खेती के पुराने तरीकों को पीछे छोड़ अब भारतीय किसान आधुनिक तकनीकों की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. लेकिन खेतों में स्प्रे का काम अब भी किसानों के लिए थकाऊ और जोखिम भरा बना हुआ है. घंटों तक पीठ पर भारी मशीन लादकर खेत में घूमना, जहरीली दवाओं के सीधे संपर्क में आना, ये सब खेती की सबसे मुश्किल चुनौतियों में से एक है. इन्हीं परेशानियों से किसानों को राहत देने के लिए आई है एक नई तकनीक. जिसका नाम है बूम स्प्रेयर मशीन, जो मिनटों में कई एकड़ खेत में स्प्रे कर देती है, वो भी बिना थकान, बिना खतरे के.
कई एकड़ में महज 20 मिनट का समय
बूम स्प्रेयर मशीन तरल दवाओं के छिड़काव के लिए इस्तेमाल की जाती है. इसमें एक टैंक होता है, जिसमें कई लीटर दवा भरी जा सकती है. इसके आगे स्प्रे नोजल लगे होते हैं और ऊपर ड्राइविंग सीट होती है. यह मशीन बिना ट्रैक्टर के चलती है और एक बार में कई एकड़ खेत में महज 20 मिनट में स्प्रे कर सकती है. इससे किसानों का समय, मेहनत और मज़दूरी तीनों की बचत होती है.
इंसानी सेहत के लिए भी फायदेमंद
खेती में इस्तेमाल होने वाली दवाएं और कीटनाशक आमतौर पर जहरीले होते हैं.पहले किसान इन्हें खुद अपने कंधों पर उठाकर खेत में छिड़कते थे, जिससे उनका सीधे तौर पर संपर्क इन रसायनों से होता था.अब किसान बूम स्प्रेयर के केबिन में बैठकर आराम से पूरी फसल पर छिड़काव कर सकता है.इससे न केवल उसकी सेहत की सुरक्षा होती है, बल्कि स्प्रे का कवरेज भी एक समान और सूक्ष्म रूप से होता है.

Boom Sprayer Machine
मशीन की कीमत 2 लाख 20 हजार
किसान इंडिया से बातचीत में डीसीएम श्रीराम शुगर एंड डिस्टलरी यूनिट अजबापुर के उप गन्ना प्रबंधक पंकज सिंह ने बताया कि बूम स्प्रेयर मशीन को फिलहाल प्रमोशन के लिए किसानों के खेतों पर लाया गया है. इसका मकसद है कि किसान इसे देखें, समझें और इसके फायदे जानें. इस मशीन की कीमत लगभग 2 लाख 20 हजार रुपये है. हालांकि, किसान इसे सरकारी सब्सिडी के तहत सस्ती दरों पर भी खरीद सकते हैं. इसके लिए उन्हें अपने जिले के कृषि विभाग से संपर्क करना होगा, जहां से सब्सिडी प्रक्रिया और खरीद की पूरी जानकारी मिल सकती है.
बूम स्प्रे को लेकर क्या बोले किसान
पसगवां विकास खंड के ढकियारूप में रहने वाले किसान नवनीत शुक्ला बताते हैं कि वो बीस एकड़ पर गन्ने की खेती करते हैं. पहले एक बार स्प्रे कराने पर उन्हें करीब 12 हजार रुपये खर्च करने पड़ते थे. साथ ही, पूरे दिन में मुश्किल से एक से ढेढ़ एकड़ खेत में ही स्प्रे हो पाता था. लेकिन बूम स्प्रेयर से एक दिन में 35 से 40 एकड़ भूमि पर स्प्रे कर सकते हैं. वहीं इससे स्प्रे करने से माइक्रो पार्टिकल तक दवा आसानी से पहुंच जाती है. नवनीत कहते हैं कि साल में चार बार स्प्रे करने पर 48 हजार रुपये तक का खर्च आता था, जो अब लगभग आधा हो गया है, साथ ही समय और मेहनत दोनों की बचत भी हो रही है.