एक बार गलफड़े सड़े तो बचना मुश्किल! मछलियों की मौत की सबसे बड़ी वजह बना ये रोग

ब्रेकियोमाइसिस एक खतरनाक फफूंद जनित रोग है, जो मछलियों के गलफड़ों पर हमला करता है. जिससे मछलियों को सांस लेने में दिक्कत होती है. समय पर इलाज और तालाब की सफाई से इस बीमारी से बचा जा सकता है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 6 Jul, 2025 | 10:23 PM

अगर आप मछली पालन करते हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है. तालाब में तैरती दिखने वाली स्वस्थ मछलियां कब अचानक बीमार पड़ जाएं और मरने लगें, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल होता है. लेकिन कई बार इसकी वजह एक बेहद खतरनाक फफूंद होती है ब्रेकियोमाइसिस. यह रोग मछलियों के गलफड़ों पर हमला करता है, जो उनकी सांस लेने की क्षमता को धीरे-धीरे खत्म कर देता है. यदि समय पर इलाज न किया गया तो पूरे झुंड को खत्म कर सकता है.

क्या होता है ब्रेकियोमाइसिस फफूंद?

ब्रेकियोमाइसिस एक खतरनाक फफूंद है, जो मछलियों के गलफड़ों  पर हमला करता है. केंद्र सरकार के मत्स्य पालन विभाग के अनुसार, इस बीमारी की शुरुआत में गलफड़े अपना लाल रंग खोकर रंगहीन हो जाते हैं और धीरे-धीरे सड़ने लगते हैं. इससे मछलियों को सांस लेने में दिक्कत होती है और वे पानी की सतह पर आकर तेज़ी से हांफने लगती हैं. अगर समय पर इलाज न किया गया तो यह रोग तेजी से फैलकर पूरी मछली टोली को बीमार कर देता है. इसलिए इस बीमारी को जल्दी पहचानना और उसका इलाज करना बहुत जरूरी है.

तालाब में दिखे ये लक्षण तो देर न करें

अगर आपके तालाब में मछलियां बार-बार सतह पर आकर मुंह खोलती दिखें, उनके गलफड़े रंगहीन या काले पड़ गए हों और कुछ मछलियां धीरे-धीरे तैर रही हों तो ये खतरे की घंटी हैं. यदि अचानक कई मछलियों की मौत भी होने लगे तो तुरंत सतर्क हो जाइए. ये सभी लक्षण ब्रेकियोमाइसिस नाम की खतरनाक फफूंद बीमारी के हो सकते हैं, जिसका समय पर इलाज न किया गया तो पूरा झुंड खतरे में पड़ सकता है.

समय पर इलाज से बच सकती है मछलियों की जान

ब्रेकियोमाइसिस का इलाज जल्दी और सही तरीके से करना जरूरी है. सबसे पहले मछलियों को 250 पी.पी.एम. फार्मिलिन के घोल में 1-2 मिनट तक डुबोएं. फिर 3 फीसदी नमक के घोल से उनके गलफड़ों की सफाई करें, जिससे फंगस हट जाए. ध्यान दें कि तालाब में बीमारी न फैले इसके लिए पानी में 1-2 पी.पी.एम. कॉपर सल्फेट और 15-25 पी.पी.एम. फार्मिलिन मिलाना फायदेमंद होता है. ये उपाय बीमारी को फैलने से रोकते हैं.

साफ तालाब और संतुलित पानी ही सबसे बड़ी सुरक्षा

ब्रेकियोमाइसिस से बचाव के लिए तालाब की साफ-सफाई सबसे जरूरी है. इसके अलावा, पानी का पीएच, तापमान और ऑक्सीजन का स्तर संतुलन में रहना चाहिए. यही नहीं, मछलियों की नियमित जांच कराएं और अगर कोई भी असामान्य लक्षण दिखे तो तुरंत इलाज शुरू करें. साथ ही, तालाब में ज्यादा भीड़ न होने दें और पानी की क्वालिटी पर लगातार नजर रखें. गंदा पानी और भीड़भाड़ इस बीमारी के फैलने का सबसे बड़ा कारण बन सकते हैं.

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