Pashupalan Khurak Chart : गांव की सुबह सिर्फ सूरज निकलने से नहीं होती, बल्कि तब होती है जब गौशाला में गाय-भैंस उठकर जुगाली शुरू करती हैं और दूध दुहने की तैयारी होती है. यही दूध गांव की अर्थव्यवस्था की असली धड़कन है. किसी घर में बच्चों की फीस इससे निकलती है, तो किसी घर में इसी दूध से महीने का राशन चलता है. लेकिन कई पशुपालक आज भी यह कहते मिल जाते हैं कि मेहनत तो पूरी है, फिर भी दूध उम्मीद से कम क्यों है?
असल बात यह है कि गाय या भैंस मशीन नहीं होती, जिसे बस चारा डालो और दूध निकाल लो. वह भी हमारी तरह जीती-जागती होती है. उसे सही खाना, साफ पानी, आराम और समय पर देखभाल चाहिए. अगर खुराक अधूरी है, बाड़ा गंदा है या खाना देने का समय तय नहीं, तो सबसे पहले असर दूध पर ही पड़ता है. धीरे-धीरे पशु कमजोर होता है, बीमार पड़ता है और कमाई घटने लगती है. आज के दौर में पशुपालन समझदारी का काम बन चुका है. संतुलित आहार, तय समय पर दुहाई, साफ-सफाई और सही देखभाल-ये चार बातें अगर ठीक हो जाएं, तो दूध अपने आप बढ़ने लगता है. यह खबर उसी समझ के साथ आपको बताएगी कि सही खुराक और देखभाल कैसे गाय-भैंस को सेहतमंद बनाकर आपकी आमदनी बढ़ा सकती है.
गाय और भैंस के लिए संतुलित आहार- क्यों है यह इतना जरूरी?

संतुलित आहार से गाय-भैंस रहें स्वस्थ.
गाय और भैंस के लिए संतुलित आहार का मतलब क्या है?
संतुलित आहार का मतलब है ऐसा खाना जिसमें गाय या भैंस को उसकी जरूरत के मुताबिक सभी जरूरी पोषक तत्व मिलें. इसमें ऊर्जा देने वाले तत्व, शरीर बनाने वाला प्रोटीन, हड्डियों और दूध के लिए खनिज, सेहत के लिए विटामिन और भरपूर पानी शामिल होता है. अगर इनमें से किसी एक की भी कमी हो जाए, तो उसका असर सीधे दूध और पशु की सेहत पर दिखता है. कई बार पशु बाहर से ठीक लगता है, लेकिन अंदर से कमजोर होता चला जाता है. इसलिए संतुलित आहार का मकसद सिर्फ पेट भरना नहीं, बल्कि शरीर को पूरा पोषण देना होता है.
संतुलित आहार से दूध और सेहत कैसे सुधरती है?
जब गाय या भैंस को सही मात्रा में ऊर्जा , प्रोटीन और खनिज मिलते हैं, तो दूध अपने आप बढ़ने लगता है. संतुलित आहार से थन मजबूत रहते हैं, दूध की गुणवत्ता अच्छी होती है और पशु ज्यादा समय तक दुधारू बना रहता है. इसके साथ ही प्रजनन क्षमता भी सुधरती है. सही पोषण मिलने पर गाय-भैंस समय पर गर्भधारण करती हैं और स्वस्थ बछड़ा पैदा होता है. संतुलित आहार से पशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है, जिससे थनैला, खुरपका-मुंहपका जैसी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है. इसका सीधा फायदा यह होता है कि इलाज पर खर्च घटता है और आमदनी बढ़ती है.
संतुलित आहार में क्या-क्या शामिल होना चाहिए?
| आहार का हिस्सा | क्या शामिल करें | कितना दें (औसतन) | फायदा |
|---|---|---|---|
| हरा चारा | बरसीम, जई, मक्का, नेपियर | 20-25 किलो/दिन | विटामिन, खनिज, ताजगी |
| सूखा चारा | भूसा, सूखी घास | 5-7 किलो/दिन | पाचन ठीक रहता है |
| दाना मिश्रण | अनाज, खल, चोकर | 1 किलो दाना प्रति 2.5-3 लीटर दूध | ऊर्जा, दूध बढ़ोतरी |
| खनिज मिश्रण | मिनरल मिक्स | 50-60 ग्राम/दिन | हड्डियां, प्रजनन क्षमता |
| विटामिन सप्लीमेंट | A, D, E आदि | डॉक्टर की सलाह से | इम्यूनिटी मजबूत |
| पानी | साफ, ताजा पानी | दिनभर उपलब्ध | दूध उत्पादन जरूरी |
सही आहार कैसे तय करें और क्या रखें ध्यान?
