Hibiscus Flower Farming: पारंपरिक फसलों के साथ-साथ बागवानी में किसानों की दिलचस्पी बढ़ रही है. अब किसान गेंदा और गुलाब के साथ-साथ बड़े स्तर पर गुड़हल की भी खेती कर रहे हैं. इससे किसानों की कमाई में बढ़ोतरी हो रही है. लेकिन अधिकांश किसानों की शिकायत रहती है कि उनके गुड़हल के पौधे पर गेंदे और गुलाब की तरह फूल नहीं आ रहे हैं. अगर फूल आते भी हैं, तो तेज धूप में बहुत ही जल्द मुरझा जाते हैं. लेकिन अब किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम कुछ ऐसे टिप्स बताने जा रहे हैं, जिसे अपनाते ही गुड़हल के पौधे फूलों से लद जाएंगे.
दरअसल, हम जिस आसान टिप्स के बारे में बात करने जा रहे हैं, उसकी मदद से आपका गुड़हल का पौधा दोबारा हरा-भरा और फूलों से भर सकता है. बस सही देखभाल, थोड़ी धूप, सही मात्रा में पानी और समय-समय पर खाद डालना जरूरी है. फिर देखिए, आपका पौधा कैसे घर को खूशबू और रंगों से भर देगा. अगर आपके घर में रखा गुड़हल का पौधा फूल नहीं दे रहा है और उसकी सेहत खराब लग रही है, तो समझ जाइए कि पौधे में कीड़े लग गए हैं. कीड़ों की वजह से पौधा कमजोर हो जाता है, सूखने लगता है और फूल भी नहीं आते. ऐसी स्थिति में आपके बाथरूम में रखा सफेद डिटर्जेंट पाउडर मदद कर सकता है.’
इस पाउडर का करें स्प्रे
बस एक स्प्रे बोतल में थोड़ा डिटर्जेंट लेकर उसमें पानी मिलाएं और घोल बना लें. फिर इस घोल को पौधे के उन हिस्सों पर स्प्रे करें, जहां कीड़े नजर आ रहे हों. ध्यान रखें कि डिटर्जेंट वाला पानी मिट्टी में न जाए, क्योंकि इससे पौधे को नुकसान हो सकता है. इस आसान उपाय से आप अपने गुड़हल के पौधे को कीड़ों से बचा सकते हैं और उसकी खूबसूरती वापस ला सकते हैं.
5 से 6 घंटे धूप है जरूरी
गुड़हल के पौधे को अच्छी ग्रोथ के लिए पर्याप्त धूप, पानी और पोषक तत्व चाहिए. इसे रोजाना कम से कम 5 से 6 घंटे धूप मिलनी जरूरी है. पानी थोड़ा-थोड़ा और नियमित देना चाहिए, लेकिन ज्यादा पानी देने से बचना चाहिए क्योंकि इससे पौधा खराब हो सकता है. पौधे की समय-समय पर छंटाई भी करनी चाहिए, ताकि उसकी बढ़वार सही बनी रहे. गुड़हल की मिट्टी को हमेशा हल्की नम रखना चाहिए, मतलब मिट्टी गीली हो लेकिन ज्यादा भीगी न हो. साथ ही, पौधे को अच्छी पैदावार के लिए समय-समय पर खाद भी डालते रहना चाहिए. अगर पानी सही तरीके से मिट्टी से नहीं निकल पाएगा तो पौधा खराब हो सकता है, इसलिए गमले या खेत में पानी निकलने के लिए अच्छी निकासी (ड्रेनेज) का ध्यान रखना जरूरी है.