बकरी पालन अब सिर्फ एक परंपरागत तरीका नहीं रहा, बल्कि यह एक मजबूत व्यवसायिक मॉडल बन चुका है, जिससे किसान कम लागत में अच्छी आमदनी ले सकते हैं. खास बात यह है कि बकरी पालन शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में आसानी से किया जा सकता है. खास बात यह है कि बकरी पालन में ज्यादा निवेश और बहुत सारी मशीनरी की जरूरत नहीं होती है. छोटे स्तर पर भी किसान इसे शुरू कर सकते हैं और समय के साथ मुनाफा कमा सकते हैं. ऐसे में अगर सही नस्ल की बकरियों का चयन किया जाए और पालन सही तरीके से हो, तो कुछ ही सालों में तिजोरी नोटों से भर सकती है.
कम लागत में ज्यादा मुनाफे वाला धंधा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो बहुत कम लागत में शुरू किया जा सकता है. इसके लिए ज्यादा बड़ी जमीन की जरूरत नहीं होती और न ही ज्यादा रख-रखाव का खर्च होता है. शुरुआत में किसान 4-5 बकरियों से शुरुआत कर सकते हैं और धीरे-धीरे संख्या बढ़ा सकते हैं. अगर बकरियों की सही देखभाल की जाए, तो एक बकरी साल में दो बार बच्चे देती है और हर बार 2 से 3 बच्चे होना आम बात है. इससे बकरी की संख्या तेजी से बढ़ती है और कम समय में ही अच्छा मुनाफा होने लगता है.
4 ऐसी नस्लें जो बदल सकती हैं किस्मत
भारत में कई उन्नत नस्ल की बकरियां पाई जाती हैं, लेकिन इनमें से कुछ खास नस्लें हैं जो दूध और मांस उत्पादन के लिए बेहद लाभकारी मानी जाती हैं. ये हैं:–
- जमुनापारी– बड़ी कद-काठी वाली नस्ल, अच्छा मांस और दूध देती है.
- सिरोही– राजस्थान की यह नस्ल पूरे देश में मशहूर है, खासकर गर्मी सहन करने की क्षमता के लिए.
- बरबरी– उत्तर भारत में खूब पाई जाती है, छोटे कद की लेकिन तेजी से प्रजनन करने वाली नस्ल.
- बीटल– पंजाब की यह नस्ल दूध उत्पादन में बेहतरीन मानी जाती है.
इन नस्लों को पालने से तेजी से प्रजनन, ज्यादा दूध और मांस उत्पादन और अच्छा बाजार मूल्य मिलता है.
बकरी पालन के लिए जरूरी जगह और देखभाल
बकरियों को रखने के लिए किसी बहुत बड़े बाड़े की जरूरत नहीं होती, लेकिन जगह साफ, सूखी और हवादार होनी चाहिए. बरसात के दिनों में पानी न जमा हो इसके लिए निकासी की व्यवस्था जरूरी है.
खान-पान की बात करें तो बकरियों को चाहिए:-
- हरा चारा
- दाना-भूसा
- मिनरल मिक्स
इसके साथ ही समय-समय पर टीकाकरण और इलाज भी जरूरी होता है ताकि पशु बीमार न पड़ें और उत्पादन पर असर न पड़े.
बकरी पालन से आमदनी के कई रास्ते
बकरी पालन सिर्फ मांस या दूध के लिए ही नहीं होता, इससे जुड़ी कई दूसरी चीजें भी किसान की आमदनी बढ़ा सकती हैं. बकरी का दूध स्वास्थ्यवर्धक होता है और कई बीमारियों में दवा की तरह इस्तेमाल होता है. बकरी का गोबर खेतों के लिए बेहतरीन जैविक खाद है. बकरी के बच्चे बाजार में महंगे बिकते हैं, खासकर त्योहारों और शादी-ब्याह के समय. इस तरह, बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें हर हिस्से से पैसा कमाया जा सकता है.
त्योहारों में बढ़ती मांग, बढ़ता मुनाफा
बकरी पालन का एक बड़ा फायदा यह भी है कि जैसे ही ईद, बकरीद, शादी-ब्याह का सीजन आता है, बकरियों की मांग कई गुना बढ़ जाती है. ऐसे मौकों पर बाजार में कीमतें आसमान छूती हैं और किसान को बहुत अच्छा मुनाफा मिल जाता है. इसलिए यदि कोई किसान सही समय पर अपनी बकरियों को तैयार करता है, तो सीजनल डिमांड का पूरा फायदा उठा सकता है.
सरकार की योजनाओं का भी ले सकते हैं लाभ
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है, जिनका लाभ किसान आसानी से उठा सकते हैं. इसमें ब्याज मुक्त या कम ब्याज पर लोन, बकरी शेड निर्माण के लिए सब्सिडी, फ्री या रियायती दरों पर टीकाकरण सेवाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल हैं. ये योजनाएं खासकर छोटे और मध्यम स्तर के किसानों के लिए बेहद लाभकारी हैं. यदि किसान इन योजनाओं की सही जानकारी लेकर समय पर आवेदन करें, तो वे बहुत कम लागत में बकरी पालन व्यवसाय शुरू कर सकते हैं और अच्छी आमदनी का साधन बना सकते हैं.
बकरी पालन में नुकसान से कैसे बचें
बकरी पालन लाभकारी व्यवसाय है, लेकिन यदि सावधानी न बरती जाए तो नुकसान भी हो सकता है. गलत नस्ल का चयन, साफ-सफाई में लापरवाही, बीमारियों से बचाव में कमी और बाजार की मांग को न समझना आम समस्याएं हैं. ऐसे में बकरियां बीमार पड़ सकती हैं या बिक्री में घाटा हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि हर कदम सोच-समझकर उठाया जाए. सही नस्ल चुनें, स्वच्छ वातावरण बनाएं और समय-समय पर टीकाकरण कराएं. साथ ही, बकरी पालन से जुड़े स्थानीय पशु चिकित्सक और कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेते रहना भी बेहद फायदेमंद होता है.