हर गाय या भैंस की जरूरत एक जैसी नहीं होती. उसकी उम्र, वजन, दूध देने की मात्रा और गर्भावस्था के हिसाब से आहार बदलता है. इसलिए बेहतर है कि पशु डॉक्टर या पोषण विशेषज्ञ की सलाह लेकर खुराक तय की जाए. अगर किसान यह समझ ले कि संतुलित आहार कोई खर्च नहीं, बल्कि निवेश है, तो पशुपालन अपने आप फायदे का काम बन जाता है. सही चारा, अच्छा दाना और जरूरी सप्लीमेंट-बस यही तीन बातें गाय-भैंस को स्वस्थ रखती हैं और दूध की धार को लगातार बहने देती हैं.
कौन-सी गाय या भैंस को कितना खाना चाहिए? वजन और दूध के हिसाब से खुराक चार्ट

वजन और दूध के हिसाब से सही खुराक.
गाय और भैंस को कितना दाना देना चाहिए
दुधारू पशु को कितना दाना देना है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह रोज कितना दूध दे रहा है. अगर गाय रोज करीब 10 लीटर दूध देती है, तो उसे हर तीन किलो दूध पर एक किलो दाना देना सही रहता है. जैसे-जैसे दूध बढ़ता है, दाने की जरूरत भी बढ़ जाती है. ज्यादा दूध देने वाली गाय को कम दूध के मुकाबले ज्यादा पोषण चाहिए, ताकि उसका शरीर कमजोर न पड़े और दूध बना रहे. भैंस के मामले में भी यही नियम लागू होता है, लेकिन भैंस का शरीर भारी होता है और दूध में फैट ज्यादा होता है, इसलिए उसकी खुराक पर खास ध्यान देना जरूरी है. कम दूध देने वाली भैंस को थोड़ा कम दाना काफी होता है, लेकिन जैसे ही दूध की मात्रा बढ़े, दाना भी बढ़ाना चाहिए. ध्यान रहे कि दाना हमेशा हरे और सूखे चारे के साथ दिया जाए, केवल दाना देने से फायदा नहीं होता.
अच्छा आहार कैसा होना चाहिए
| रोज का दूध (लीटर) | गाय को दाना | भैंस को दाना | ध्यान रखने वाली बात |
|---|---|---|---|
| 4-5 लीटर | 1.5-2 किलो | 2-2.5 किलो | हरा + सूखा चारा साथ जरूरी |
| 7-8 लीटर | 2.5-3 किलो | 3-3.5 किलो | दाना दो हिस्सों में दें |
| 10 लीटर | 3-3.5 किलो | 4-4.5 किलो | हर 3 लीटर दूध पर 1 किलो दाना |
| 12-15 लीटर | 4-5 किलो | 5-6 किलो | मिनरल मिक्स जरूर दें |
| 18-20 लीटर | 6-7 किलो | 7-8 किलो | डॉक्टर से सलाह बेहतर |
दूध बढ़ाने के लिए खुराक कब और कितनी बार देनी चाहिए?

दूध बढ़ाने के लिए समय पर सही खुराक.
