राजस्थान के अलवर जिले का प्याज पूरी दुनिया में अपने तीखेपन के लिए जाना जाता है. अलवर में पिछले करीब 40 सालों से किसान लाल प्याज की खेती कर रहे हैं. भारत में महाराष्ट्र के नाशिक के बाद अलवर की प्याज मंडी दूसरी सबसे बड़ी प्याज मंडी है. यहां के लाल प्याज की खासियत है कि सर्दियों के मौसम में अलवर का लाल प्याज ही खाने का स्वाद बढ़ाता है. अलवर के प्याज किसानों को खेती के लिए महाराष्ट्र और गुजरात के प्याज बीज पर निर्भर रहना पड़ता था लेकिन अब ऐसा नहीं है, अब यहां के किसान खुद प्याज के बीजों को विकसित कर रहे हैं.
अच्छी क्वालिटी के बीजों का विकास
किसान इंडिया से बात करते हुए अलवर मंडी संरक्षक पप्पू भाई प्रधान ने बताया की जनवरी में प्याज का बीज (कण) लगाया जाता है. जो अगले 3 महीने में तैयार होता है. लेकिन अब अलवर के किसान खुद ही प्याज का बीज (कण) तैयार कर रहे है जिसके कारण किसानों को प्याज के साथ प्याज के बीज के दाम भी बेहतर मिल रहे हैं.ऐसे में अलवर के किसानों को अब डबल फायदा होने लगा है. उन्होंने बताया की अलवर में तैयार होने वाले बीज (कण) को मध्यप्रदेश, गुजरात, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, व राजस्थान के नागौर, सीकर, झुंझुनू, बीकानेर, भरतपुर, दौसा, मथानिया, जोधपुर समेत अन्य स्थानों पर बहुतायत में भेजा रहा है.
किसान खुद क्यों तैयार कर रहे बीज
अलवर के किसान नाथूराम, उमेश व जगन का कहना है कि महाराष्ट्र व गुजरात से बीज (कण) मंगवाने में पहले काफी परेशानी होती थी, क्योंकि प्याज का बीज महंगा मिलता था.इसके साथ ही किसानों को बीज की क्वालिटी के बारे में भी जानकारी नहीं होती थी, ऐसे में क्वालिटी खराब होने पर किसान को दोहरा नुकसान उठाना पड़ता था. अब किसान अलवर में ही बेहतर क्वालिटी का बीज (कण) तैयार कर रहे हैं.
महाराष्ट्र और गुजरात पर निर्भरता खत्म
दरअसल, पिछले कई दशकों से अलवर के प्याज किसान महाराष्ट्र और गुजरात से प्याज के बीज मंगवाते रहे हैं. किसान बताते हैं कि प्याज के बीजों को मंगवाने में ट्रांसपोर्ट में काफी खर्च करना पड़ता था. जिससे प्याज के बीज की कीमत तो बढ़ती ही थी साथ ही पौधे के खराब होने का डर भी रहता था. लेकिन अब अलवर के प्याज किसान खुद बीजों का निर्माण कर रहे हैं जिससे महाराष्ट्र और गुजरात पर प्याज के बीज खरीदने की निर्भरता खत्म हो गई है. लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.