गाय या भैंस जब बछड़े को जन्म देती हैं तो यह पल जितना खुशी भरा होता है, उतना ही सावधानी का भी होता है. बच्चा होने के बाद न सिर्फ पशु को शारीरिक पीड़ा होती है, बल्कि संक्रमण और कमजोरी का खतरा भी बना रहता है. प्रयागराज के कोरांव ब्लॉक के पशुपालक शशिकांत मिश्रा बताते हैं कि अगर समय रहते सही देखभाल की जाए तो पशु जल्दी स्वस्थ हो जाता है और दूध उत्पादन भी बेहतर होता है.
साफ-सफाई से करें शुरुआत
बच्चा देने के तुरंत बाद गाय या भैंस के शरीर और बछड़े को सूखे और साफ कपड़े से अच्छे से पोंछना जरूरी है. इसमें ध्यान देने की बात यह है कि बछड़े के मुंह और नाक के अंदर जमा गंदगी को भी सावधानीपूर्वक साफ करें ताकि उसे सांस लेने में कोई दिक्कत न हो. अगर वातावरण साफ-सुथरा नहीं होगा तो संक्रमण फैल सकता है जिससे पशु और बछड़ा दोनों की जान को खतरा हो सकता है.
खुराक में रखें खास ध्यान
गांवों में मान्यता है कि बच्चा देने के बाद गाय या भैंस को बांस और आम के ताजे पत्ते खिलाए जाएं, ताकि उनका शरीर जल्दी राहत पाए. प्रयागराज के कोरांव ब्लॉक के पशुपालक शशिकांत मिश्रा बताते हैं कि जब तक गाय या भैंस ‘आमर’(जेर) न गिरा दे, तब तक निगरानी जरूरी है. क्योंकि जेर को कुत्ते खा सकते हैं जिससे संक्रमण फैलने का खतरा होता है. जेर गिराने के बाद पशु को जौ और गेहूं की दलिया दी जाए तो जल्दी ताकत लौटती है. वहीं, बछड़े को भी एक से दो घंटे के भीतर मां का दूध जरूर पिलाना चाहिए क्योंकि उसका पहला दूध रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है.
शांति वाला माहौल जरूरी
पशु को बच्चा देने के बाद पीड़ा और थकान होती है. ऐसे में उन्हें एक शांत और भीड़-शोर से दूर वातावरण देना जरूरी है. शोरगुल या बार-बार उनके पास जाकर तंग करने से वो चिढ़ जाते हैं और दूध निकालते समय लात मार सकते हैं. शांत वातावरण में पशु जल्दी रिकवर करते हैं और स्वभाव भी शांत बना रहता है.
बछड़े की सुरक्षा भी है जरूरी
बछड़े की देखभाल पशुपालक के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है. पशुपालक शशिकांत मिश्रा के मुताबिक बछड़े को अक्सर कुत्तों से खतरा बना रहता है, इसलिए उसे एक सुरक्षित जगह पर रखना चाहिए. पहले 10-15 दिन तक दिन-रात उसकी निगरानी करनी होती है. इस दौरान उसे समय पर दूध पिलाना और ठंड-गर्मी से बचाकर रखना बहुत जरूरी होता है.