दिन में कितनी बार चारा-दाना दें
| समय | क्या दें | कितनी बार | क्यों जरूरी |
|---|---|---|---|
| सुबह (दूध दुहने से पहले) | हल्का हरा चारा | 1 बार | पशु शांत रहता है, दूध अच्छे से उतरता है |
| सुबह (दूध दुहने के बाद) | दाना + थोड़ा हरा चारा | 1 बार | शरीर को तुरंत ऊर्जा मिलती है |
| दोपहर | हरा चारा | 1 बार | पाचन मजबूत, भूख बनी रहती है |
| शाम (दूध दुहने के बाद) | बचा हुआ दाना | 1 बार | अगली दुहाई के लिए ताकत |
| दिनभर | सूखा चारा (भूसा/सूखी घास) | हमेशा सामने | जुगाली सही, पेट भरा |
| दिनभर | साफ ताजा पानी | हमेशा | दूध उत्पादन के लिए जरूरी |
दूध दुहने से पहले और बाद में खुराक का फर्क
दूध दुहने से पहले भारी दाना देना ठीक नहीं माना जाता. इससे पशु बेचैन हो सकता है और दूध ठीक से नहीं उतरता. दुहने से पहले सिर्फ हल्का चारा या थोड़ा हरा चारा देना सही रहता है, ताकि पशु शांत रहे. दूध दुहने के बाद दाना देना सबसे फायदेमंद होता है. इस समय शरीर दूध बनाने में लगी ताकत को वापस पाने की कोशिश करता है. अगर उसी समय सही खुराक मिल जाए, तो अगली बार दूध की मात्रा बढ़ने लगती है. यही कारण है कि अनुभवी पशुपालक दूध दुहने के बाद ही दाना देते हैं.
समय तय होने से दूध क्यों बढ़ता है
जब गाय या भैंस को रोज एक ही समय पर खाना और दूध दुहना मिलता है, तो उसका शरीर उसी हिसाब से काम करने लगता है. पेट, दिमाग और थन-तीनों तालमेल में आ जाते हैं. अनियमित समय पर खाना देने से दूध की मात्रा घट सकती है. इसलिए अगर आप चाहते हैं कि दूध लगातार और ज्यादा मिले, तो खुराक और दुहाई का समय रोज तय रखें. यही दूध बढ़ाने का सबसे आसान तरीका है.
पशुओं की सेहत खराब होने की असली वजह क्या है और बचाव कैसे करें?

गलत खुराक और गंदगी से बीमारी, सही देखभाल से बचाव.
पशुओं की सेहत खराब होने की असली वजह
पशुओं में बीमारी की सबसे बड़ी वजह असंतुलित आहार है. जब उन्हें सही मात्रा में हरा चारा, सूखा चारा और जरूरी खनिज नहीं मिलते, तो शरीर कमजोर पड़ने लगता है. कई बार दूषित पानी या सड़ा-गला चारा भी बीमारी की जड़ बनता है. ज्यादा अनाज खिलाने से पेट की दिक्कत होती है और दूध भी घट सकता है. दूसरी बड़ी वजह गंदा और नम वातावरण है. गंदगी, नमी और हवा की कमी से मक्खी-मच्छर बढ़ते हैं, जो बीमारियां फैलाते हैं. इसके अलावा पेट के कीड़े, जूं और किलनी जैसे परजीवी खून और ताकत चूस लेते हैं. मौसम का अचानक बदलना और एक-दूसरे बीमार पशु के संपर्क में आना भी संक्रमण फैलाता है. कुछ पशु नए माहौल या गलत देखभाल से तनाव में आ जाते हैं, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है.
पशुओं को बीमारियों से कैसे बचाएं
पशुओं को स्वस्थ रखने का सबसे आसान तरीका है संतुलित और साफ भोजन. रोज़ हरा चारा, सूखा भूसा और मिनरल मिक्सचर जरूर दें. पानी हमेशा साफ और ताजा होना चाहिए. बाड़े को रोज़ साफ करें, ताकि नमी और गंदगी न जमे. पशु चिकित्सक की सलाह से समय पर टीकाकरण और पेट के कीड़ों की दवा जरूर दिलाएं. नया पशु लाने पर उसे कुछ दिन अलग रखें, ताकि बीमारी न फैले. अलग-अलग उम्र के पशुओं को भी अलग रखना बेहतर होता है. पशुओं के व्यवहार पर ध्यान दें-अगर वह कम खा रहा है, सुस्त है या जुगाली बंद हो गई है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. साफ वातावरण, सही खानपान और समय पर देखभाल से पशु स्वस्थ रहते हैं और नुकसान से बचाव होता है.
खुराक चार्ट, स्वास्थ्य शेड्यूल और सप्लीमेंट कैसे बनाएं और अपनाएं?

खुराक चार्ट और सही सप्लीमेंट से पशु रहें स्वस्थ.
पशु आहार चार्ट और स्वास्थ्य शेड्यूल कैसे बनाएं
- पशु का वजन और दूध उत्पादन देखकर खुराक तय करें.
