भारत में नारियल तेल की कीमतें आसमान पर, छोटी मिलों पर गहराया संकट- जानिए वजह

इंडोनेशिया और श्रीलंका जैसे देशों में नारियल उत्पादन में कमी आई है, जिससे भारत से नारियल निर्यात की मांग बढ़ी है. भारत से नारियल और इसके उत्पादों का निर्यात इस साल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त 2025 तक भारत ने 10,727 टन नारियल (छिलके समेत) का निर्यात किया.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 10 Nov, 2025 | 03:53 PM

Coconut oil prices: भारत में नारियल तेल की कीमतें एक बार फिर चर्चा में हैं. जहां एक ओर बाजार में सूखे नारियल (Copra) की आवक बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर कीमतों में कोई कमी नहीं आई है. विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ती वैश्विक मांग और इंडोनेशिया व श्रीलंका जैसे उत्पादक देशों में कमी के चलते भारत में नारियल तेल की कीमतें लगातार मजबूत बनी हुई हैं.

तेल बाजार में जारी मजबूती

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, केरल और तमिलनाडु के थोक बाजारों में नारियल तेल की कीमतें क्रमशः 362 और 310 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुकी हैं. वहीं सूखे नारियल (Copra) की कीमतें केरल में 222 रुपये और तमिलनाडु में 217  रुपये प्रति किलो के स्तर पर हैं. आमतौर पर ओणम के बाद फसल की कटाई शुरू होते ही कीमतों में गिरावट देखने को मिलती है, लेकिन इस बार परिदृश्य बिल्कुल उल्टा है.

कोचीन ऑयल मर्चेंट्स एसोसिएशन (COMA) के अध्यक्ष तलाथ महमूद का कहना है कि बाजार को उम्मीद थी कि फसल बढ़ने से दाम कम होंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने बताया कि तमिलनाडु के कई व्यापारिक केंद्रों पर सूखे नारियल का स्टॉक जमा कर लिया गया है, जिससे कीमतें और अधिक बढ़ी हुई हैं.

निर्यात मांग ने बढ़ाई दामों की रफ्तार

सरकारी सूत्रों के अनुसार, इंडोनेशिया और श्रीलंका जैसे देशों में नारियल उत्पादन में कमी आई है, जिससे भारत से नारियल निर्यात की मांग बढ़ी है. भारत से नारियल और इसके उत्पादों का निर्यात इस साल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त 2025 तक भारत ने 10,727 टन नारियल (छिलके समेत) का निर्यात किया, जो पिछले साल की इसी अवधि के 8,575 टन से कहीं अधिक है. बिना छिलके वाले नारियलों का निर्यात भी 20,000 टन तक पहुंच गया. कुल मिलाकर, नारियल उत्पादों का निर्यात मूल्य अगस्त तक ₹2,546 करोड़ तक पहुंच गया, जो पिछले साल 1,605 करोड़ रुपये था.

किसानों को मिल रहा ऊंचे दामों का फायदा

पिछले तीन वर्षों से नारियल की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे चल रही थीं, लेकिन इस बार किसानों को राहत मिली है. बढ़ी हुई मांग और निर्यात से किसानों को बेहतर दाम मिल रहे हैं. इससे नारियल की खेती में किसानों की रुचि दोबारा बढ़ी है, और पौध तैयार करने वाले केंद्रों में नारियल पौधों की मांग भी तेजी से बढ़ रही है.

उत्तर भारत के बाजारों में कोमल नारियल (Tender Coconut) की मांग बढ़ने से सूखे नारियल की प्रोसेसिंग में कमी आई है. इससे कॉप्रा (Copra) की उपलब्धता सीमित हो गई है और कीमतें और ऊपर बनी हुई हैं.

मौसम और वैश्विक बाजार का असर

मौसम संबंधी चुनौतियों और जलवायु परिवर्तन के कारण भी नारियल उत्पादन पर असर पड़ा है. मौसम की अनिश्चितता ने पैदावार को कम किया है, जिससे आपूर्ति में कमी और दामों में मजबूती आई है. विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में भी नारियल तेल और कॉप्रा की कीमतें ऊंचे स्तर पर बनी रह सकती हैं.

वैश्विक स्तर पर बढ़ी नारियल उत्पादों की मांग

विश्व स्तर पर नारियल आधारित उत्पादों की मांग में तेजी आई है. फूड, बेवरेज और कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में नारियल तेल और इसके उत्पादों की खपत लगातार बढ़ रही है. लोग अब पौधों पर आधारित प्राकृतिक विकल्पों को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे नारियल से बने उत्पादों की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है.

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