लखीमपुर खीरी के किसानों की किस्मत अब महंगे कीटनाशकों पर नहीं, बल्कि 70 रुपये के एक छोटे से ट्रैप पर टिकी है. ये ट्रैप कोई आम जाल नहीं, बल्कि फल और सब्जियों को तबाह कर देने वाली मक्खियों का काल है. इसका नाम है- फ्रूट फ्लाई ट्रैप. महंगे पेस्टीसाइड की जगह इस छोटे से इनोवेशन ने किसानों को लाखों की फसल बचाने में मदद की है.
रासायनिक कीटनाशक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल फल और सब्जियों में होता है. क्योंकि उन पर कीटों और रोगों का हमला ज्यादा होता है. लेकिन कृषि विज्ञान केंद्र जमुनाबाद, चंद्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के शस्य वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार विशेषन ने ‘किसान इंडिया’ से बात करते हुये आईपीएम की खूबियों की जानकारी देते हुए बताया कि अब समय आ गया है जब किसान कीटनाशक छोड़कर आईपीएम यानी एकीकृत जीवनाशी प्रबंधन तकनीक की तरफ बढ़ें. इस तकनीक से बिना जहर के भी पौष्टिक और सुरक्षित सब्जियां उगाई जा सकती हैं.
70 रुपये का ट्रैप कीड़ों से बचा रहा फसल
डॉ. प्रदीप बताते हैं कि एक अकेली फल मक्खी तरबूज, लौकी और कद्दू जैसे फलों की 40 बतियों को नुकसान पहुंचा सकती है. ऐसे हजारों कीड़े खेतों में मौजूद होते हैं, जिससे बचाव के लिए किसान महंगे कीटनाशक डालते हैं. बावजूद इसके, फसल नहीं बचती. लेकिन सिर्फ 50 से 70 रुपये का फ्रूट फ्लाई ट्रैप इन मक्खियों को फंसाकर फसल को सुरक्षित कर देता है.
खर्च कम में ज्यादा मुनाफा मिल रहा- उप कृषि निदेशक
लखीमपुर खीरी के उप कृषि निदेशक अरविंद मोहन मिश्रा बताते हैं कि इलाके के कई किसानों ने कीटनाशक और निमोटोड पर नियंत्रण पाकर साल में प्रति एकड़ 20 से 25 हजार रुपये की बचत शुरू कर दी है. इस तरह से देखा जाए तो 4 से 5 एकड़ खेती करने वाला किसान इससे लाखों की बचत कर सकता है.
फेरोमोन ट्रैप से कीड़ों का निपटारा
बिजुवा ब्लॉक के प्रगतिशील किसान अचल कुमार मिश्रा कहते हैं कि उन्होंने जब से आईपीएम तकनीक अपनाई है, तब से उन्हें गन्ने में बार-बार कीटनाशक छिड़काव की जरूरत नहीं पड़ रहा है. अब सिर्फ फेरोमोन ट्रैप लगाकर ही दुश्मन कीटों से छुटकारा मिल जाता है.

Lakhimpur Kheri Farmer Agriculture Technique
बड़े काम का है सोलर लाइट ट्रैप
आईपीएम तकनीक में सोलर लाइट ट्रैप भी खास भूमिका निभा रहा है. यह रात में खुद जल जाता है और सुबह खुद ही बंद हो जाता है. इसकी रौशनी से कीड़े आकर्षित होकर नीचे रखे पानी के टब में गिरकर खत्म हो जाते हैं.
नतीजा यह है कि अब लखीमपुर खीरी के खेतों में फसलें भी सुरक्षित हैं, मिट्टी भी जहरीली नहीं हो रही और किसान की जेब भी मजबूत हो रही है. सिर्फ एक छोटे से फ्रूट फ्लाई ट्रैप ने जो काम कर दिखाया, वो महंगे कीटनाशक भी नहीं कर पाए.