इस बार बात है चावल की खेती की, जिसमें भारत ने नया इतिहास रच दिया है. दुनिया में सबसे ज्यादा चावल पैदा करने वाला देश अब भारत बन चुका है. चीन को पीछे छोड़ते हुए भारत ने चावल उत्पादन में पहला स्थान हासिल कर लिया है. यह कामयाबी न केवल किसानों की मेहनत का फल है, बल्कि उन नीतियों का भी नतीजा है जो खेती को आगे बढ़ाने के लिए बनाई गई हैं.
भारत ने बनाया नया कीर्तिमान
2024-25 के फसल वर्ष में भारत का चावल उत्पादन 14.9 करोड़ टन से भी ज्यादा रहने का अनुमान है. वहीं, अमेरिकी कृषि विभाग के अनुसार, चीन का अनुमानित उत्पादन 14.46 करोड़ टन रहने वाला है. इस तरह भारत अब आधिकारिक रूप से चावल उत्पादन में पहले नंबर पर पहुंच गया है.
आने वाले साल में भी भारत रहेगा आगे
2025-26 के शुरुआती अनुमान भी यही इशारा करते हैं कि भारत अपनी यह बढ़त बनाए रखेगा. अगले साल भारत का उत्पादन करीब 14.8 करोड़ टन रहने की संभावना है, जबकि चीन का 14.53 करोड़ टन. यानी आने वाला साल भी भारत के नाम हो सकता है.
राज्य सरकारों की नीतियों ने निभाई बड़ी भूमिका
छत्तीसगढ़, तेलंगाना, ओडिशा और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में चावल उत्पादन तेजी से बढ़ा है. यह राज्य सरकारों की मदद से संभव हो पाया है, जहां किसानों को सिंचाई की बेहतर सुविधा, बोनस और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद जैसे लाभ दिए गए हैं. किसानों को बोरवेल पर सब्सिडी और मुफ्त बिजली मिलने से खेती आसान और सस्ती हो गई है.
धान की खेती का दायरा हुआ बड़ा
2024-25 में भारत में धान की खेती का कुल रकबा करीब 5.10 करोड़ हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो कि बीते साल से ज्यादा है. खासतौर पर ‘जायद’ सीजन में धान का क्षेत्र और उत्पादन, दोनों में इजाफा हुआ है.
गेहूं में भी बढ़ी ताकत, लेकिन दूसरे स्थान पर
भारत ने गेहूं उत्पादन में भी जबरदस्त उछाल दर्ज किया है. 2014-15 में जहां गेहूं का उत्पादन 8.65 करोड़ टन था, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 11.7 करोड़ टन से ऊपर पहुंच गया है. हालांकि, इस मोर्चे पर चीन अब भी आगे है.
कब आएगा आधिकारिक अनुमान?
सरकार इसी हफ्ते 2024-25 के लिए तीसरा अग्रिम फसल उत्पादन अनुमान जारी करेगी. मौजूदा रिपोर्ट्स बताती हैं कि कुल खाद्यान्न उत्पादन इस साल 359 मिलियन टन तक पहुंच सकता है, जो अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा होगा.
मक्का और दालों में भी रिकॉर्ड उत्पादन
मक्का उत्पादन 42 मिलियन टन तक पहुंच गया है, जो अब तक का सबसे ज्यादा है. सरकार का लक्ष्य 2030 तक इसे 50 मिलियन टन तक ले जाना है. दलहन उत्पादन करीब 24 मिलियन टन रहने की संभावना है. उड़द की पैदावार थोड़ी घटी है, लेकिन मोठ और कुल्थी जैसी दालों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.