई सूंघने से बीमार पड़ते हैं. गोयनका ने कहा कि इसके बाद खेती में ड्रोन का उपयोग शुरू किया गया. उन्होंने कहा कि हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर कहा कि जबतक खेती में इनपुट लागत कम नहीं होगी, तब तक किसानों को ज्यादा फायदा नहीं होगा.
गोयनका ने कहा कि जहां एक एकड़ में मैन्युअली कीटनाशक का स्प्रे करने पर 200 लीटर पानी का खर्च होता है. वहीं ड्रोन की मदद से स्प्रे करने पर केवल 10 लीटर में ही काम हो जाता है. उन्होंने कहा कि हाथ से कीटनाशक का छिड़काव करने पर 70 फीसदी पानी बर्बाद हो जाता है, केवल 30 फीसदी ही पौधों को मिलता है. जबकि ड्रोन से छिड़काव करने पर 80 फीसदी पानी का सही इस्तेमाल होता है. गोयंका ने कहा कि ड्रोन से दवा का छिड़काव करने पर एक एकड़ में 10 मिनट लगते हैं, जबकि हाथ से स्प्रे करने पर 4 घंटे लगते हैं. इस तरह समय के साथ-साथ पानी की बचत हुई. उन्होंने कहा कि ऐसे ड्रोन से स्प्रे करने पर एक एकड़ में 600 रुपये की बचत होती है.
वैज्ञानिक तकनीक से करें खेती
सागर इसरानी ने कहा है कि किसानों को अब आधुनिक और वैज्ञानिक तकनीक की मदद से खेती करनी चाहिए. इससे खेती की लागत में गिरावट आएगी और पैदावार में बढ़ोतरी होगी. उन्होंने कहा कि किसानों को खेती में ड्रोन का इस्तेमाल करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हालांकि, कई प्रगतिशील किसान ड्रोन का इस्तेमाल भी कर रहे हैं. लेकिन वे पूरे साल ड्रोन का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. अभी किसान केवल फसल सीजन के दौरान ही ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे किसानों को उतना फायदा नहीं हो रहा है. इसलिए किसानों को खेती के अलावा अन्य क्षेत्र में ड्रोन का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे किसानों की कमाई में बढ़ोतरी होगी.
कीटनाशक और खाद की बर्बादी नहीं होगी
सागर इसरानी ने कहा कि सरकार सब्सिडी पर ड्रोन मुहैया करा रही है. साथ ही ड्रोन चलाने के लिए किसानों और महिलाओं को भी ट्रेनिंग दे रही है. किसान इन सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर ड्रोन का सही इस्तेमाल की जानकारी हासिल कर सकते हैं. इससे किसानों को काफी फायदा होगा. उन्होंने कहा कि किसान खेती में ड्रोन का इस्तेमाल करने के लिए हमेशा अनुभवी पायलट को ही हायर करें. इससे कीटनाशक और खाद की बर्बादी नहीं होगी.
ड्रोन से होगी धान की सीधी बुवाई
वहीं, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ड्रोन टेक्नोलॉजी के सलाहकार संजीव कश्यप ने कहा कि ड्रोन तकनीक पर तेजी से काम किया जा रहा है. आने वाले समय में ड्रोन के नए-नए मॉडल आएंगे. भविष्य में ड्रोन से धान की सीधी बुवाई की जाएगी. इससे खेती में इनपुट लागत कम हो जाएगी. खास कर मजदूरों की कम जरूरत पड़ेगी. उन्होंने कहा कि आने वाल समय में ड्रोन का इस्तेमाल मछली पालन क्षेत्र में किया जाएगा. इसकी मदद से मछली पालक तालाब में फीड का भी छिड़काव कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि कोई भी क्रांति किसानों के बगैर संभव नहीं है. किसानों के पास इतना खुद का ज्ञान है कि उन्हें किसी तकनीक को सझने के लिए प्रेजेंटेशन की जरूरत नहीं है. वे खुद ही अपने ज्ञान और समझ के बदौल तकनीक को असानी से मसझ लेते हैं.
कार्यक्रम के स्पॉन्सर पंजाब स्टेट को–ऑपरेटिव सप्लाई एंड मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड यानी मार्कफेड, मिल्कफेड पंजाब– वेरका, नेक्संस बाइ पीसीए टेक्नोलॉजीज और बीएमएस ऑर्गेनिक फार्मर्स प्रॉड्यूसर कंपनी लिमिटेड थे.