- आहार में हरा चारा ज्यादा, दाना सीमित रखें.
- हरा चारा, सूखा भूसा और दाना तीनों संतुलित दें.
- दुधारू पशु को दूध के हिसाब से अतिरिक्त दाना दें.
- बछड़े और गाभिन पशु को उम्र व अवस्था अनुसार पोषण दें.
- समय पर टीकाकरण और पेट के कीड़ों की दवा कराएं.
- पशुशाला साफ, सूखी और हवादार रखें.
- साफ ताजा पानी हर समय उपलब्ध कराएं.
सप्लीमेंट का सही इस्तेमाल क्यों जरूरी है
कई बार सिर्फ चारा और दाना देने से ही सभी पोषक तत्व पूरे नहीं हो पाते. ऐसे में मिनरल मिक्सचर और विटामिन सप्लीमेंट बहुत काम आते हैं. इससे हड्डियां मजबूत रहती हैं, दूध की मात्रा और गुणवत्ता सुधरती है और प्रजनन क्षमता भी बेहतर होती है. पाचन ठीक रखने के लिए प्रोबायोटिक्स या यीस्ट भी डॉक्टर की सलाह से दिए जा सकते हैं. अगर हरे चारे की कमी हो, तो अजोला जैसे देसी विकल्प से प्रोटीन की कमी पूरी की जा सकती है. सबसे जरूरी बात यह है कि हर पशु अलग होता है. इसलिए किसी भी आहार या सप्लीमेंट को शुरू करने से पहले पशु चिकित्सक की सलाह जरूर लें. सही योजना से पशु स्वस्थ रहेगा और पशुपालक को ज्यादा फायदा मिलेगा.
सही खुराक और देखभाल से दूध और कमाई कैसे बढ़ेगी?

सही खुराक व देखभाल से दूध और कमाई दोनों बढ़ें.
संतुलित आहार से दूध क्यों बढ़ता है
गाय-भैंस के लिए संतुलित आहार का मतलब है हरा चारा, सूखा चारा और दाना मिश्रण-तीनों का सही तालमेल. हरा चारा जैसे बरसीम, जई, ज्वार या मक्का पशु को ताजगी और जरूरी विटामिन देता है. सूखा चारा जैसे भूसा या सूखी घास पाचन को ठीक रखता है और पेट भरा रहता है. दाना मिश्रण पशु को ऊर्जा और ताकत देता है, जिससे दूध बनने की प्रक्रिया तेज होती है. दूध उत्पादन के हिसाब से दाना देना बहुत जरूरी है. आमतौर पर 2.5 से 3 लीटर दूध पर करीब 1 किलो दाना देने से अच्छा नतीजा मिलता है. इसके साथ खनिज मिश्रण और विटामिन देने से हड्डियां मजबूत रहती हैं और दूध की गुणवत्ता भी सुधरती है. कई पशुपालक गुड़, आटा और सौंफ मिलाकर सानी देते हैं, जो सही मात्रा में हो तो फायदेमंद रहती है. सही खुराक से पशु का पाचन अच्छा होता है, ऊर्जा बढ़ती है और वही ऊर्जा दूध में बदलती है.
सही देखभाल से कैसे बढ़ेगी कमाई
खुराक के साथ-साथ पशु की रोजमर्रा की देखभाल भी उतनी ही जरूरी है. पशुशाला साफ हो, बिछावन सूखा हो और हवा-पानी की ठीक व्यवस्था होनी चाहिए. गंदगी और नमी से बीमारियां जल्दी फैलती हैं, जिससे दूध घटता है. पशु को हमेशा साफ और ताजा पानी मिलना चाहिए, क्योंकि कम पानी पीने से भी दूध कम हो जाता है. तनाव भी दूध का बड़ा दुश्मन है. अगर दूध दुहने का समय रोज एक जैसा हो और पशु को शांत माहौल मिले, तो दूध अपने आप बढ़ने लगता है. समय पर टीकाकरण और कीड़े मारने की दवा देने से बीमारी का खतरा कम होता है और इलाज पर खर्च भी बचता है. जब पशु स्वस्थ रहेगा, तो दूध ज्यादा देगा और पशुपालक की आमदनी भी लगातार बढ़ेगी.