गुलाबी सुंडी से तबाह नहीं होगी कपास की फसल, वैज्ञानिकों ने निकाला इसका तोड़!

गुलाबी सुंडी कपास के बॉलवर्म में अपना लार्वा छोड़ देता है. इसकी वजह से लिंट कट जाता है और दाग लग जाता है. इसके बाद इसे इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. साल 2017-18 में पहली बार इसका प्रकोप देखा गया था.

Kisan India
Noida | Published: 21 Mar, 2025 | 08:52 AM

भारत में खासकर उत्‍तर भारत में कपास के किसान गुलाबी सुंडी से खासे परेशान रहते हैं. एक बार अगर यह उनकी फसल में लग गई तो फिर पूरे खेत को चौपट कर सकती है. इससे किसानों को हर साल लाखों-करोड़ों का नुकसान भी उठाना पड़ता है. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इसका इलाज भी निकाल लिया है. उत्‍तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित नेशनल बोटॉनिकल रिसर्च इंस्‍टीट्यूट (एनबीआरआई) जो सीएसआईआर के तहत आता है, उसके वैज्ञानिकों ने कपास की एक खास किस्‍म विकसित की है जो गुलाबी सुंडी के असर से बेअसर रहेगी.

कपास की पैदावार हुई कम

एनबीआरई के वैज्ञानिकों की तरफ से हुई इस खोज एक मील का पत्‍थर करार दिया जा रहा है. वैज्ञानिकों ने बताया कि साल 2002 में भारत में कपास की जीएम कॉटन या बीटी कॉटन को लॉन्‍च किया गया था. इसकी किस्‍में जैसे बोलगार्ड 1 और 2 को अमेरिकी वैज्ञानिकों के साथ मिलकर डेवलप किया गया था. ये दोनों ही किस्‍में सुंडी की कुछ खास प्रजातियों को नियंत्रित करने में कारगर साबित हुई थीं. लेकिन ये गुलाबी सुंडी के असर से नहीं बच सकती थीं. वैज्ञानिकों के अनुसार PBW ने इन टेक्‍नोलॉजी में प्रयोग किए जाने वाले प्रोटीन के प्रति प्रतिरोध विकसित किया. इससे खतरा और बढ़ गया. इसका नतीजा था कि भारत में कपास की पैदावार में काफी कमी आई.

वैज्ञानिकों ने निकाला रास्‍ता

इस महत्वपूर्ण चुनौती के समाधान के लिए सीएसआईआर-एनबीआरआई के लीड साइंटिस्‍ट डॉक्‍टर पीके सिंह के नेतृत्व में एक नया कीटनाशक जीन तैयार किया है. डॉक्‍टर सिंह को फसल संरक्षण में करीब 30 साल का अनुभव है. पीबीडब्ल्यू के खिलाफ प्रभावी इस स्वदेशी जीन ने बोलगार्ड 2 कपास की तुलना में बेहतर प्रतिरोध का प्रदर्शन किया. गुलाबी सुंडी से भारत समेत एशिया और अफ्रीका के किसान भी परेशान रहते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार लैब टेस्‍ट्स में यह बात सामने आई है कि नया जीएम कॉटन PBW के लिए असाधारण तौर पर सहनशील है. जबकि कॉटन पत्‍ती पर लगने वाले कीड़े और फॉल आर्मीवर्म जैसे बाकी कीटों से भी फसल को सुरक्षित रखता है.

उत्‍तर में किसानों का सिरदर्द

पिछले करीब चार सालों से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के उत्‍तरी राज्यों में घातक गुलाबी सुंडी ने कपास की फसलों को तबाह कर दिया है. जहां साल 2023 में कपास की खेती इन राज्‍यों में 16 लाख हेक्टेयर थी तो 2024 में यह घटकर सिर्फ 10 लाख हेक्टेयर रह गई. गुलाबी सुंडी कपास के बॉलवर्म में अपना लार्वा छोड़ देता है. इसकी वजह से लिंट कट जाता है और दाग लग जाता है. इसके बाद इसे इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. साल 2017-18 में पहली बार इसका प्रकोप देखा गया था.

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