जापान से लेकर भारत तक, क्यों डराती है रहस्यमयी ‘डूम्सडे फिश’? जानिए सच्चाई

जापान में 2011 में आए भयानक भूकंप से पहले कई बार डूम्सडे फिश देखी गई थी. इसके बाद से ही हर बार जब यह मछली नजर आती है, तो लोग आशंकाओं और चिंताओं से भर जाते हैं.

नई दिल्ली | Published: 5 Jul, 2025 | 09:03 AM

कल्पना कीजिए, किसी शांत समुद्र किनारे पर एक लंबी, चांदी सी चमकती मछली किनारे आ लगे. लोग उसे देखकर चौंक जाएं, कुछ डरें और कुछ मोबाइल कैमरे निकाल लें. लेकिन जापान जैसे देशों में, जब ओआरफिश नाम की ये मछली दिखती है, तो लोग उसे सिर्फ एक समुद्री जीव नहीं, बल्कि आने वाली विनाशकारी आपदा का संकेत मानते हैं. इसीलिए इसे ‘डूम्सडे फिश’ कहा जाता है यानी तबाही की मछली. हाल में इस मछली को भारत के तट पर भी देखा गया था, जिसके बाद एक बार फिर पूरी दुनिया में इस मछली को लेकर बहस शुरू हो गई है. तो चलिए जानते हैं क्यों इस मछली को देखकर कुछ बुरा होने का अनुमान लगाया जाता है.

जापानी लोककथाओं में ‘समुद्री देवता का दूत’

जापान की पुरानी मान्यताओं में ओआरफिश को “Ryugu no Tsukai” कहा जाता है, जिसका अर्थ है “समुद्री देवता के महल से आया संदेशवाहक.” लोककथाओं के अनुसार, जब भी यह मछली सतह पर दिखती है या किनारे पर आ जाती है, तो वह भूकंप या समुद्री तूफान जैसी किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा का पूर्व संकेत होता है.

यह विश्वास पूरी तरह काल्पनिक नहीं लगता जब हम देखते हैं कि जापान में 2011 में आए भयानक भूकंप से पहले कई बार ओआरफिश देखी गई थी. इसके बाद से ही हर बार जब यह मछली नजर आती है, तो लोग आशंकाओं और चिंताओं से भर जाते हैं.

वैज्ञानिकों की राय कुछ और कहती है

हालांकि विज्ञान की नजरें इस रहस्य को और अलग तरीके से देखती हैं. समुद्री जीव वैज्ञानिकों का कहना है कि ओआरफिश सामान्यतः समुद्र की 200 से 1000 मीटर गहराई में रहती है. ऐसे में उसका सतह पर आना असामान्य जरूर है, लेकिन इसका मतलब जरूरी नहीं कि भूकंप आने वाला है.

विज्ञान के अनुसार ओआरफिश का सतह पर आना कई वजहों से हो सकता है, जैसे पानी का तापमान अचानक बदल जाना, जल प्रदूषण, किसी गैस का रिसाव या फिर खुद मछली का बीमार होना. कुछ वैज्ञानिक ये भी मानते हैं कि जब समुद्र की सतह के नीचे हलचल होती है, तो उससे बनने वाले विद्युत आवेश या गैसें इन मछलियों को भ्रमित कर सकती हैं और वे ऊपर की ओर आ जाती हैं.

लोगों कि मान्यता

कई बार यह मान्यता लोगों को मानसिक रूप से सतर्क कर देती है, हालांकि इसका कोई ठोस वैज्ञानिक आधार नहीं है. यह मान्यता हमें थोड़ा नियंत्रण का भ्रम देती है, कि शायद हम पहले से जान सकते हैं कि कुछ बड़ा होने वाला है.

ओआरफिश की दुर्लभता

ओआरफिश वास्तव में दुर्लभ होती है. इसकी लम्बाई कभी-कभी 10 से 11 मीटर तक होती है, और इसकी चांदी जैसी चमक इसे और रहस्यमय बनाती है. ये जब कभी किनारे के पास या सतह पर दिखाई देती है, तो यह अपने आप में एक बड़ी खबर बन जाती है. आमतौर पर जब ओआरफिश दिखती है, तो वह बीमार, घायल या भ्रमित होती है, यही कारण है कि वो गहराई से ऊपर आ जाती है.

क्या वाकई है तबाही का संकेत?

अब सवाल यह है कि क्या ओआरफिश सच में तबाही का पूर्व संकेत है? वैज्ञानिक साफ कहते हैं-“नहीं.” अब तक ऐसा कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है जो यह साबित करे कि इस मछली का दिखना किसी आपदा का निश्चित संकेत है. हां, कुछ घटनाएं एक-दूसरे के पास जरूर हुई हैं, लेकिन वे महज संयोग हो सकती हैं.