जीरे की कीमतों में 6 फीसदी से ज्यादा गिरावट, घटिया क्वालिटी बनी बड़ी वजह

भारत के सबसे बड़े जीरा खरीददारों में से एक चीन ने इस बार आयात कम कर दिया. इससे भारत की मंडियों में मांग कमजोर पड़ी और व्यापारियों को झटका लगा.

नई दिल्ली | Published: 4 Jun, 2025 | 07:20 AM

मसालों का राजा कहे जाने वाले जीरे की कीमतों में इस मई महीने में बड़ी गिरावट देखने को मिली. एक समय जो जीरा महंगाई की वजह से चर्चा में था, वही अब कमजोर मांग और अधिक स्टॉक के कारण किसानों और व्यापारियों की चिंता का कारण बन गया है.

क्या हुआ मई में?

मई 2025 में जीरे की कीमतों में 6 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई. इसकी मुख्य वजह थी मंडियों में भारी मात्रा में आवक, जिसमें काफी जीरा बारिश से खराब हो गया था. राजस्थान और गुजरात के मंडियों, खासकर उंझा में, नमी और रंग खराब होने के कारण खरीदारों की दिलचस्पी कम हो गई.

मई में कुल आवक सिर्फ 25,751 मीट्रिक टन रही, जो अप्रैल के मुकाबले 62 फीसदी कम थी. इसके बावजूद कीमतें गिरीं क्योंकि जो जीरा मंडियों में आया, वो अच्छी क्वालिटी का नहीं था. यही वजह है कि कई किसानों ने अच्छा क्वालिटी वाला जीरा बेचना अभी टाल दिया है. उन्हें उम्मीद है कि जब बाजार में जीरे की कमी होगी (ऑफ-सीजन), तब कीमतें फिर से ऊपर जाएंगी.

चीन ने दिखाई पीठ

भारत के सबसे बड़े जीरा खरीददारों में से एक चीन ने इस बार आयात कम कर दिया. इससे भारत की मंडियों में मांग कमजोर पड़ी और व्यापारियों को झटका लगा. हालांकि, बांग्लादेश, यूएई और वियतनाम जैसे देशों से कुछ मांग जरूर बनी रही, जो थोड़ा राहत देने वाला रहा.

एक्सपोर्ट में दिखा दम

एक अच्छी खबर यह रही कि अप्रैल से फरवरी (FY25) के बीच भारत से जीरे का निर्यात 60 फीसदी बढ़कर 1.95 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया. लेकिन फरवरी के महीने में थोड़ा ब्रेक लगा, शायद लॉजिस्टिक दिक्कतों और क्वालिटी की कमी की वजह से.

विशेषज्ञ मानते हैं कि जून-जुलाई 2025 में चीन में जीरे की फसल कमजोर रह सकती है. अगर ऐसा हुआ तो भारत से जीरे की मांग फिर बढ़ सकती है और कीमतों में सुधार संभव है.