जब बदलते मौसम का पहिया घूमता है, तो गर्मी से लेकर ठंड तक का संक्रमण मछलियों के लिए कैसा असर लाता है, यह शायद हमें कम ही सोचना पड़ता है. मगर मछलियां ठंडे–खून की होती हैं और पानी में तापमान, ऑक्सीजन और पानी की गुणवत्ता में थोड़ा सा बदलाव ही उन्हें बीमार कर सकता है. इसलिए जैसे ही मौसम बदलने लगे, मछलीपालकों को सजग हो जाना चाहिए. नीचे कुछ जरूरी काम और टेक्निक दी जा रही हैं, जिनके माध्यम से आप सर्दियों में मछलियों को स्वस्थ रख सकते हैं.
पानी की गहराई बढ़ाएं
सर्दियों में दिन छोटे और ठंड अधिक होने से तालाब के पानी का तापमान तेजी से गिर सकता है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तालाब की गहराई छह फीट तक रखना चाहिए, क्योंकि गहरे पानी में तापमान स्थिर रहता है और मछलियों को गर्म पानी में सुरक्षित रहने की जगह मिलती है. जब सतह का पानी ठंडा हो, तो नीचे का हिस्सा अपेक्षाकृत गर्म रहता है. शाम को ट्यूबवेल या कुएं का हल्का गर्म पानी मिलाना भी फायदेमंद होता है, खासकर जब तापमान 15°C से नीचे चला जाए. साथ ही, तालाब के पास के पेड़ों की छंटाई कर धूप पहुंचाना जरूरी है.
ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में रखें
सर्दियों में धूप कम और बादल अधिक रहने के कारण तालाब के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा घट सकती है, जिससे मछलियांं तनाव में आ जाती हैं. इसलिए सुबह के समय एरटर या डिफ्यूजर जरूर चालू करें, ताकि पानी में ऑक्सीजन बनी रहे. सतही या ताजे पानी को पम्प से तालाब में मिलाना भी फायदेमंद है, इससे जल का प्रवाह बढ़ेगा और ऑक्सीजन स्तर संतुलित रहेगा. बड़े तालाबों में कई एरटर अलग-अलग स्थानों पर लगाएं. ध्यान रखें, रात या अत्यधिक ठंड में पम्प बंद न करें, क्योंकि इससे कुछ हिस्सों में ऑक्सीजन खत्म हो सकती है और मछलियों को खतरा बढ़ सकता है.
पानी का तापमान नियमित रूप से चेक करें
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पानी का तापमान मछलियों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता और चयापचय को सीधे प्रभावित करता है. सर्दियों में रोज सुबह-शाम तापमान मापना जरूरी है. यदि तापमान अचानक गिर जाए, तो तुरंत हल्का गर्म पानी मिलाएं या पम्प, हीटर चालू करें. लेकिन तापमान में बदलाव धीरे-धीरे करें, वरना मछलियों को अतिरिक्त तनाव हो सकता है. जब पानी का तापमान 15°C से नीचे पहुंच जाए, तो विशेष सतर्कता रखें. ऐसे में तालाब को कीटाणुरहित करें, विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट्स दें, ताकि मछलियाँ मजबूत रहें. समय पर ध्यान देने से बीमारियों की आशंका कम होती है और उत्पादन में गिरावट नहीं आती.
pH स्तर का निरीक्षण और संतुलन
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तालाब के पानी का pH स्तर मछलियों के स्वास्थ्य और पानी की गुणवत्ता के लिए बेहद जरूरी होता है. हर 2–3 दिन में pH की जांच करें. अगर pH 7.0 से नीचे जाए, तो पानी अम्लीय हो जाता है, जिससे मछलियां बीमार पड़ सकती हैं. ऐसे में 100 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से चूना दो किश्तों में तालाब में डालें. चूना डालते समय धीरे-धीरे मिलाएं और हलचल करें ताकि वह तली में न जमे और पूरी सतह पर फैल जाए. अगर pH 8.5 से ऊपर चला जाए, तो हल्के जैविक अम्ल मिलाएं या आंशिक पानी बदलें.
बीमारियों पर जल्द रिएक्शन
सर्दियों में तापमान गिरते ही रोग पैदा करने वाले जीव (पैथोजन्स) सक्रिय हो जाते हैं, जिससे मछलियां फंगल, बैक्टीरियल या परजीवी संक्रमण की चपेट में आ सकती हैं. उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है. इसलिए हर 7–10 दिन में पानी की जांच कराएं और रोगजनकों की पहचान करें. यदि मछलियाँ धीमी तैरें, छिलका उखड़े या झिल्ली लाल हो, तो तुरंत एंटीबायोटिक दवाओं, ऑक्सीजन सपोर्ट और स्लीम रिमूवल ट्रीटमेंट का इस्तेमाल करें. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगर संक्रमण फैल गया हो, तो बीमार मछलियों को अलग करें और तालाब में सीमित मात्रा में क्लोरीन या हाइड्रोजन पेरॉक्साइड डालें.
नियमित निगरानी और रखरखाव
सर्दियों में मछलियों की देखभाल में जरा-सी लापरवाही भी भारी नुकसान पहुंचा सकती है. इसलिए नियमित निगरानी जरूरी है. मछलियों की गतिविधि, तैरने का तरीका, छिलकों की स्थिति पर रोज नजर रखें. हर 7–10 दिन में सतही, मध्यम और गहरे पानी से नमूना लेकर pH, ऑक्सीजन, अमोनिया व नाइट्राइट की जांच करें. पानी की गुणवत्ता खराब हो तो 10–20 फीसदी पानी बदलें. तालाब की साफ-सफाई करते रहें और पत्ते या मल हटाएं. सुनिश्चित करें कि तालाब पर धूप पहुंचे, पेड़ों की छाया हटाएं या पारदर्शी कवर का प्रयोग करें, ताकि प्रकाश और गर्मी मिलती रहे.