भारत में केले का उत्पादन न केवल घरेलू मांग को पूरा कर रहा है, बल्कि मीडिल ईस्ट के बाजारों को भी गुलजार कर रहा है. केले से बनने पुडिंग और कुकीज में भी भारत का केला अपनी जगह बना रहा है.
मनीकंट्रोल के एनालिसिस के अनुसार, कारोबारी साल 2025 (FY25) में भारत का केला निर्यात अंगूर को पीछे छोड़ते हुए टॉप पर पहुंच गया है. इस दौरान केले का निर्यात 377.5 मिलियन डॉलर का रहा, जो पिछले साल की तुलना में 29.7 फीसदी अधिक है. FY18 के मुकाबले केले के निर्यात में सात गुने का इजाफा हुआ है, जबकि अंगूर का निर्यात पिछले 8 सालों में केवल 16 फीसदी बढ़ा है.
क्या है मुख्य कारण?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारतीय केले की कम कीमत और मीडिल ईस्ट में बढ़ती मांग इस बदलाव के मुख्य कारण हैं. भारत के केला उत्पादक संघ के अध्यक्ष बीवी पाटिल ने कहा, “भारतीय केले की कम कीमत ने निर्यात को बढ़ावा दिया है. हमें मीडिल ईस्ट देशों से बढ़ती रुचि भी देखने को मिली है.” उन्होंने यह भी कहा कि FY26 में निर्यात FY25 से भी अधिक होने की संभावना है.
मीडिल ईस्ट देशों में इराक ने FY25 में भारत के कुल केले निर्यात का 47 फीसदी हिस्सा लिया, जो पिछले साल से 108 फीसदी का इजाफा हुआ है. इसके अलावा ईरान, यूएई, ओमान, सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और कतर भी प्रमुख खरीदार हैं. इसके साथ ही, उज्बेकिस्तान को केले का निर्यात दोगुना होने से यह देश FY25 में भारत का दूसरा सबसे बड़ा केला आयातक बन गया है. जहां मीडिल ईस्ट केले के प्रमुख आयातक हैं, वहीं नीदरलैंड, रूस और यूके भारत के अंगूर निर्यात में 60 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी रखते हैं.
किस फल की कितनी भागीदारी
FY25 में भारत के ताजे फलों के कुल निर्यात में केले और अंगूर का हिस्सा 59.2 फीसदी था, जो FY18 में 44.4 फीसदी था. इस अवधि में भारत के कुल फल और नट्स के निर्यात में 53 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो FY18 के 806.9 मिलियन डॉलर से बढ़कर FY25 में 1.24 बिलियन डॉलर हो गया है.
इसके अलावा, किशमिश (रैजिन) का निर्यात भी दोगुना होकर 72 मिलियन डॉलर हो गया है. स्ट्रॉबेरी, क्रैनबेरी और रास्पबेरी का निर्यात भी पिछले आठ सालों में बढ़ा है.