कृषि और प्रोसेस्ड फूड के एक्सपोर्ट में बंपर इजाफा, भैंस मांस के निर्यात में दुनिया का दूसरा देश बना भारत

पिछले दस सालों में भारतीय भैंस के मांस की गुणवत्ता और पोषण के कारण दुनियाभर में इसकी मांग बढ़ी है. भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा भैंस का मांस निर्यातक बन चुका है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 17 Aug, 2025 | 01:20 PM

इस वित्त वर्ष (अप्रैल-जुलाई 2025) में भारत से कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों का निर्यात तेजी से बढ़ा है, जो पिछले साल की तुलना में 9 फीसदी बढ़कर 7.99 बिलियन डॉलर यानी 66,766.5 करोड़ रुपये पहुंच गया है. इस बढ़ोतरी की मुख्य वजह चावल, भैंस का मांस, फल और सब्जियों के निर्यात में तेज उछाल रही है. अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच चावल का निर्यात (बासमती और गैर-बासमती दोनों शामिल) सालाना आधार पर 5.2 फीसदी बढ़कर $3.8 बिलियन हो गया है. जबकि, वित्त वर्ष 2024-25 में चावल का निर्यात रिकॉर्ड $12.47 बिलियन यानी 1,04,114.5 करोड़ रुपये रहा, जो 2023-24 की तुलना में 20 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी है. खास बात यह है कि भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा भैंस का मांस निर्यातक बन चुका है.

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि बासमती चावल के निर्यातकों में चिंता बनी हुई है कि अमेरिका जैसे हाई-वैल्यू बाजारों में भेजे जाने वाले निर्यात पर असर पड़ सकता है, जब वहां नई और ज्यादा टैरिफ (शुल्क) व्यवस्था लागू होगी. इससे उनके मुनाफे और निर्यात की गति दोनों पर दबाव आ सकता है. इस बीच, बांग्लादेश ने घरेलू भंडार बढ़ाने के लिए चावल का आयात शुरू कर दिया है, जिससे माना जा रहा है कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत का चावल निर्यात पिछले साल से ज्यादा हो सकता है.

चावल व्यापार में 40 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी

बासमती राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन, पंजाब के उपाध्यक्ष रणजीत सिंह का कहना है कि दुनिया भर में भारतीय चावल की मजबूत मांग है. म्यांमार और पाकिस्तान जैसे प्रतिस्पर्धी देशों में स्टॉक कम होने की वजह से वैश्विक खरीदार अब भारत की ओर रुख कर रहे हैं. आने वाले महीनों में निर्यात और बढ़ने की उम्मीद है. भारत पिछले 10 सालों से दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक बना हुआ है और इस समय वैश्विक चावल व्यापार में 40 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रखता है.

सब्जियों का निर्यात 11 फीसदी बढ़ा

सरकार ने सितंबर 2024 से चावल के निर्यात पर लगी पाबंदियां हटानी शुरू कर दी थीं, क्योंकि अच्छी पैदावार और भरपूर स्टॉक की संभावना थी. इसके बाद से सभी तरह की पाबंदियां, जैसे मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP), पूरी तरह हटा दी गई हैं. डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025-26 के पहले चार महीनों (अप्रैल-जुलाई) में भैंस के मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात 22 फीसदी बढ़कर $1.67 बिलियन यानी 13,984.5 करोड़ रुपये हो गया है. वहीं, फलों और सब्जियों का निर्यात 11 फीसदी बढ़कर $1.24 बिलियन यानी 10,354 करोड़ रुपये पहुंच गया.

भारतीय भैंस के मांस की मांग बढ़ी

अधिकारियों का कहना है कि पिछले दस सालों में भारतीय भैंस के मांस की गुणवत्ता और पोषण के कारण दुनियाभर में इसकी मांग बढ़ी है. भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा भैंस का मांस निर्यातक बन चुका है. वियतनाम, मलेशिया, मिस्र, इराक, सऊदी अरब और यूएई इसके प्रमुख खरीदार हैं. APEDA (एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी) स्वीकृत मीट प्लांट्स के माध्यम से भैंस के मांस का निर्यात करवाता है, जिन्हें आयात करने वाले देशों द्वारा निरीक्षण भी किया जाता है.

कुल कृषि निर्यात में लगभग 51 फीसदी हिस्सा

2024-25 में APEDA के तहत आने वाले उत्पादों का निर्यात 12 फीसदी बढ़कर $25.14 बिलियन यानी 2.10 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया, जो पिछले साल की तुलना में काफी ज्यादा है. APEDA (एपेडा) के तहत आने वाले उत्पादों का कुल कृषि निर्यात में हिस्सा लगभग 51 फीसदी है. बाकी कृषि उत्पादों के निर्यात में समुद्री उत्पाद, तंबाकू, कॉफी और चाय शामिल हैं. अधिकारियों ने कहा कि दुनियाभर में कई भारतीय कृषि उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है, जैसे कि केला, आम, प्रोसेस्ड फल और जूस, फल-सब्जियों के बीज और प्रोसेस्ड सब्जियां.

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Published: 17 Aug, 2025 | 01:13 PM

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