बिना चार्ज बदलिए ट्यूबवेल की जगह, बिजली निगम का किसानों के लिए बड़ा ऐलान

बिजली निगम ने हाल ही में किसानों के हित में ऐसा फैसला लिया है, जिसे सुनकर खेतों की मेड़ पर खड़े हर किसान के चेहरे पर मुस्कान आना तय है.

Kisan India
नोएडा | Published: 3 Aug, 2025 | 01:44 PM

आप अक्सर देखते होंगे कि खेतों में खड़ी फसलों की प्यास बुझाने के लिए किसान ट्यूबवेल का सहारा लेते हैं. लेकिन सोचिए, जब बोरवेल फेल हो जाए, पानी खारा हो जाए या सरकार जमीन अधिग्रहित कर लेऐसे में किसान क्या करे? लेकिन बिजली निगम ने हाल ही में किसानों के हित में फैसला लिया है. अब तक ट्यूबवेल की लोकेशन बदलवाना आसान नहीं था. इसके लिए जेब ढीली करनी पड़ती थी और कई बार किसान मजबूरी में खराब व्यवस्था से ही काम चलाता था. लेकिन अब बिजली निगम ने किसानों की इस समस्या को समझते हुए बड़ा कदम उठाया है.

सोनीपत जिले के किसानों को इस परेशानी से राहत मिल गई है

हरियाणा में बिजली निगम ने घोषणा की है कि अगर कोई किसान अपने ट्यूबवेल कनेक्शन को 70 मीटर तक की दूरी पर स्थानांतरित कराना चाहता है, तो उसे इसके लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा. हालांकि यह सुविधा तभी मिलेगी जब ट्यूबवेल का नया स्थान किसान की अपनी जमीन पर ही होगा.

यह फैसला हजारों किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है. इससे अब वे बिना किसी हिचकिचाहट के अपने ट्यूबवेल की लोकेशन जरूरत के हिसाब से बदल सकेंगे. इस कदम से न केवल आर्थिक बोझ घटेगा, बल्कि सिंचाई की सुविधा भी बेहतर होगी और खेती करना आसान हो जाएगा.

बिना चार्ज के होगा स्थानांतरण, मगर कुछ शर्तें भी हैं

बिजली निगम की यह सुविधा तभी लागू होगी जब ट्यूबवेल का नया स्थान भी किसान की खुद की जमीन पर होगा. यानी, मालिकाना हक जरूरी है. पहले किसानों को कनेक्शन बदलवाने पर शुल्क देना पड़ता था, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से परेशानी होती थी. अब इस नए नियम से वे आसानी से जरूरत के मुताबिक ट्यूबवेल का स्थान बदल सकेंगे.

बिजली आधारित सिंचाई को मिल रही प्राथमिकता

जिले में अभी 34,335 बिजली ट्यूबवेल कनेक्शन चालू हैं, जबकि 27,640 ट्यूबवेल डीजल इंजन से चलते हैं. डीजल की कीमतें बढ़ने और बिजली के आसान विकल्प की वजह से अब किसान बिजली आधारित सिंचाई को ज्यादा पसंद कर रहे हैं. करीब चार लाख एकड़ भूमि पर की जा रही खेती के लिए ये बदलाव काफी अहम है.

धान की खेती और बिजली की बढ़ती मांग

जिले में इस समय लगभग 90 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान की रोपाई हो चुकी है. इस बार बरसात कम हुई है, जिससे किसान सिंचाई के लिए बिजली पर ज्यादा निर्भर हो गए हैं. जुलाई महीने में लगातार सिंचाई की जरूरत के कारण कृषि क्षेत्र में बिजली की मांग तेजी से बढ़ी है. फिलहाल जिले में हर दिन 1.40 लाख यूनिट से ज्यादा बिजली की खपत हो रही है, जिसमें घरेलू और कृषि दोनों क्षेत्रों की भागीदारी है.

किसानों को मिलेगा सीधा फायदा

इस नए नियम से किसानों को आर्थिक राहत मिलेगी और उन्हें कनेक्शन बदलवाने के लिए अब भारी शुल्क नहीं देना पड़ेगा. साथ ही, वे अब जरूरत के अनुसार बोरवेल की जगह बदलने में हिचकिचाएंगे नहीं. खासकर उन किसानों के लिए यह छूट बहुत फायदेमंद है, जिनके यहां बोरवेल फेल हो गए हैं या पानी की गुणवत्ता खराब हो गई है.

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