भारतीय खाद्य निगम (FCI) और राज्य की खरीद एजेंसियों ने रबी विपणन सीजन 2025–26 (अप्रैल से जून) के लिए अब तक 290 लाख टन गेहूं की खरीद कर ली है, जो 2021–22 के बाद सबसे ज्यादा है. अब तक गेहूं उत्पादन वाले प्रमुख राज्यों से की गई यह खरीद पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 16 फीसदी अधिक है. यह खरीद देशभर की मंडियों में पहुंचे कुल 374.8 लाख टन गेहूं में से की गई है.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि सरकार को इस बार 330 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य हासिल होने का पूरा भरोसा है, क्योंकि पिछले साल के मुकाबले 1150 लाख टन से ज्यादा उत्पादन होने की उम्मीद है. यह स्थिति सरकार के लिए अच्छी मानी जा रही है, क्योंकि इससे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत राशन वितरण और बाजार में दखल देने के कार्यक्रम दोनों में मदद मिलेगी. तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो, 2024–25 सीजन में गेहूं खरीद 266 लाख टन और 2023–24 में 262 लाख टन रही थी. जबकि, साल 2021- 22 में रिकॉर्ड 433 लाख टन गेहूं खरीदा गया था, लेकिन 2022- 23 में उत्पादन घटने से यह घटकर सिर्फ 188 लाख टन रह गई थी.
किस राज्य में कितनी हुई खरीद
पिछले तीन सालों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं खरीद लक्ष्य से कम ही रही है. अब तक जिन पांच राज्यों ने गेहूं खरीद अभियान में सबसे ज्यादा योगदान दिया है, वे हैं पंजाब 117.1 लाख टन, मध्य प्रदेश 77.7 लाख टन, हरियाणा 70.3 लाख टन, राजस्थान 14.9 लाख टन और उत्तर प्रदेश 9.6 लाख टन रहा. मध्य प्रदेश, जो केंद्र सरकार के गेहूं भंडार में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है, वहां इस सीजन की खरीद प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.
उत्तर प्रदेश में सबसे कम गेहूं की खरीद
हालांकि, देश का सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश इस बार पिछड़ता दिख रहा है. वहां अब तक सिर्फ 9.6 लाख टन टन गेहूं खरीदा गया है, जबकि इस सीजन का लक्ष्य 30 लाख टन है. यह स्थिति तब है जब निजी व्यापारियों को राज्य से बाहर गेहूं ले जाने के लिए रेलवे रेक की अनौपचारिक रोक भी लगाई गई है. अधिकारियों ने कहा कि सरकार के पास पर्याप्त गेहूं स्टॉक है, इसलिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत राज्यों को अतिरिक्त गेहूं आवंटन पर विचार किया जा सकता है.