Milk Production : गांव हो या शहर, गाय-भैंस का दूध हर घर की जरूरत है. किसान जानते हैं कि दूध सिर्फ आमदनी नहीं, बल्कि परिवार की पहचान भी है. लेकिन कई बार मेहनत के बावजूद दूध की मात्रा कम रह जाती है. ऐसे में सवाल उठता है- क्या वजह है कि पशु पर्याप्त दूध नहीं दे रहे? इसका जवाब है-संतुलित और पौष्टिक आहार. अगर किसान सही समय पर सही आहार देंगे, तो गाय-भैंस की दूध देने की क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी हो सकती है. आइए जानते हैं वो आहार और तरीके जो दूध उत्पादन को कई गुना बढ़ा सकते हैं.
संतुलित आहार है सबसे जरूरी
अगर आप चाहते हैं कि आपकी गाय-भैंस अधिक दूध दें, तो सबसे पहले उन्हें संतुलित आहार देना जरूरी है. इसका मतलब है कि चारे में सभी पोषक तत्व मौजूद हों- प्रोटीन, विटामिन, खनिज लवण और कार्बोहाइड्रेट. किसान भाइयों को चाहिए कि वे अपने पशुओं को 24 घंटे में चार बार आहार दें. हर बार लगभग 5 किलो चोकर खिलाएं और बीच-बीच में साफ पानी भी जरूर पिलाएं. सही समय पर भोजन देने से पशुओं की पाचन क्रिया सुधरती है और दूध की मात्रा बढ़ती है.
चारे में क्या-क्या शामिल करें
सिर्फ सूखा चारा या घास खिलाने से दूध की मात्रा नहीं बढ़ती. पशुओं को संतुलित और विविध आहार देना बहुत जरूरी है. दाने में मक्का, जौ, गेहूं और बाजरा लगभग 35 फीसदी तक मिलाएं. खली में सरसों, मूंगफली, बिनौला और अलसी की खल लगभग 32 प्रतिशत तक रखें. इसके साथ चोकर में गेहूं, चना, दाल और राइस ब्रान करीब 35 किलो तक मिलाएं. साथ ही 2 किलो खनिज लवण और 1 किलो नमक मिलाना न भूलें. यह मिश्रण न केवल दूध की मात्रा बढ़ाता है बल्कि पशु की सेहत, पाचन शक्ति और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाता है.
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दिनभर में कितना आहार और पानी दें
दूध की मात्रा सीधे पशु के आहार और पानी की आदत पर निर्भर करती है. इसलिए गाय को रोजाना लगभग 5 किलो दाना और भैंस को 2 किलो दाना अवश्य दें. साथ ही हर दिन 30 से 32 लीटर तक साफ पानी पिलाना जरूरी है, जिससे पशु हाइड्रेटेड रहें और पाचन सही बना रहे. शाम के समय, जब पशु दिनभर का चारा खा लें, तो उन्हें 200 से 300 ग्राम सरसों का तेल गेहूं के आटे में मिलाकर खिलाएं. यह मिश्रण पशु को अतिरिक्त ऊर्जा देता है, शरीर को गर्म रखता है और दूध बनने की प्रक्रिया को तेज करता है.
सफाई और सेहत पर रखें खास ध्यान
दूध उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ पशु की सेहत का ख्याल रखना भी बेहद जरूरी है. अगर पशु स्वस्थ रहेंगे, तो ही वे ज्यादा और गुणवत्तापूर्ण दूध दे पाएंगे. इसलिए चारे और पानी की सफाई का हमेशा ध्यान रखें. सड़ा या गंदा चारा कभी न खिलाएं, इससे बीमारी फैल सकती है. समय-समय पर पशु चिकित्सक से उनका स्वास्थ्य परीक्षण करवाते रहें ताकि किसी भी रोग का समय पर इलाज हो सके. साथ ही, पशुशाला या बाड़े में सूखापन और सफाई बनाए रखें. नमी या गंदगी से संक्रमण का खतरा बढ़ता है. याद रखें- स्वस्थ पशु ही किसान की असली पूंजी हैं.
प्राकृतिक उपाय भी हैं कारगर
अगर आप केमिकल वाले आहार से बचना चाहते हैं, तो नेपियर, बरसीम और जिरका जैसी हरी घास को चारे में शामिल करें. यह घास न सिर्फ पौष्टिक होती है, बल्कि पशुओं की पाचन क्रिया और दूध उत्पादन दोनों को बढ़ाती है. इसके साथ ही, गुड़, सरसों का तेल और दालों का चोकर प्राकृतिक ऊर्जा बढ़ाने में मदद करता है. यह सस्ता और असरदार विकल्प है जो किसान की जेब पर भी भारी नहीं पड़ता.