पशुपालक रहें सतर्क! गले-सीने में सूजन और चारा छोड़ना हो सकता है गलाघोंटू रोग का संकेत

गला घोंटू एक खतरनाक बीमारी है जो भैंस या गाय में अचानक तेज बुखार, लार बहने, सांस लेने में तकलीफ और गले-सीने में सूजन जैसे लक्षणों के साथ दिखती है. समय पर पहचान और इलाज न मिले तो पशुओं की जान जाने का खतरा भी रहता है.

नोएडा | Updated On: 18 Jun, 2025 | 05:05 PM

गांवों में पशुपालन करने वाले किसानों के लिए यह खबर बेहद जरूरी है. हर साल बारिश शुरू होते ही कई राज्यों से गला घोंटू बीमारी के मामले सामने आते हैं. इस बीमारी में भैंस या गाय अचानक तेज बुखार के साथ बीमार पड़ जाती है और कुछ ही घंटों में दम तोड़ देती है. सबसे खतरनाक बात ये है कि कई बार पशु बीमार दिखने से पहले ही मर जाता है.

गला घोंटू एक संक्रामक बीमारी है, जो बहुत तेजी से फैलती है. अगर शुरुआती लक्षणों को पहचानकर समय रहते इलाज न किया जाए तो पशु की जान बचाना मुश्किल हो जाता है. इसीलिए, खासकर बारिश के मौसम में पशुपालकों को सावधानी बरतने और लक्षणों पर नजर रखने की सख्त जरूरत है.

कैसे पहचानें गलाघोंटू बीमारी

गला घोंटू बीमारी की शुरुआत तेज बुखार से होती है. कई बार पशु को 106-107 डिग्री फारेनहाइट तक बुखार हो जाता है. शुरुआत में पशु सुस्त और उदास नजर आता है. इतना ही नहीं वह चारा और पानी दोनों छोड़ देता है. यही नहीं  गंभीर स्थिति में उसका मुंह चारे या पानी के पास जाकर भी स्थिर हो जाता है, जैसे कुछ निगल न पा रहा हो. यह संकेत बेहद गंभीर है और तुरंत पशु चिकित्सक को दिखाना चाहिए.

इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज

गला घोंटू बीमारी में पशु की नाक से पतला स्राव निकलता है और मुंह से बहुत अधिक लार गिरती है. इसके अलावा, आंखें लाल हो जाती हैं और सांस लेने में तकलीफ होती है. इतना ही नहीं, गले, गर्दन और छाती पर सूजन और दर्द महसूस होता है. कई बार तो ये लक्षण दिखने से पहले ही पशु मर जाता है. यानी पशुपालक को सुबह उठते ही पशु मृत अवस्था में मिल सकता है.

तेजी से फैलने वाली बीमारी

यह बीमारी इतनी तीव्र होती है कि एक घंटे से लेकर 24 घंटे के भीतर ही पशु की मृत्यु हो सकती है. अगर एक पशु में इसके लक्षण दिखे हैं तो बाकी जानवरों को भी तुरंत अलग कर देना चाहिए. बीमारी फैलने से रोकने के लिए पूरे बाड़े में कीटाणुनाशक दवाओं का छिड़काव जरूरी है.

बचाव ही सबसे अच्छा इलाज

गला घोंटू बीमारी का सही समय पर इलाज बहुत जरूरी है, लेकिन इससे भी जरूरी है बचाव. पशुपालक समय-समय पर टीकाकरण करवाएं और पशुओं की साफ-सफाई पर ध्यान दें. इसके अलावा, बारिश या मौसम बदलने के समय विशेष सावधानी बरतें. अगर किसी पशु में लक्षण दिखें तो बिना देर किए नजदीकी पशु चिकित्सालय से संपर्क करें.

Published: 18 Jun, 2025 | 04:57 PM