Uttar Pradesh Latest News: उत्तर प्रदेश के कई जिलों में गोवंशीय पशुओं में फैले लम्पी स्किन डिजीज (LSD) को लेकर राज्य सरकार पूरी तरह से सतर्क है. पशुओं को इस बीमारी से बचाने के लिए प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की. इसमें प्रमुख सचिव पशुधन एवं दुग्ध विकास अमित कुमार घोष सहित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. बैठक में तेजी से इलाज, टीकाकरण, निगरानी और ग्रामीण स्तर पर जागरूकता फैलाने को लेकर विस्तार से चर्चा की गई.
11 जिलों में फैला लम्पी, सरकार अलर्ट मोड में
प्रदेश के जिन जिलों में लम्पी रोग फैलने की पुष्टि हुई है, उनमें चंदौली, गाजीपुर, बलिया, देवरिया, कुशीनगर, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, मऊ, संतकबीरनगर और महराजगंज शामिल हैं. इन जिलों में कुल 14,54,088 गोवंशीय पशु हैं, जिनमें से 5,091 गोवंश अब तक लम्पी रोग से प्रभावित हुए हैं. राहत की बात यह है कि इनमें से 4,325 पशु इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं, जबकि 1,006 पशुओं का इलाज चल रहा है.
टीकाकरण और वैक्सीन की कोई कमी नहीं
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पशुओं को लम्पी रोग से बचाने के लिए तेजी से टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. अब तक रिंग वैक्सीनेशन के तहत 1,583 गांवों में 3,44,000 पशुओं का टीकाकरण किया गया है. वहीं, बेल्ट वैक्सीनेशन के अंतर्गत 545 गांवों में 1,22,979 पशुओं को वैक्सीन दी गई है. राज्य में गोटपॉक्स वैक्सीन की कुल 49 लाख डोज उपलब्ध हैं, जिससे जरूरत पड़ने पर तुरंत टीकाकरण किया जा सके. सरकार का उद्देश्य है कि बीमारी को फैलने से रोका जाए और पशुपालकों को पशुधन हानि से बचाया जा सके.
विशेष टीमें तैनात, मोबाइल यूनिट भी सक्रिय
लम्पी रोग से सबसे अधिक प्रभावित जिलों देवरिया और कुशीनगर में राज्य सरकार ने विशेष कदम उठाए हैं. देवरिया में 1 संयुक्त निदेशक और 16 पशु चिकित्सकों की टीम 7 सितंबर से काम कर रही है, जबकि कुशीनगर में 1 संयुक्त निदेशक और 6 पशु चिकित्सकों की टीम भेजी गई है. ये टीमें टीकाकरण, उपचार और रोग नियंत्रण पर विशेष रूप से कार्य कर रही हैं. इसके साथ ही मोबाइल वेटनरी यूनिट की टीमें भी लगातार गांवों में पहुंचकर प्रभावित पशुओं का इलाज कर रही हैं, जिससे रोग को फैलने से रोका जा सके और समय पर राहत मिले.
गांवों में जागरूकता और साफ-सफाई पर जोर
प्रभावित जिलों के मुख्य पशु चिकित्साधिकारियों को जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में एक विशेष टीम बनाकर गांवों में फॉगिंग, सैनिटाइजेशन और मच्छर-मक्खी रोकथाम के निर्देश दिए गए हैं. इन बैठकों में मुख्य विकास अधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी, और नगर निकायों के अधिशासी अधिकारी शामिल होंगे. गांव-गांव जाकर जनजागरूकता अभियान चलाया जाएगा ताकि पशुपालक बीमारी के लक्षण जल्दी पहचान सकें और समय पर इलाज करवा सकें.
हर मौत की होगी जांच, नहीं छिपेगा कोई मामला
कृषि मंत्री ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि हर मृत पशु का डेथ ऑडिट किया जाए ताकि मृत्यु का सही कारण पता चल सके. इससे इलाज की दिशा और सुधारात्मक कदमों में मदद मिलेगी. इसके अलावा, सभी मंडलीय पशु चिकित्साधिकारी व अपर निदेशक ग्रेड-2 को जनप्रतिनिधियों से लगातार संपर्क में रहकर स्थिति की जानकारी देने को कहा गया है.