Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की मतदाता सूची में महिलाओं की संख्या में खासा गिरावट देखने को मिली है. चुनाव आयोग द्वारा की गई विशेष गहन मतदाता सूची संशोधन (SIR) के बाद महिलाएं अब अपनी कुल जनसंख्या के गणित से कम हो गई हैं. यह खासतौर पर उन विधानसभा क्षेत्रों में ज्यादा दिख रहा है, जहां मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी, JD(U), ने 2020 के चुनावों में जीत हासिल की थी.
JD(U) और एनडीए के लिए नई चुनौती
2020 में महिलाओं का समर्थन एनडीए की जीत का एक बड़ा कारण माना गया. बिहार चुनाव 2020 में भाजपा और JD(U) के नेतृत्व में गठबंधन ने 243 सीटों में से 125 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी. अब स्थिति बदल गई है. SIR के बाद बिहार में हर 1000 पुरुष मतदाताओं पर महिला मतदाताओं की संख्या घटकर 894 रह गई है, जबकि जनवरी 2025 में यह 914 थी. यह राज्य के सामान्य महिला-पुरुष अनुपात 918 (2011 की जनगणना) से भी कम है.
कहीं गिरावट, कहीं बढ़त
जनवरी 2025 में बिहार के कुल मतदाताओं में महिलाओं का हिस्सा 47.8% था, जो SIR के बाद घटकर 47.2% रह गया. हटाए गए मतदाताओं में करीब 59% महिलाएं थीं. कुल 243 विधानसभा क्षेत्रों में से 230 में महिला मतदाताओं की संख्या घट गई. सबसे ज्यादा गिरावट गोपालगंज जिले के कुचायकोट विधानसभा क्षेत्र में हुई, जहां संख्या 956 से घटकर 861 रह गया. इसके अलावा सीमांचल क्षेत्र के किशनगंज और पूर्णिया जैसे मुस्लिम बहुल जिलों में भी महिला मतदाताओं की संख्या में गिरावट देखी गई. वहीं, कुछ सीटों पर महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ी भी, जैसे भोजपुर जिले की बरहरा सीट पर यह 856 से बढ़कर 890 हुई.
जिला | SIR से पहले महिला मतदाता अनुपात
(प्रति 1000 पुरुष) |
SIR के बाद महिला मतदाता अनुपात
(प्रति 1000 पुरुष) |
अंतर |
---|---|---|---|
गोपालगंज | 964 | 886 | 78 |
किशनगंज | 937 | 874 | 63 |
पूर्णिया | 934 | 896 | 38 |
बक्सर | 933 | 897 | 36 |
सिवान | 918 | 884 | 34 |
सुपौल | 937 | 904 | 33 |
कैमूर | 919 | 886 | 33 |
श्योहार | 906 | 874 | 32 |
समस्तीपुर | 902 | 875 | 27 |
भागलपुर | 982 | 939 | 43 |
चुनावी रणनीति पर असर
महिला मतदाताओं की यह कमी JD(U) और एनडीए के लिए चुनौती बन सकती है. सीटों पर महिला वोटों की घटती संख्या के कारण एनडीए को अब नई रणनीति बनानी पड़ेगी. पार्टी को यह सुनिश्चित करना होगा कि महिलाओं का भरोसा और समर्थन कायम रहे, ताकि आगामी चुनावों में वोट बैंक मजबूत रहे.
बिहार में महिला मतदाताओं की घटती संख्या JD(U) और एनडीए के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकती है. यह बदलाव बिहार की राजनीति में बड़ा असर डाल सकता है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि गठबंधन महिला मतदाताओं का विश्वास कैसे जीतता है और अपनी चुनावी रणनीति में किस तरह सुधार करता है.