Cold Stress : सर्दी आते ही ठंडी हवा, कम तापमान और तेज नमी न सिर्फ इंसानों को परेशान करती है बल्कि दुधारू पशुओं की तबीयत भी बिगाड़ देती है. कई पशुपालक हर साल यह समस्या देखते हैं कि सर्दियों में उनके पशु कम दूध देने लगते हैं. इसका कारण है–पशुओं का ज्यादा ऊर्जा खर्च करना, भूख का कम हो जाना और ठंड से तनाव बढ़ना. लेकिन अच्छी बात यह है कि कुछ देसी तरीके और सही प्रबंधन ठंड में भी दूध का उत्पादन स्थिर और बढ़ा सकते हैं. आइए जानते हैं आसान भाषा में वे जरूरी उपाय.
ठंड से बचाएं, तभी बढ़ेगा दूध
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सर्दी में गाय-भैंस का शरीर अपना तापमान बनाए रखने के लिए ज्यादा ऊर्जा खर्च करता है. अगर उन्हें गर्म माहौल न मिले तो वे जल्दी बीमार पड़ जाते हैं. शाम होते ही पशुओं को खुले में न छोड़ें. उन्हें बोरी, टाट या जूट से ढककर बाड़े में रखें. रात में हवा न लगे, पर हल्का वेंटिलेशन रहे. जिस बाड़े में जानवर रहते हैं, वहाँ नमी नहीं जमे. नमी से खांसी, जुकाम और बुखार की दिक्कत बढ़ती है, इससे दूध तुरंत कम हो जाता है.
ताकतवर आहार जरूरी, वरना गिर जाएगा दूध उत्पादन
ठंड में पशुओं को गर्म रखने के लिए शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा चाहिए होती है. यदि आहार सही न मिले तो दूध आधा भी हो सकता है. सर्दियों में भूसा, सरसों की खली, चोकर, गेहूं की दलिया और प्रोटीन से भरपूर चारा जरूर देना चाहिए. यह शरीर को गर्म रखता है और दूध की मात्रा बनाए रखता है. पशुओं को आम दिनों से 20–30 फीसदी ज्यादा चारा देना फायदेमंद है, क्योंकि ठंड में उनकी भूख बढ़ जाती है.
गुनगुना पानी–सर्दियों का सबसे जरूरी फार्मूला
बहुत से पशु ठंडा पानी पीना कम कर देते हैं. इससे उनके शरीर में पानी की कमी होती है, भूख कम लगती है और पाचन बिगड़ता है. अगर पशु को दिन में 2–3 बार हल्का गुनगुना पानी पिलाया जाए, तो वह ज्यादा खाता है और दूध उत्पादन भी बढ़ने लगता है. गंदा या ठंडा पानी पिलाने से दस्त और गैस की समस्या बढ़ती है, इसलिए पानी की सफाई पर जरूर ध्यान दें.
साफ-सफाई और सूखा बिछावन–पशु को देता है आराम
बाड़े में नमी और गंदगी सर्दियों में सबसे बड़ा खतरा होती है. इससे बैक्टीरिया जल्दी पनपते हैं और बीमारी फैलती है. दिन में 2–3 बार गोबर और गंदगी हटाएं. बैठने की जगह पर सूखी पराली या पुआल बिछाएं. साफ-सुथरा और सूखा बिछावन पशु को गर्म रखता है, जिससे उसकी ऊर्जा बचेगी और दूध उत्पादन अच्छा रहेगा.